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लिवर, गैस और गुर्दे की मजबूती के लिए कारगर है 'कागासन', पढ़े एक्सपर्ट की राय

कुमार राधा रमण ने बताया कि जिन्हें एड़ियों कमर जांघों और घुटनों में परेशानी हो वे किसी योग्य योग विशेषज्ञ के निर्देशन में ही इसे आजमाएं। योग विशेषज्ञ से इस आसन की विधि जानें।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 03:06 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 11:08 AM (IST)
लिवर, गैस और गुर्दे की मजबूती के लिए कारगर है 'कागासन', पढ़े एक्सपर्ट की राय
लिवर, गैस और गुर्दे की मजबूती के लिए कारगर है 'कागासन', पढ़े एक्सपर्ट की राय

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। इस आसन की अंतिम अवस्था में शरीर की आकृति कौए जैसी हो जाती है, इसलिए इसे कागासन या क्रो पोज कहा जाता है। इस आसन को सुबह के वक्त करना अच्छा माना जाता है। पेट के कई रोगों में इसे रामबाण माना गया है। इसके अभ्यास से यौगिक क्रियाओं को कुशलतापूर्वक करना संभव होता है, जैसे नेति क्रिया इसी आसन में बैठकर की जाती है। शंख प्रक्षालन और कुंजल क्रिया के लिए इसी आसन में बैठा जाता है। जानें क्‍या कहते है भारतीय योग एवं प्रबंधन संस्थान मुरथल के कुमार राधा रमण

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सावधानी

जिन्हें एड़ियों, कमर, जांघों और घुटनों में परेशानी हो, वे किसी योग्य योग विशेषज्ञ के निर्देशन में ही इसे आजमाएं। योग विशेषज्ञ से इस आसन की विधि जानें।

लाभ

  • पेट पर संचित वसा को कम करने में उपयोगी है।
  • जांघ पर संचित वसा दूर होती है और सुंदरता बढ़ती है।
  • वायुविकार दूर होते हैं और वायुजनित रोगों में लाभ मिलता है।
  • पेट के सभी अंग सक्रिय होते हैं। लिवर और गुर्दे बेहतर काम करते हैं।

यह है विधि

कुमार राधा रमण ने बताया कि सीधे खड़े हों ताकि शरीर की मुद्रा सावधान की स्थिति में रहे। पैर के पंजे बिल्कुल सीधे और हथेलियां कमर से चिपकी हुई हों। कुछ पल अपनी आती-जाती सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। सांस धीमी, लंबी और गहरी हो। जब चित्त स्थिर होता प्रतीत हो तब सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे दोनों पैरों को सटाकर इस प्रकार बैठ जाएं कि दोनों पैरों के बीच कोई अंतर न रहे। अब बाईं हथेली से बाएं घुटने को और दाईं हथेली से दाएं घुटने को इस प्रकार पकड़ें कि दोनों कोहनियां जांघों, सीने और पेट के बीच में आ जाएं।

पैरों के पंजे बाएं-दाएं मुड़ने न पाएं और सामने की तरफ ही रहें। गर्दन, रीढ़ और कमर को भी बिल्कुल सीधा रखें और सामने की ओर सहज सांस के साथ एकटक देखें। फिर दाहिनी एड़ी से जमीन पर हल्का दबाव बनाते हुए गहरी सांस लेते हुए सिर को (शरीर के बाकी हिस्से स्थिर रहें) जितना संभव हो, बाईं तरफ ले जाएं। कुछ सेकेंड बाद सांस छोड़ते हुए सिर को पुन: सामने की तरफ ले आएं। पुन: बाईं एड़ी से जमीन पर दबाव बनाते हुए सिर को दाहिनी तरफ ले जाने का अभ्यास करें। इस आसन को दो-तीन मिनट करें। आसनों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इन्हें करने से पहले आपको अपने चिकित्सक से भी परामर्श लेना चाहिए।

[कुमार राधा रमण, भारतीय योग एवं प्रबंधन संस्थान, मुरथल]

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