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जस्टिस चंद्रचूड़ बोले- गलत जानकारी के लिए ट्विटर और फेसबुक को भी ठहराया जाए जिम्मेदार

फेक न्यूज के बढ़ते चलन से चिंतित सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि ट्विटर और फेसबुक जैसे इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म को झूठी सामग्री के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। जानें उन्‍होंने और क्‍या बातें कही...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 28 Aug 2021 10:25 PM (IST)Updated: Sun, 29 Aug 2021 12:14 AM (IST)
जस्टिस चंद्रचूड़ बोले- गलत जानकारी के लिए ट्विटर और फेसबुक को भी ठहराया जाए जिम्मेदार
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि ट्विटर और फेसबुक को भी झूठी सामग्री के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

नई दिल्ली, आइएएनएस। फेक न्यूज के बढ़ते चलन से चिंतित सुप्रीम कोर्ट के जज, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि ट्विटर और फेसबुक जैसे इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म को झूठी सामग्री के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। लोगों को सतर्क रहने के साथ विभिन्न विचारों को स्वीकार करने की सीख देते हुए उन्होंने कहा कि नागरिकों के रूप में हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रेस किसी भी तरह प्रभाव से मुक्त हो।

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संस्थानों को मजबूत करने की जरूरत

जस्टिस चंद्रचूड़ छठवें एमसी छागला मेमोरियल आनलाइन लेक्चर में स्पीकिंग ट्रुथ टू पावर : सिटीजंस एंड द ला विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा कि फेक न्यूज के प्रसार का मुकाबला करने के लिए हमें अपने सार्वजनिक संस्थानों को मजबूत करने की जरूरत है।

लोगों के लिए सच्चाई खोजना हुआ मुश्किल

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि नागरिकों के रूप में हमें यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि हमारे पास किसी भी तरह के राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव से मुक्त प्रेस हो। हमें ऐसे प्रेस की जरूरत है जो हमें निष्पक्ष तरीके से जानकारी प्रदान करे। उन्होंने कहा कि हम लोग एक ऐसे दौर में हैं जहां सही जानकारी मिलना कठिन है। लोगों के लिए सच्चाई खोजना बेहद मुश्किल हो गया है। सच्चाई खोजने के बाद भी वे सच्चाई की परवाह नहीं करते।

सत्य को नजरअंदाज करने की प्रवृत्ति बढ़ी

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि 'हमारा सच' बनाम 'तुम्हारा सच' के बीच एक होड़ सी चल रही है। लोगों में ऐसे 'सत्य' को नजरअंदाज करने की प्रवृत्ति भी बढ़ी है जो किसी खास धारणा या राजनीतिक झुकाव के साथ मेल नहीं खाता है। उन्होंने कहा कि हमारा रुझान शोर-शराबे के साथ कही जा रही बातों की ओर होता है। हम अपने विश्वासों का विरोध पसंद नहीं करते। हम एक ऐसी दुनिया में हैं जो सामाजिक, आíथक और धाíमक आधार पर लगातार बंटती जा रही है।

बढ़ रही फेक न्यूज की घटनाएं

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि फेक न्यूज की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसका प्रासंगिक उदाहरण यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में वर्तमान कोरोना महामारी को 'इन्फोडेमिक' करार दिया और आनलाइन गलत सूचनाओं की अधिकता पर प्रकाश डाला।

लोकतंत्र में सच्‍चाई की अहमियत 

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि दार्शनिक हन्ना अरेंड्ट का कथन है कि अधिनायकवादी सरकारें प्रभुत्व स्थापित करने के लिए झूठ पर निरंतर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सत्य को महत्वपूर्ण माना जाता है। लोकतंत्र में सार्वजनिक भावना पैदा करने के लिए सत्य महत्वपूर्ण है। इससे यह संदेश जाता है जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग सत्य खोजने और उसके अनुसार कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

राष्ट्र की नींव बनाता है सत्‍य

उन्‍होंने कहा कि सत्य साझा सार्वजनिक मानस बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो भविष्य में राष्ट्र की नींव का निर्माण कर सकता है। सत्य निर्धारित करने में राज्य की भूमिका पर उन्होंने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि लोकतंत्र में भी राजनीतिक कारणों से झूठ में राज्य लिप्त नहीं होगा। वियतनाम युद्ध में अमेरिका की भूमिका की पोल पेंटागन के दस्तावेज सार्वजनिक होने से खुल गई।

सत्य के लिए राज्य पर निर्भरता नहीं

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कोरोना के संदर्भ में हमने देखा कि दुनिया भर के देशों में डाटा में हेरफेर करने की प्रवृत्ति पैदा हो गई है। इसलिए कोई भी सत्य के लिए सिर्फ राज्य पर निर्भर नहीं रह सकता। उन्होंने स्कूल व कालेजों में सकारात्मक माहौल का आह्वान करते हुए कहा कि इससे छात्रों को झूठ और सच का फर्क करने और सत्ता में बैठे लोगों से सवाल करने का साहस मिलेगा। उन्होंने लोगों से अपने आसपास के लोगों के प्रति दयालु और अधिक संवेदनशील होने का भी आग्रह किया। 


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