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काश, ये हुआ होता तो हैवान ऐसी दरिंदगी से पहले सौ बार सोचता

दिल्ली एक फिर दरिंदगी की शिकार हुई है। रेप की राजधानी बन चुकी दिल्ली में पांच साल की एक बच्ची के साथ दरिंदगी की इंतहा हो गई। आपको बता दें कि 15 अप्रैल को घर में खेलते समय बच्ची लापता हो गई थी, जिसकी सूचना परिजनों ने पुलिस को दी। लेकिन पुलिस ने घर तक जाकर जांच करने की जहमत नहीं उठाई। 17 अप्रैल को परिजनों ने भू

By Edited By: Published: Sat, 20 Apr 2013 08:06 AM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2013 03:16 PM (IST)
काश, ये हुआ होता तो हैवान ऐसी दरिंदगी से पहले सौ बार सोचता

नई दिल्ली। दिल्ली एक बार फिर दरिंदगी की शिकार हुई है। रेप की राजधानी बन चुकी दिल्ली में पांच साल की एक बच्ची के साथ दरिंदगी की इंतहा हो गई। आपको बता दें कि 15 अप्रैल को घर में खेलते समय बच्ची लापता हो गई थी, जिसकी सूचना परिजनों ने पुलिस को दी। लेकिन पुलिस ने घर तक जाकर जांच करने की जहमत नहीं उठाई। 17 अप्रैल को परिजनों को भूतल पर स्थित एक कमरे से रोने की आवाज सुनाई दी। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने ताला तोड़ा तो पाया बच्ची खून से लथपथ पड़ी हुई थी। बच्ची की हालत एम्स में अभी भी नाजुक बनी हुई है। इस दरिंदगी की पूरी कहानी तो आप अब तक जान ही गए होंगे। इस हादसे को जान आपका कलेजा फट गया होगा। इस हादसे ने एक बार फिर बसंत बिहार गैंगरेप की याद दिला दी। लोगों के गुस्से, विरोध प्रदर्शन के बाद भी अब तक उन गुनहगारों को सजा नहीं हुई। अब तक देश इंसाफ का इंतजार कर रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि इंसाफ में देरी दरिंदों को हौसला दे रही है। और बढ़ते हौसले से वो मानवता को मौत की नींद सुला रहे हैं। एक बार फिर हम अपनी बेटियों को लेकर चिंतित हैं। हमारी बहनें डर के साए में जीने के लिए मजबूर हैं।

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महीनों से इंसाफ के इंतजार की आग में आधी आबादी बेबस होकर जल रही है, व्यवस्था और इंसाफ में देरी इनकी छाती पर मूंग दल रही है। अभी भी उम्मीद है कि इंसाफ सारे जख्म धो देगा लेकिन इसी तरह देरी होती रही तो यकीन मानिए हमारी बहन, बेटियों का जमीर व्यवस्था से यकीन खो देगा। जी हां, करीब चार महीने पहले 6 युवकों ने रात करीब 9 बजे इंसायनियत की आबरू लूट ली थी। उस रात मानवता सिहर उठी। हैवानियत का वो नंगा नाच हुआ जिसने पूरे देश को सन्न कर दिया। आधी आबादी बदलाव के लिए पूरे दमखम के साथ सड़क से संसद तक पहुंच गई। दिल्ली पुलिस, केंद्र सरकार, राच्य सरकार, महिला संगठन, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी से लेकर सभी ने एक सुर में कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध पर लगाम कसी जानी चाहिए। दिल्ली गैंगरेप के खिलाफ जब विरोध प्रदर्शन हुए, कैंडल मार्च निकाले गए, मानव ऋंखलाएं बनाई गईं। लोगों ने आक्रोश जताया, सरकार ने बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन करीब चार महीने बाद भी दिल्ली गैंगरेप पीड़िता की आत्मा न्याय के लिए दर-दर की ठोकर खा रही है। लोगों के गुस्से का ही असर है कि नए कानून बनाए गए। यदि कानून और व्यवस्था की बात करें तो चलिए हम आपको कुछ मामले बताते हैं जिसे पढ़कर आप कहेंगे, इसे कहते हैं फैसला ऑन द स्पॉट। काश इस तरह का फैसला दिल्ली गैंगरेप में भी आता तो यह हैवान अपनी हरकत से पहले सौ बार सोचता।

पंजाब के होशियारपुर की एक स्थानीय अदालत ने नाबालिग लड़की के बलात्कार के जुर्म में एक व्यक्ति को सिर्फ तीन दिन में 12 साल कैद की सजा सुनाई।

मध्य प्रदेश के खंडवा की अदालत ने रेप के आरोपी को प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्राम सेक्सुअल अफेन्सेस एक्ट 2012 के तहत चार दिन के भीतर सुनवाई पूरी कर 14 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई।

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता के बंगले के पास आठ साल की बच्ची के साथ रेप के बाद हत्या मामले में दोषी को अदालत ने मात्र नौ दिनों की सुनवाई में फांसी की सजा सुनाई।

दिल्ली गैंगरेप के बाद किसी शायर का ये कहना ठीक ही लगता है कि गोशे-गोशे में सुलगती है चिता तेरे लिए, जहर ही जहर है दुनिया की हवा तेरे लिए। सवाल यही उठता है कि कहीं न्याय में देरी हैवानों का हौसला तो नहीं बढ़ा रही है?

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