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Kargil Vijay Diwas 2020: एक भारतीय सैनिक अकेले ही नौ पाकिस्तानियों पर पड़ा था भारी

Kargil Vijay Diwas 2020 कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान को भारतीय सेना ने बुरी तरह से हराया था। वो चाहे किसी भी चोटी पर बैठे रहे हों सेना ने वहां पहुंचकर उन पर हमला किया था।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sun, 26 Jul 2020 12:29 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2020 03:51 PM (IST)
Kargil Vijay Diwas 2020: एक भारतीय सैनिक अकेले ही नौ पाकिस्तानियों पर पड़ा था भारी
Kargil Vijay Diwas 2020: एक भारतीय सैनिक अकेले ही नौ पाकिस्तानियों पर पड़ा था भारी

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Kargil Vijay Diwas 2020: कारगिल युद्ध में एक-एक भारतीय सैनिक ने पाकिस्तानी सैनिकों को छक्के छुड़ा दिए। ऊंची-ऊंची पहाड़ियों पर बैठे पाकिस्तानी सैनिक ये सोच रहे थे कि वो सुरक्षित है और भारतीय सैनिकों पर हमला करके उनको रोक पाएंगे मगर भारतीय सैनिकों के जोश और उत्साह के आगे उनकी एक नहीं चली। पाकिस्तानी सैनिक चाहे जितनी ऊंचाई पर बैठे रहे हो भारतीय सेना के जवानों ने वहां पहुंचकर न सिर्फ उनसे वो जगह छीन ली बल्कि उनको मारकर वहां से भगा दिया। इस लड़ाई में एक भारतीय सैनिक पाकिस्तान के 9 सैनिकों पर भारी पड़े थे।

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मेजर राजेश सिंह अधिकारी

जन्म: 25 दिसंबर, 1970 नैनीताल, उत्तराखंड

शहीद हुए : 30 मई, 1999 (उम्र 28 वर्ष)

यूनिट : 18 ग्रनेडियस

शौर्य गाथा: 

इंडियन मिलिट्री एकेडमी से 11 दिसंबर, 1993 को सेना में भर्ती हुए। कारगिल युद्ध के दौरान 30 मई को उनकी यूनिट को 16,000 फीट की ऊंचाई पर तोलोलिंग चोटी पर कब्जा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। यह पोजीशन भारतीय सेना के लिए बेहद अहम थी क्योंकि यहीं पर भारतीय सेना बंकर बनाकर टाइगर हिल पर बैठे दुश्मनों पर निशाना साध सकती थी। जब मेजर अधिकारी अपने सैनिकों के साथ लक्ष्य की ओर बढ़ रहे थे तो दुश्मनों ने दो बंकरों से उन पर हमला करना शुरू किया।

उन्होंने बिना देर किए रॉकेट लांचर डिटैचमेंट को बंकर की तरफ मोड़ा और बंकर के अंदर घुसकर दो दुश्मनों को मार गिराया। इसके बाद अपने मीडियम मशीन गन को एक पत्थर से बांधकर दुश्मन को उसमें  उलझा दिया और खुद दूसरे बंकर की तरफ बढ़े। खुद बुरी तरह जख्मी होने के बाद भी बंकर में घुसकर एक पाकिस्तानी सैनिक को मौत के घाट उतारा। इसके बाद खुद भी शहीद हो गए। उनके इस साहस और सूझबूझ की बदौलत तोलोलिंग चोटी भारत के कब्जे में आई जिसके बाद प्वाइंट 4590 पर कब्जा करना आसान हुआ। उन्हें सेना का दूसरा सर्वोच्च मेडल महावीर चक्र प्रदान किया गया।

कैप्टन अनुज नायर

जन्म : 28 अगस्त, 1975 दिल्ली

शहीद हुए : 7 जुलाई, 1999 (24 वर्ष)

यूनिट : 17 जाट रेजीमेंट

शौर्य गाथा: 

इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पासआउट होने के बाद जून, 1997 में जाट रेजिमेंट की 17वीं बटालियन में भर्ती हुए। कारगिल युद्ध के दौरान उनका पहला अभियान था प्वाइंट 4875 पर कब्जा करना। यह चोटी टाइगर हिल की पश्चिम ओर थी और सामरिक लिहाज से बेहद जरूरी। इस पर कब्जा करना भारतीय सेना की प्राथमिकता थी। अभियान की शुरुआत में ही नैयर के कंपनी कमांडर जख्मी हो गए। हमलावर दस्ते को दो भागों में बांटा गया। एक का नेतृत्व कैप्टन विक्रम बत्रा ने किया और दूसरे का कैप्टन अनुज ने।

कैप्टन अनुज ने टीम के सात सैनिकों के साथ दुश्मन पर चौतरफा वार किया। कैप्टन अनुज ने अकेले नौ पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया और तीन दुश्मन बंकर ध्वस्त किए। चौथे बंकर पर हमला करते समय दुश्मन ने ग्रेनेड फेंका जो सीधा उनपर गिरा। बुरी तरह जख्मी होने के बाद भी वे बचे हुए सैनिकों का नेतृत्व करते रहे। शहीद होने से पहले उन्होंने आखिरी बंकर को भी तबाह कर दिया। दो दिन बाद दुश्मन सेना ने फिर से चोटी पर हमला किया जिसका जवाब कैप्टन विक्रम बत्रा की टीम ने दिया। कैप्टन अनुज को मरणोपरांत महावीर चक्र प्रदान किया गया।  


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