जस्टिस एके सीकरी सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त, विदाई समारोह में दिया भावुक भाषण
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से शाम को आयोजित विदाई समारोह में जस्टिस सीकरी ने कहा कि पूर्ण न्याय करने के लिए प्रत्येक न्यायाधीश में नारीत्व के कुछ अंश होने चाहिए।
नई दिल्ली, प्रेट्र। जस्टिस एके सीकरी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हो गए। जस्टिस सीकरी ही प्रधान न्यायाधीश के प्रतिनिधि के तौर पर उस उच्चस्तरीय चयन समिति की बैठक में शामिल हुए थे जिसने आलोक वर्मा को सीबीआइ प्रमुख के पद से हटाने का फैसला लिया था।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से शाम को आयोजित विदाई समारोह में जस्टिस सीकरी ने कहा कि पूर्ण न्याय करने के लिए प्रत्येक न्यायाधीश में 'नारीत्व के कुछ अंश' होने चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान जस्टिस सीकरी भावुक हो गए और पूरे करियर के दौरान मिली मदद के लिए न्यायपालिका और वकीलों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, 'प्रकृति से मेरा कुछ अंश नारी सा है। इस लिंग में जिस तरह के गुण होते हैं अगर उस पर जाएं तो मेरे विचार में पूर्ण न्याय करने के लिए प्रत्येक न्यायाधीश में नारीत्व के कुछ अंश होने चाहिए। आखिर न्याय की प्रतीक एक देवी है। बेशक उसकी आंख पर पट्टी बंधी है, लेकिन उसका दिल बंद नहीं है जहां से निष्पक्ष न्याय के गुण निकलते हैं।'
उन्होंने आगे कहा, '65 साल की उम्र में भी मेरे अंदर एक बच्चा है जो मासूमियत जिंदा रखता है और दुर्भावना से बचाकर रखता है। इससे निष्पक्ष न्याय में मदद मिलती है।' जज के मुस्कराने संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि यह अहम नहीं है कि जज कितनी बार मुस्कराता है बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि जज कितनी बार असहाय लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाता है।
इस मौके पर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि जस्टिस सीकरी द्वारा प्रदर्शित आचरण और संवेदनशीलता युवाओं को प्रेरित करना जारी रखेगी। इससे पहले दिन में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एसए बोबडे के साथ पीठ में शामिल होने के दौरान भी जस्टिस सीकरी की आंखें नम हो गई थीं।