वक्फ बिल पर JPC की बैठक में क्यों हुई तीखी बहस? समिति के इन सवालों का अधिकारियों के पास नहीं था कोई जवाब
वक्फ संशोधन विधेयक पर गठित जेपीसी लगातार इससे जुड़े मुद्दों पर बैठकें कर रही है और अलग-अलग लोगों से जानकारी एकत्रित कर रही है। इसी सिलसिले में गुरुवार को समिति के समक्ष मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारी पेश हुए। हालांकि बैठक में तीखी बहस भी देखने को मिली और अधिकारी समिति के कुछ सवालों पर कोई जवाब नहीं दे सके। पढ़िए पूरी जानकारी।
पीटीआई, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के समक्ष गुरुवार को शीर्ष सरकारी अधिकारी पेश हुए। समिति को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वक्फ संपत्तियों, सड़क परिवहन एवं रेलवे मंत्रालयों के भूखंडों के बारे में जानकारी दी गई।
शहरी मामले और सड़क परिवहन सचिव अनुराग जैन और रेलवे बोर्ड के सदस्य (इन्फ्रास्ट्रक्चर) अनिल कुमार खंडेलवाल ने संबंधित मंत्रालयों के अधिकारियों के साथ वक्फ संशोधन विधेयक पर संसदीय समिति के समक्ष प्रजेंटेशन दिया। शहरी मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों ने जेपीसी के सदस्यों को 1911 में दिल्ली शहर के विकास के लिए तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा की गई भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के बारे में बताया।
जवाब नहीं दे सके अधिकारी
सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान उस समय तीखी बहस हुई, जब शहरी मामलों के मंत्रालय के अधिकारी ब्रिटिश प्रशासन द्वारा की गई भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पर सदस्यों के सवालों का जवाब नहीं दे सके। सूत्रों ने बताया कि जेपीसी के सदस्य और द्रमुक सांसद ए. राजा ने कहा कि वक्फ अधिनियम 1913 में पारित किया गया था। शहरी मामलों के मंत्रालय के प्रजेंटेशन में इसका कोई उल्लेख नहीं था।
1970 और 1977 के बीच 138 संपत्तियों पर दावा
मंत्रालय के प्रजेंटेशन के अनुसार, वक्फ बोर्ड ने 1970 और 1977 के बीच 138 संपत्तियों पर दावा किया था, जिन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा नई दिल्ली के विकास के लिए अधिग्रहित किया गया था। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के निर्माण के लिए कुल 341 वर्ग किलोमीटर भूमि अधिग्रहित की गई थी। प्रभावित व्यक्तियों को उचित मुआवजा दिया गया। सदस्य यह भी चाहते थे कि सरकार पता लगाए कि दिल्ली में संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड द्वारा किए गए दावे, वक्फ अधिनियम, 1954 में निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने के बाद किए गए थे या नहीं।