एनआरसी समन्वयक के नए आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील
जमीयत उलेमा-ए हिंद ने कहा है कि पिछले साल जब एनआरसी की सूची का आंशिक प्रकाश हुआ था तब राज्य सरकार ने उन लोगों का दोबारा सत्यापन कराने की मांग की थी जिनके रिश्तेदारों के नाम सूची में नहीं थे।
नई दिल्ली, आइएएनएस। जमीयत उलेमा-ए हिंद (जेयूएच) ने आरोप लगाया है कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से मुस्लिमों को बाहर रखने का खेल चल रहा है। जेयूएच ने एनआरसी पर राज्य के समन्वयक हितेश देव सरमा के नए आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि सरमा ने राज्य के सभी डिस्टि्रक्ट रजिस्ट्रार ऑफ सिटीजन रजिस्ट्रेशन (डीआरएसआर) को 13 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि ऐसा संज्ञान में आया है कि बहुत से अवैध नागरिकों और उनके पूर्वजों के नाम एनआरसी में कर दिए गए हैं, जिनकी या तो पहचान संदिग्ध है या वो मतदाता नहीं हैं या जो विदेशी नागरिक घोषित किए जा चुके हैं। उन्होंने ऐसे लोगों के नाम एनआरसी की अंतिम सूची से हटाने को कहा है।
जेयूएच ने कहा है कि पिछले साल जब एनआरसी की सूची का आंशिक प्रकाश हुआ था, तब राज्य सरकार ने उन लोगों का दोबारा सत्यापन कराने की मांग की थी, जिनके रिश्तेदारों के नाम सूची में नहीं थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी मांग खारिज करते हुए कहा था कि दोबारा सत्यापन या एनआरसी की जरूरत नहीं है।