जल्द सुलझ सकता है ज्योतिरादित्य अौर वसुंधरा राजे का विवाद, जानिए क्या है मामला
सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संपत्ति बंटवारे को लेकर चल रहे विवाद में जिला सत्र न्यायालय में सिविल दावा पेश किया है। यह दावा 1990 से कोर्ट में है।
ग्वालियर, नईदुनिया। कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को संपत्ति विवाद को लेकर चल रहे अपने सिविल दावे में एक आवेदन पेश कर कोर्ट को बताया कि वह अपनी तीनों बुआओं से समझौता करने के लिए तैयार हैं। इससे पूर्व भी विवाद खत्म करने की कोशिश की गई थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला था। अब फिर से आपसी सहमति से निराकरण के लिए तैयार हैं और कोर्ट जो भी आदेश पारित करेगा, वह उन्हें मान्य होगा।
वहीं दूसरी ओर प्रतिवादी की ओर से कोई सहमति पत्र पेश नहीं किया गया। प्रतिवादियों के अधिवक्ताओं ने सिंधिया के आवेदन की कॉपी लेने के लिए कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत कर दिया है। नौ नवंबर को इस केस में सुनवाई होगी।
सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संपत्ति बंटवारे को लेकर चल रहे विवाद में जिला सत्र न्यायालय में सिविल दावा पेश किया है। यह दावा 1990 से कोर्ट में है। फिलहाल इसकी सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश सचिन शर्मा की कोर्ट में चल रही है। कोर्ट ने 25 सितंबर 2017 को वादी व प्रतिवादी को यह कहते हुए समझौते के लिए मौका दिया था कि दोनों पक्ष समझदार हैं और चाहें तो समझौता कर अपने विवाद को खुद सुलझा सकते हैं। जनता के सामने एक उदाहरण पेश कर सकते हैं। आपसी समझौते से जो भी निष्कर्ष निकले उसे कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें।
कोर्ट ने वादी व प्रतिवादी को छह अक्टूबर तक सहमति पत्र पेश करने का आदेश दिया था। सांसद सिंधिया की ओर से शुक्रवार को सहमति को लेकर एक आवेदन कोर्ट में पेश किया गया। हालांकि दूसरी ओर प्रतिवादियों की ओर से सहमति को लेकर जवाब नहीं आया है।
संपत्ति पर आ गए वारिसों के नाम
1976 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया व माधवराव सिंधिया के बीच संपत्ति का बंटवारा हो गया था, लेकिन दोनों के निधन के बाद संपत्ति में यशोधरा राजे, वसुंधरा राजे, ऊषा राजे का नाम रिकार्ड पर आया है। इन तीनों के नाम संपत्ति में न आए, इसको लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक सिविल दावा जिला कोर्ट में लगाया है। इस दावे में मांग की है कि सिंधिया राजवंश की संपत्ति का उन्हें एकल स्वामित्व दिया जाए। उनकी संपत्ति पर किसी दूसरे का नाम न दर्ज किया जाए।
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