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क्या रिटायरमेंट के बाद जन्मतिथि में कर सकते हैं बदलाव? कर्नाटक HC ने कर दिया साफ

कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया है कि कोई भी कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद अपनी दर्ज जन्मतिथि में बदलाव नहीं कर सकता है। यह फैसला एक व्यक्ति से जुड़े मामले का है जो 1983 से 2006 में अपनी रिटायरमेंट तक पल्प ड्राइंग प्रोसेसर निर्माण इकाई में काम करता रहा। वह 2006 में महज 58 साल की उम्र में ही रिटायर हो चुका था।

By Agency Edited By: Nidhi Avinash Updated: Mon, 12 Aug 2024 04:10 PM (IST)
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क्या रिटायरमेंट के बाद अपने जन्मतिथि में बदलाव कर सकते है? (Image: ANI)

बेंगलुरू, पीटीआई। 'कोई भी कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद अपनी दर्ज जन्मतिथि नहीं बदल सकता।' कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को यह फैसला सुनाया है। दरअसल, जन्मतिथि बदलने का मामला एक व्यक्ति से जुड़ा है। शख्स रिटायर होने से पहले 1983 से 2006 तक एक पल्प ड्राइंग प्रोसेसर निर्माण यूनिट में काम करता था। जब उसे दोबारा काम पर रखा गया, तो उसने अपनी जन्मतिथि  30 मार्च, 1952 बताई, लेकिन इसका कोई सबूत नहीं दिया। 

दो जन्मतिथि, रिटायरमेंट पर उठाए सवाल 

हालांकि, नियोक्ता ने व्यक्ति के भविष्य निधि विवरण और स्कूल प्रमाण पत्र के आधार पर उनकी जन्मतिथि 10 मार्च, 1948 दर्ज की। इसका मतलब यह हुआ कि वे 2006 में 58 साल की उम्र में रिटायर हो चुके थे। रिटायरमेंट के बाद, उस व्यक्ति ने जन्म प्रमाण पत्र प्राप्त किया, जिसमें उनकी जन्मतिथि 30 मार्च, 1952 थी। फिर उन्होंने 2010 तक फिर से नौकरी पर रखे जाने के लिए पात्र होने का अनुरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि उन्हें चार साल बाद रिटायर होना चाहिए था।

उच्च न्यायालय में की अपील

नियोक्ता ने उसके अनुरोध को खारिज कर दिया और दावा किया कि दर्ज की गई तारीख सही थी और उसने अपने सेवानिवृत्ति लाभ पहले ही स्वीकार कर लिए थे। व्यक्ति पहले अपना मामला श्रम न्यायालय में ले गया, जिसने उसे खारिज कर दिया। फिर उसने उच्च न्यायालय में इसको लेकर अपील की। 

हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला 

मामले की सुनवाई करने वाले न्यायमूर्ति एम जी एस कमल ने सोमवार को कहा कि व्यक्ति ने रिटायर होने के दो साल बाद अपनी जन्मतिथि पर सवाल उठाया, जिससे उसके दावे पर संदेह पैदा होता है। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का भी हवाला दिया, जो रिटायरमेंट के बाद जन्मतिथि बदलने पर रोक लगाता है, खासकर तब जब कर्मचारी के पास इसे पहले सही करने का मौका था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।

जन्मतिथि बदलने की मांग नहीं कर सकता शख्स 

अदालत ने पाया कि भविष्य निधि में दर्ज जन्मतिथि, जो व्यक्ति के स्कूल रिकॉर्ड से मेल खाती थी, सही थी। चूंकि व्यक्ति ने उस समय अपनी रिटायरमेंट पर विवाद नहीं किया। अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि कोई भी कर्मचारी काफी समय बीत जाने के बाद, खासकर रिटायरमेंट के बाद, जन्मतिथि बदलने की मांग नहीं कर सकता।

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