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डाटा प्रोटेक्शन फ्रेमवर्क पर आज सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण

डाटा चोरी रोकने को लेकर सख्त कानून बनाने के मसौदे पर काम कर रही जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण कमेटी की रिपोर्ट आज सरकार को मिल जाएगी।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Fri, 27 Jul 2018 12:38 PM (IST)Updated: Fri, 27 Jul 2018 12:55 PM (IST)
डाटा प्रोटेक्शन फ्रेमवर्क पर आज सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण
डाटा प्रोटेक्शन फ्रेमवर्क पर आज सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण

नई दिल्ली (नितिन प्रधान)। डाटा चोरी रोकने को लेकर सख्त कानून बनाने के मसौदे पर काम कर रही जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण कमेटी की रिपोर्ट आज सरकार को मिल जाएगी। जस्टिस श्रीकृष्ण आज (शुक्रवार) शाम को केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद को अपनी रिपोर्ट सौंप देंगे। डाटा लीक की कई घटनाओं के बाद काफी समय से इस रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा था। इस रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार संसद में कानून बनाने का विधेयक पेश करेगी।

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सरकार ने डाटा चोरी को रोकने वाला एक सख्त कानून बनाने के लिए जस्टिस श्रीकृष्ण के नेतृत्व में 10 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। कमेटी की रिपोर्ट का लंबे समय से इंतजार हो रहा था। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक कमेटी काफी पहले ही रिपोर्ट पर अपना काम पूरा कर चुकी है।

सूत्र बताते हैं कि कमेटी भारतीय यूजर्स के डाटा को सुरक्षित रखने के लिहाज से इसे भारत स्थित सर्वरों में ही रखने की सिफारिश कर सकती है। ऐसा होता है तो सभी कंपनियों को सारा डाटा भारत में ही रखना होगा ताकि उसके अन्य इस्तेमाल से बचा जा सके। यही नहीं कमेटी यूजर्स की निजी सूचनाओं को जानकारियों को परिभाषित भी कर सकती है ताकि कानून के पालन को सुनिश्चित किया जा सके।

माना जा रहा है कि कमेटी की रिपोर्ट आने और इसकी सिफारिशों के आधार पर एक सख्त कानून के अमल में आने के बाद तमाम सोशल साइट्स का इस्तेमाल करने वाले करोड़ों ग्राहकों को यह भरोसा मिलेगा कि उनसे जुड़ी सूचना का कोई गलत इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। सूत्र बताते हैं कि समिति की सिफारिशें इस बात को ध्यान में रखकर तैयार की गई हैं जिससे फेसबुक और कैंब्रिज एनालिटिका जैसे मामले दोबारा नहीं दोहराये जा सकें। बृहस्पतिवार को ही सरकार ने कैंब्रिज एनालिटिका के डाटा चोरी मामले की जांच का काम सीबीआइ को सौंपने की घोषणा की है।

पिछले एक दशक के दौरान ग्राहकों से जुड़ी सूचनाओं की सुरक्षा को लेकर कानून बनाने की कई बार कोशिश हुई लेकिन कई वजहों से इसे मूर्त रूप नहीं दिया जा सका। छह वर्ष पहले निजता मामले पर एपी शाह समिति गठित की गई थी। यह कानून सोशल साइट्स पर ही नहीं बल्कि किसी भी इलेक्ट्रोनिक माध्यम में इस्तेमाल होने वाले ग्राहकों  से जुड़ी जानकारी को सुरक्षित रखने का ढांचा देगा। सूत्र बताते हैैं कि समिति ने अपनी सिफारिशों में यह सुनिश्चित किया है कि लोगों की जानकारी प्राप्त करने वाला कोई क्षेत्र चाहे वह दूरसंचार से जुड़ी कंपनी हो अथवा वेबसाइट इस कानून के दायरे से बाहर न रहे। सरकार का मानना है कि भारतीय अर्थव्यस्था का जिस तरह से डिजिटलीकरण हो रहा है उसे देखते हुए एक मजबूत डाटा प्रोटेक्शन कानून बेहद जरुरी है।


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