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16 जनवरी को अंतरिक्ष यात्रा पर रवाना हुई थीं कल्पना चावला, अब इसरो की बारी

यह घटना आज इसलिए भी अहम हो जाती है, क्‍योंकि भारत का लक्ष्‍य 2022 तक अंतरिक्ष में मानव भेजने की है। इसमें खास बात यह है कि इस योजना में इस्‍तेमाल की जाने वाली तकनीक इसरो की है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 04:31 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 05:19 PM (IST)
16 जनवरी को अंतरिक्ष यात्रा पर रवाना हुई थीं कल्पना चावला, अब इसरो की बारी
16 जनवरी को अंतरिक्ष यात्रा पर रवाना हुई थीं कल्पना चावला, अब इसरो की बारी

नई दिल्‍ली [ जागरण स्‍पेशल ]। अतंरिक्ष विज्ञान के लिए और खासकर भारत के लिए यह दिन बेहद अहम है। इस दिन भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री कल्‍पना चावला अपनी अंतरिक्ष यात्रा के लिए रवाना हुईं थीं। वह अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला थीं। यह घटना आज इसलिए भी अहम हो जाती है, क्‍योंकि भारत का लक्ष्‍य 2022 तक अंतरिक्ष में मानव भेजने की है। इसमें खास बात यह है कि इस योजना में इस्‍तेमाल की जाने वाली तकनीक इसरो की है। 

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कौन थीं कल्‍पना चावला
नासा की अंतरिक्ष वैज्ञानिक रहीं कल्पना चावला का जन्‍म 17 मार्च, 1962 को हरियाणा के करनाल जिले में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा करनाल में ही हुई। 1982 में उन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से वैमानिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। 1984 में अमेरिका के टेक्सस विश्विद्यालय से उन्होंने अंतरिक्ष वैमानिकी में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 1994 में उन्हें संभावित अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना। कल्‍पना को अंतरिक्ष यात्रियों के 15वें दल में शामिल किया गया। नवंबर 1996 में नासा ने एसटीएस-87 मिशन में विशेषज्ञ की हैसियत से भाग लेने की घोषणा की। 19 नवंबर, 1997 को वह दिन आया जब करनाल की बेटी कल्पना ने अंतरिक्ष के गहन अंधेरे में भारत का नाम रोशन किया। कल्‍पना ने 376 घंटे 34 मिनट अंतरिक्ष में बिताए। उन्‍होंने यहां कई महत्वपूर्ण प्रयोगों को अंजाम देते हुए धरती के 252 चक्कर लगाए यानि 65 लाख मील की दूरी तय की।

भारत का मानव मिशन- 2022
वर्ष 2018 में स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से मानव मिशन-2022 की घोषणा की थी। इस योजना के तहत अंतरिक्ष में दो मानवरहित यानों के साथ-साथ एक ऐसा यान भेजे जाने की परिकल्पना है, जिसमें अंतरिक्ष यात्री भी होंगे। अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ने ही इंसानों को अंतरिक्ष में भेजा है। इस परियोजना के तहत 28 दिसंबर, 2018 को भारत के महत्वाकांक्षी मानव मिशन के क्रियान्वयन की दिशा में केंद्र सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये के गगनयान मिशन को मंजूरी दी थी।

क्‍या है गगनयान योजना
प्रधानमंत्री ने ‘गगनयान-भारत का पहला मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम’ की घोषणा की थी। उन्होंने घोषणा की थी कि 2022 (भारतीय स्वतंत्रता के 75 साल) तक या उससे पहले भारत की धरती से भारतीय यान द्वारा भारत की कोई एक लड़की या लड़का अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसरो द्वारा लिया गया यह अब तक का काफी महत्वकांक्षी और बेहद जरूरी अंतरिक्ष कार्यक्रम है, क्योंकि इससे देश के अंदर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। यह देश के युवाओं को भी बड़ी चुनौतियां लेने के लिए प्रेरित करेगा और देश की मर्यादा को बढ़ाने में भी सहयोग करेगा। इसके लिए इसरो ने आवश्यक पुन: प्रवेश मिशन क्षमता, क्रू एस्केप सिस्टम, क्रू मॉड्यूल कॉन्फ़िगरेशन, तापीय संरक्षण व्यवस्था, मंदन एवं प्रवर्तन व्यवस्था, जीवन रक्षक व्यवस्था की उप-प्रणाली इत्यादि जैसी कुछ महत्वपूर्ण तकनीकों का विकास किया है।

जीएसएलवी एमके-3 लॉन्च व्हिकल का होगा उपयोग
गगनयान को लॉन्च करने के लिए जीएसएलवी एमके-3 लॉन्च व्हिकल का उपयोग किया जाएगा, जो इस मिशन के लिए आवश्यक पेलोड क्षमता से परिपूर्ण है। अंतरिक्ष में मानव भेजने से पहले दो मानव रहित गगनयान मिशन किए जाएंगे। 30 महीने के भीतर पहली मानव रहित उड़ान के साथ ही कुल कार्यक्रम के 2022 से पहले पूरा होने की उम्मीद है। मिशन का उद्देश्य पांच से सात वर्षों के लिए अंतरिक्ष में तीन सदस्यों का एक दल भेजना है। इस अंतरिक्ष यान को 300-400 किलोमीटर की निम्न पृथ्वी कक्षा में रखा जाएगा। कुल कार्यक्रम की लागत 10,000 करोड़ रुपये से कम होगी। इसरो द्वारा विकसित यह पहला मानव मिशन होगा, हालांकि इससे पहले भी कुछ भारतीय अंतरिक्ष में जा चुके हैं।

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