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Madhya Pradesh : आयकर छापों में जब्त दस्तावेजों के मामले में बढ़ सकती है कमल नाथ की मुश्किलें, अधिकारियों को गवाह बनाने के संकेत

मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पड़े आयकर छापों के दौरान जब्त दस्तावेजों के मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है। चार पुलिस अधिकारी इस प्राथमिकी में नामजद हैं। इनको मामले में गवाह बनाए जाने के संकेत हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 02 Jan 2021 09:21 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jan 2021 09:21 PM (IST)
Madhya Pradesh : आयकर छापों में जब्त दस्तावेजों के मामले में बढ़ सकती है कमल नाथ की मुश्किलें, अधिकारियों को गवाह बनाने के संकेत
मध्य प्रदेश में आयकर छापों के दौरान जब्त दस्तावेजों के मामले में ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है।

धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पड़े आयकर छापों के दौरान जब्त दस्तावेजों के मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है। सूत्रों की मानें तो प्राथमिकी के बाद ईडी भी सक्रिय हो सकता है और एफआइआर दर्ज की जा सकती है। फिलहाल चार पुलिस अधिकारी इस प्राथमिकी में नामजद हैं। इन अधिकारियों को मामले में गवाह बनाए जाने के संकेत हैं। यदि ऐसा हुआ तो कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

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सूत्रों का कहना है कि आयकर विभाग की उक्त कार्रवाई के दौरान कमल नाथ मुख्यमंत्री थे। अधिकारी गवाही दे सकते हैं कि वे तो केवल मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन कर रहे थे। मालूम हो कि लोकसभा चुनाव-2019 से ठीक पहले पड़े आयकर छापों के मामले में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की रिपोर्ट पर चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह शक के घेरे में आए अधिकारियों पर कार्रवाई करे।

निर्वाचन आयोग कार्रवाई का फीडबैक भी ले रहा है। छापों में बरामद दस्तावेजों में 281 करोड़ रुपए के लेन-देन का जिक्र है। छापे कमल नाथ के करीबियों राजेंद्र मिगलानी, रिश्तेदार रतुल पुरी की कंपनी के लोगों, कमल नाथ के ओएसडी रहे प्रवीण कक्कड़, इंदौर के हवाला कारोबारी ललित कुमार छजलानी, कांट्रेक्टर अश्विनी शर्मा, प्रतीक जोशी एवं हिमांशु शर्मा के यहां पड़े थे। करीबियों पर छापे पड़ने के चलते कमल नाथ शक के दायरे में हैं।

ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज कर मामले को कानूनी दायरे में ला दिया है। सूत्रों का कहना है कि यदि चार पुलिस अधिकारियों ने सरकारी गवाह बनकर तत्कालीन मुख्यमंत्री के खिलाफ बयान दिए तो कमल नाथ से पूछताछ की जा सकती है। यही नहीं दस्तावेजों में लेन-देन को लेकर कई नेताओं के नाम है। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय एजेंसियां की जांच के दायरे में कई दिग्‍गज नेता भी आ सकते हैं।

भाजपा मध्य प्रदेश में जल्‍द होने वाले नगरीय निकाय चुनाव में इसे भुना सकती है। यही नहीं भाजपा अगले विधानसभा चुनाव में भी कमल नाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों का मसला भी उछाल सकती है। गृह, विधि एवं विधायी कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का इस मसले पर कहना है कि कानून सबके लिए बराबर है। जांच के दायरे में जो भी नाम आएंगे, उनके खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। मामला राजनीतिक नहीं है बल्कि आपराधिक है।  


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