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पर्यटकों का स्टीम लोको ट्रेन में सफर करने का सपना होगा पूरा, अगले साल दौड़ती आएगी नजर

राष्ट्रीय रेल संग्रहालय ऐसे तीन स्टीम लोकों को पुनर्स्थापित कर रहा है, जिसमें सबसे पुराना लोको वर्ष 1865 का होगा।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Sat, 07 Apr 2018 02:35 PM (IST)Updated: Sat, 07 Apr 2018 02:44 PM (IST)
पर्यटकों का स्टीम लोको ट्रेन में सफर करने का सपना होगा पूरा, अगले साल दौड़ती आएगी नजर
पर्यटकों का स्टीम लोको ट्रेन में सफर करने का सपना होगा पूरा, अगले साल दौड़ती आएगी नजर

नई दिल्ली (पीटीआइ)। 150 साल पुराने ऐतिहासिक हेरिटेज 'स्टीम लोको' का सफर करना अब सपना नहीं रहेगा। अगले साल तक पर्यटनों का स्टीम लोको में सवारी करने का सपना पूरा हो जाएगा। बता दें कि राष्ट्रीय रेल संग्रहालय ऐसे तीन स्टीम लोकों को पुनर्स्थापित कर रहा है, जिसमें सबसे पुराना लोको वर्ष 1865 का होगा। फीनिक्स 1920 साल पुराने, 1865 का रामगोती लोको और 1951 के फायरलेस लोकोमोटिव को पर्यटनों के लिए शुरू किया जाएगा। ये सभी तीन लोको विशेषज्ञों के एक समूह द्वारा बहाल किए जा रहे हैं, यानी ये दोबारा पटरी पर दौड़ने नजर आएंगे। कहा जा रहा है कि एक परीक्षण के बाद इन्हें पर्यटकों के उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।

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एनआरएल के डायरेक्टर अमित सौराष्ट्री ने कहा, 'हम पर्यटन के इरादे से इन्हें बहाल कर रहे हैं। इस सात अंत तक फायरलेस लोको को पर्यटनों के लिए शुरू कर दिया जाएगा। जबकि बाकी दो लोको अगले साल तक पटरी पर दौड़ने के लिए तैयार हो जाएंगे। रेल मंत्रालय अपने नेटवर्क में पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर दे रहा है और 160 से अधिक वर्षों के इतिहास को प्रदर्शित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

एक अधिकारी ने बताया कि प्रत्येक लोको का एक अनोखा इतिहास रहा है। उन्होंने बताया, फीनिक्स लोको का आखिरी बार इस्तेमाल बिहार के जमालपुर में किया गया था। वहीं, रामगोती लोको का इस्तेमाल कोलकाता में नगर पालिका द्वारा कचरा निपटान के लिए किया जाता था। फायरलेस लोको में कोई बायलर नहीं था और इसके बजाय इनमें दबाव पोत का इस्तेमाल होता था। भाप को एक स्थिर बॉयलर से दबाव वाले पोत में एकत्र किया जाता था।

इसका उपयोग तेल, जूट जैसे ज्वलनशील पदार्थों के क्षेत्रों में धकेलने के लिए किया जाता था। भाप संचायक की सीमित क्षमता के कारण इस लोकोमोटिव की सीमित गति (18.5 मील प्रति घंटे) थी और यह कम दूरी के क्षेत्रों के लिए सीमित था। यह लोकोमोटिव आखिरी बार झारखंड स्थित सिंदरी फर्टिलाइजर द्वारा इस्तेमाल किया गया था। अधिकारी ने कहा कि इस तरह के लोको की बहाली में समय लगता है क्योंकि उनके अधिकांश हिस्से अप्रचलित होते हैं और इस वजह से मुश्किलें होती हैं। वर्तमान में हर रविवार पर्यटक स्टीम लोको टॉय ट्रेन में सवारी करते हैं।


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