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जरा सोचिये- जब नहीं रहेंगे पेड़-पौधे तो क्या बचेगा इंसान का अस्तित्व

हर घर के आंगन में अगर एक गुणकारी पौधा रोपा जाए तो यह आने वाले समय में अनगिनत वरदानों की खान बन जाएगा। तो अब समय न गंवाएं, आओ अच्छे पौधे लगाएं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 12:50 PM (IST)Updated: Mon, 09 Jul 2018 02:00 PM (IST)
जरा सोचिये- जब नहीं रहेंगे पेड़-पौधे तो क्या बचेगा इंसान का अस्तित्व
जरा सोचिये- जब नहीं रहेंगे पेड़-पौधे तो क्या बचेगा इंसान का अस्तित्व

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। आज से कुछ दशक पहले हर जगह प्रकृति अपनी बाहें फैलाए आलिंगन करने को खड़ी रहती थी। पेड़-पौधे, नदी, तालाब, पक्षी और यहां तक कि हवा भी जैसे खुशियों का संगीत सुनाती थी। हर आंगन में एक न एक पेड़ और फूलों के पौधे हुआ ही करते थे। धीरे-धीरे हरियाली की चादर को काटकर इंसानों ने कंक्रीट की परत बिछा दी। अब कुछ और वर्ष अगर हमने लापरवाही बरती तो हर घर में एयर प्यूरीफायर अनिवार्य होगा और सड़कों पर बिना मास्क लगाए निकलना अपनी जिंदगी से खिलवाड़ करने जैसा होगा। हालांकि अभी हालात इतने बदतर नहीं हुए हैं।

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स्वच्छ हवा-पानी और पर्यावरण को हरियाली लौट सकती है, अगर हम पौधरोपण करें। मानसून आ गया है। जमीन पर्याप्त मात्रा में गीली हो चुकी है। लिहाजा यह पौधरोपण का सबसे उपयुक्त समय है। हर घर के आंगन में अगर एक गुणकारी पौधा रोपा जाए तो यह आने वाले समय में अनगिनत वरदानों की खान बन जाएगा। तो अब समय न गंवाएं, आओ अच्छे पौधे लगाएं। पौधरोपण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए आज से शुरू। आओ रोपें अच्छे पौधे सीरीज की पहली किस्त पेश कर रही हैं प्रतिभा सिंह :

जंगल और जलवायु
अन्य अहम प्रत्यक्ष और परोक्ष लाभ के अलावा पौधे कार्बन डाईऑक्साइड को अवशोषित कर हानिकारक कार्बन को अपने अंदर समाहित कर लेते हैं। एक आकलन के मुताबिक दुनिया के कुल जंगलों में 283 गीगाटन कार्बन जमा है। यह मात्रा वायुमंडल में मौजूद कार्बन के मुकाबले 50 फीसद अधिक है। हालांकि जंगलों के जैव भार में जमा कार्बन 1.1 गीगा टन प्रति साल की दर से कम हो रहा है। यह 1.1 गीगाटन कार्बन 25 किग्रा वाली चार अरब बोरियों के बराबर है। यानी दुनिया का यातायात क्षेत्र हर साल जितना उत्सर्जन करता है उससे कहीं ज्यादा साल भर में पेड़ों को काटने से होता है। अगर पेड़ों का कटना थम जाए तो अन्य लाभों के अलावा हमारा वायुमंडल भी प्रदूषण रहित हो सकता है।

कटते जंगल
बढ़ती कृषि एवं औद्योगिक जरूरतें, जनसंख्या वृद्धि, गरीबी, जमीनरहित लोग और उपभोक्ता मांग जैसे कई कारक जंगल को खत्म कर रहे हैं। खाद्य एवं कृषि संगठन की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल 3.5 अरब से 7 अरब के बीच पेड़ काटे जाते हैं। इसमें सबसे ज्यादा 37 फीसद हिस्सेदारी इमारती लकड़ी की होती है।

बढ़ती आबादी
दुनिया की आबादी सात अरब को पार कर चुकी है। 2050 तक इसके साढ़ नौ अरब हो जाने की उम्मीद है। धरती का 31 फीसद भूभाग वनों से आच्छादित है, लेकिन इंसानी जरूरतों के चलते इसका तेज क्षरण जारी है। कभी जंगलों का आच्छादित रकबा कहीं ज्यादा हुआ करता था।

कहां रोपें
किसी भी भवन के दक्षिण या दक्षिण पश्चिम छोर पर पौधरोपण श्रेयस्कर होता है। गर्मी के दिनों में जब सूरज पूरी धरती को झुलसाने पर उतारू हो जाता है और पवन देव भी सुस्ताने लगते हैं तो इन पेड़ों की छांव सुकून देती है। हालांकि सभी पेड़ों को घर के पीछे रोपना ही उचित होता है।

कब रोपें
पौधरोपण का समय कई कारकों पर निर्भर करता है। जैसे किस प्रजाति का पौधा है, भौगोलिक स्थिति क्या है, वहां सिंचाई की क्या व्यवस्था है और उस क्षेत्र में बारिश आदि की स्थिति क्या है। पतझड़ वाले पौधे के लिए ठंड का मौसम सबसे मुफीद होता है। इस मौसम में इसके निष्क्रिय रहने से नुकसान की सबसे कम संभावना होती है। हमेशा हरे-भरे रहने वाले और अर्ध पतझड़ गुणों वाले पौधे के लिए बारिश का समय सबसे उपयुक्त होता है।

समयावधि
मानसून के समय ज्यादातर क्षेत्रों में पौधरोपण मानसून के दौरान किया जाता है। अधिकांश प्रजातियां इस समय अच्छे से पनपती हैं। अच्छी बारिश से जब जमीन अंदर तक नम हो जाती है तो पौधा रोपना ठीक रहता है।

बसंत ऋतु के दौरान
जनवरी और फरवरी के दौरान पौधे के विकास में सहायक होने वाले तापमान समेत कई कारक मौजूद होते हैं। इसलिए कोमल पौधों की रोपाई के लिए यह बढ़िया समय होता है। 


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