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भगवान की मेहरबानी पर ही तमिलनाडु को मिलेगा कावेरी का पानी: कर्नाटक

कावेरी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को कहा है कि आप संवेदनशील होकर इस मुद्दे पर मंथन करे। जिसका जो जायज हक है उसे आप देने से इनकार नहीं कर सकते हैं।

By Lalit RaiEdited By: Published: Wed, 28 Sep 2016 10:29 AM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2016 02:39 PM (IST)
भगवान की मेहरबानी पर ही तमिलनाडु को मिलेगा कावेरी का पानी: कर्नाटक

नई दिल्ली। कावेरी नदी कर्नाटक और तमिलनाडु दोनों राज्यों की जीवन रेखा है। लेकिन कर्नाटक का कहना है कि वो अपने लोगों को भूखा और प्यासा रखकर दूसरे की प्यास कैसे बुझा सकता है। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक सरकार की तरफ से दलील देते हुए फली नरीमन ने कहा कि अगर भगवान की इच्छा रही तो तमिलनाडु को उसके हिस्से का पानी मिल जाएगा। कर्नाटक की दलील पर सुप्रीम कोर्ट के जज ने पूछा कि इसका मतलब तो ये है कि आप नवंबर में भी तमिलनाडु को पानी नहीं दे पाएंगे। अदालत के इस सवाल पर नरीमन ने जवाब दिया कि ये सबकूछ उत्तर-पूर्व मानसून की मेहरबानी पर निर्भर करेगा।

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गुरुवार को दोनों राज्यों के बीच होगी बैठक

जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने इस मुद्दे पर बातचीत के लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बातचीत के लिए दिल्ली बुलाया है। कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया और तमिलनाडु की तरफ से मुख्यमंत्री जयललिता के प्रतिनिधि बातचीत में शामिल होंगे। कावेरी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश पर रणनीति बनाने के लिए सीएम सिद्धरमैया ने बेंगलुरु में सर्वदलीय बैठक बुलाई। विपक्ष के नेताओं ने सरकार से सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश पर अमल नहीं करने की अपील की। विपक्ष ने कहा कि कर्नाटक किसी भी सूरत में 6 हजार क्यूसेक पानी रिलीज नहीं कर सकता है।

दो राज्यों में कावेरी पर विवाद

दरअसल तमिलनाडु सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को पहले 10 दिनों तक हर रोज 15 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश दिया था। लेकिन कर्नाटक के मांड्या और बेंगलुरु में जबरदस्त विरोध के बाद सरकार ने अर्जी लगायी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में संशोधन कर पानी 12 हजार क्यूसेक पानी देने का आदेश दिया। कर्नाटक ने अदालत के फैसले का सम्मान करते हुए पानी छोड़ना शुरु किया। लेकिन कर्नाटक के अलग-अलग हिस्सों में एक बार फिर विरोध करना शुरू कर दिया। लोगों के विरोध को देखते हुए कर्नाटक विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया कि कर्नाटक खुद पीने के पानी का सामना कर रहा है लिहाजा तमिलनाडु को पानी देना मुश्किल होगा।इस बीच अदालत के फैसले पर विचार करने के लिए कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है।

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अदालत में अपील पर अपील

कर्नाटक सरकार के खिलाफ तमिलनाडु सरकार ने दोबारा सु्प्रीम कोर्ट में अपील की।तमिलनाडु सरकार की अपील पर अदालत ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने को कहा।अदालत के आदेश पर एटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि केंद्र सरकार दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक 30 सितंबर से पहले बुलाएगी और मामले को सुलझाने की कोशिश करेगी। केंद्र सरकार के इस जवाब के बाद अदालत ने 30 सितंबर तक 6 हजार क्यूसेक पानी देने का आदेश दिया और 30 सितंबर को सुनवाई की तारीख तय की।

'संवैधानिक संस्था एक दूसरे का करें सम्मान'

कर्नाटक सरकार की तरफ से फली नरीमन ने कहा कि विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव भी संविधान के दायरे में लिहाजा एक संवैधानिक संस्था( सुप्रीम कोर्ट) दूसरी संस्था( कर्नाटक विधानसभा) के अधिकारों का सम्मान करेगी। नरीमन ने कहा कि ये कहां तक जायज है कि जो खुद पीने के पानी की समस्या का सामना कर रहा हो उससे से ये कहा जाए कि आप दूसरों को खेती के लिए पानी मुहैया कराएं।

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