आम आदमी को राहत देने में सरकार की सोच तंग
बजट में कुछ भी नया नहीं है। इससे फिर यह बात साफ हो जाती है कि सरकार के पास दृष्टि का अभाव है। अच्छे दिन लाने का वादा करके आई सरकार ने बजट में ऐसा कुछ भी नही दिया है, जिसे अच्छा कहा जा सके। टैक्स में सिर्फ 50 हजार की राहत ना के बराबर है। जबकि आम आदमी को राहत देने के विषय में सरकार की सोच तंग दिखती ह
बजट में कुछ भी नया नहीं है। इससे फिर यह बात साफ हो जाती है कि सरकार के पास दृष्टि का अभाव है। अच्छे दिन लाने का वादा करके आई सरकार ने बजट में ऐसा कुछ भी नही दिया है, जिसे अच्छा कहा जा सके। टैक्स में सिर्फ 50 हजार की राहत ना के बराबर है। जबकि आम आदमी को राहत देने के विषय में सरकार की सोच तंग दिखती है।
बजट से कारोबारियों को फायदा हो सकता है लेकिन आम आदमी के लिए इसमें कुछ भी नही है। सामाजिक क्षेत्र को लेकर सरकार दिशाहीन है। इस क्षेत्र को लेकर सरकार की उदासीनता क्षेत्र में होने वाले निवेश को देखकर समझी जा सकती है। यही कारण है कि सरकार ने हमारी योजनाओं को ही जारी रख कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है। बजट में सामाजिक योजनाओं के नामों की अदला-बदली की गई है। सरकार अपनी नीतियों को लेकर भी आश्वस्त नही है यही कारण है कि सरकार ने विकास दर का लक्ष्य बेहद कम रखा है।
भाजपा जब विपक्ष में थी तो हमारी आलोचना करती थी, अब उन्हें हकीकत का एहसास हो रहा है। इस बजट के बाद अच्छे दिनों की उम्मीद कर रहे आम आदमी का जीवन और मुश्किल होने वाला है। रक्षा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश का सरकार का फैसला बेहद खतरनाक निर्णय है और इससे सुरक्षा को लेकर गंभीर संकट पैदा होंगे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया[लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक]