जजों के नाम पर घूसखोरी के मामले में दिए आदेश के औचित्य पर सवाल
जजों के नाम पर घूस लेने से संबंधित एक अन्य याचिका भी सुप्रीम कोर्ट ने कल वाले मामले के साथ संलग्न करने का आदेश दिया था जिसपर आज जस्टिस सीकरी ने सवाल उठाया है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। जजों के नाम पर घूस के मामले में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस एके सीकरी और अशोक भूषण की पीठ ने सवाल खड़ा कर दिया है। जजों ने कहा कि इस मामले में पहले से ही एक याचिका कोर्ट में लंबित है। इसके बाद उसी मामले में दूसरी याचिका दाखिल करने और दूसरी कोर्ट में मामला मेंशन करके का क्या अौचित्य है।
जस्टिस सीकरी ने कहा इसमें ज़रा भी संदेह नही कि ये मामला महत्वपूर्ण है और इस पर सुनवाई होनी चाहिए। CBIने FIRदर्ज की है कोई भी व्यक्ति न्याय बाधित नही करता।सु्प्रीमकोर्ट के हम सभी जज न्याय के लिए ही बैठे है लेकिन याचिकाकर्ता ने यहाँ सुनवाई का इंतज़ार नही किया इससे हमें पीड़ा हुई है
— Mala Dixit (@mdixitjagran) November 10, 2017
जस्टिस सीकरी ने कहा, ‘इसमें ज़रा भी संदेह नही कि यह मामला महत्वपूर्ण है और इस पर सुनवाई होनी चाहिए। CBI ने FIR दर्ज की है कोई भी व्यक्ति न्याय बाधित नही करता। सु्प्रीम कोर्ट के हम सभी जज न्याय के लिए ही बैठे हैं लेकिन याचिकाकर्ता ने यहां सुनवाई का इंतज़ार नही किया इससे हमें पीड़ा हुई है।
इससे पहले जजों के नाम पर घूस लेने से संबंधित एक अन्य याचिका भी सुप्रीम कोर्ट ने कल वाले मामले के साथ संलग्न करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कल कामिनी जायसवाल की जनहित याचिका को महत्वपूर्ण मानते हुए पांच जजों की संविधान पीठ को भेजा था। याचिका में मेडिकल कालेज की मान्यता से संबंधित केस में कोर्ट का आदेश प्रभावित करने के नाम पर रिश्वत लेने के आरोप में सीबीआई द्वारा दर्ज केस को आधार बनाया गया है।
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