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स्वजन की जिम्मेदारी निभा रही कर्नाटक सरकार, कोरोना से जान गंवाने वाले 1200 से ज्यादा लोगों की अस्थियां विसर्जित कीं

राज्य में वैश्विक महामारी के दौरान पहली बार इतने बड़े पैमाने पर इस प्रकार अस्थि विसर्जन किया गया है। बताया गया कि अधिकतर अस्थियां शहर के बाहर स्थित उस खुले श्मशान घाट पर थीं जिसे सरकार ने कोविड-19 से मौत के मामले चरम पर होने के दौरान शुरू किया था।

By Neel RajputEdited By: Published: Fri, 04 Jun 2021 08:01 AM (IST)Updated: Fri, 04 Jun 2021 08:01 AM (IST)
स्वजन की जिम्मेदारी निभा रही कर्नाटक सरकार, कोरोना से जान गंवाने वाले 1200 से ज्यादा लोगों की अस्थियां विसर्जित कीं
कावेरी में प्रवाहित की गईं बेंगलुरु के 1,200 से ज्यादा लोगों की अस्थियां

नई दिल्ली, जेएनएन। कर्नाटक सरकार ने कोविड-19 की महामारी के कारण जान गंवा चुके उन लोगों की अस्थियां सामूहिक रूप से कावेरी नदी में प्रवाहित कीं, जिनके स्वजन अस्थियां लेने नहीं आए। मांड्या जिले के मलवल्ली तहसील में बेलाकावाडी के निकट कावेरी नदी में बेंगलुरु के 1,200 से अधिक मृतकों के अस्थि कलश हिंदू मान्यता के अनुसार प्रवाहित किए गए। भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने ट्विटर पर तस्वीरें साझा करते हुए कर्नाटक के राजस्व मंत्री आर. अशोक के प्रयासों को सराहा।

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राज्य में वैश्विक महामारी के दौरान पहली बार इतने बड़े पैमाने पर इस प्रकार अस्थि विसर्जन किया गया है। बताया जाता है कि अधिकतर अस्थियां शहर के बाहर स्थित उस खुले श्मशान घाट पर थीं, जिसे सरकार ने कोविड-19 से मौत के मामले चरम पर होने के दौरान शुरू किया था। बार-बार अनुरोध करने के बावजूद मृतकों के परिवार का कोई सदस्य अस्थि कलश लेने नहीं आया, जिसके बाद सरकार ने अस्थियां विसíजत करने का फैसला किया।

राजस्व मंत्री आर. अशोक, मांड्या जिले के प्रभारी मंत्री केसी नारायण गौड़ा और वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में पुजारियों के एक दल ने अस्थि विसर्जन किया। अशोक ने कहा, 'गंगा नदी में शव फेंके जाने की रिपोर्ट देखकर मुझे दु:ख हुआ। मैं नहीं चाहता था कि हमारे राज्य में ऐसा हो। किसी भी व्यक्ति का शव लावारिस नहीं छोड़ा जाना चाहिए। हर जिले में उपायुक्तों, सहायक आयुक्तों और तहसीलदारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि अंतिम संस्कार किया जाए। यदि शवों को जलाया गया है तो उनकी अस्थियां विसíजत की जाएं। मैं इस आशय का आदेश जारी करूंगा।' उन्होंने कहा कि अन्य समुदायों के लोगों का अंतिम संस्कार उनकी मान्यता के अनुसार किया जा रहा है।


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