कंगना ने कहा- प्यार व शादी के नाम पर धोखे के खिलाफ है मध्य प्रदेश का लव जिहाद कानून
अभिनेत्री कंगना रनोट ने मध्य प्रदेश में लागू हुए लव जिहाद के खिलाफ कानून को सराहनीय कदम बताया है। यह कानून उनके खिलाफ है जो प्यार और शादी के नाम पर धोखा और मतांतरण के लिए विवश करते हैं।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। अभिनेत्री कंगना रनोट ने मध्य प्रदेश में लागू हुए लव जिहाद के खिलाफ कानून को सराहनीय कदम बताया है। उन्होंने कहा कि यह कानून अंतरजातीय विवाह, किसी जाति अथवा धर्म के खिलाफ नहीं है। यह उनके खिलाफ है जो प्यार और शादी के नाम पर धोखा और मतांतरण के लिए विवश करते हैं।
कंगना ने मंत्री उषा ठाकुर के साथ फिल्म 'धाकड़' की शूटिंग का मुहूर्त शॉट दिया
फिल्म 'धाकड़' की शूटिंग के लिए भोपाल आई कंगना फिल्म के मुहूर्त के मौके पर मीडिया से बात कर रही थीं। उन्होंने प्रदेश की पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर के साथ मुहूर्त शॉट दिया।
कंगना ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से की मुलाकात
कंगना ने कहा कि कोई कानून उनके लिए होता है, जिन्हें कोई न कोई परेशानी है। कई ऐसे परिवार हैं, जिन्होंने लव जिहाद का दंश झेला है। यह कानून ऐसे पीड़ितों के लिए मददगार साबित होगा। शनिवार को शूट पूरा होने के बाद कंगना के साथ पूरी यूनिट ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी मुलाकात की।
मध्य प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून
मध्य प्रदेश के गृह मंत्रालय ने राजपत्र में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक- 2020 को अधिसूचित कर दिया है। सरकार के इस कदम से कथित लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून अब लागू हो गया है। पिछले साल दिसंबर में शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल ने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020 को मंजूरी दे दी थी। विधेयक में शादी या अन्य कपटपूर्ण तरीके से कराया गया धर्मांतरण अपराध माना जाएगा जिसके मामले में अधिकतम 10 साल की कैद और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
10 साल की कैद और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान
सामूहिक धर्म परिवर्तन का प्रयास करने पर पांच से 10 साल तक की कैद और एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। नाबालिग, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के साथ ऐसा अपराध करने पर दो से 10 साल तक की कैद और कम से कम 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यही नहीं विधेयक में स्वेच्छा से धर्म संपरिवर्तन करने वाले या कराने वाले व्यक्ति को 60 दिन पहले जिला दंडाधिकारी सूचित किया जाना अनिवार्य किया गया है।