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कैसी रही कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई, जानें वैक्सीन के विकास से लेकर टीकाकरण अभियान तक सबकुछ

केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री मनसुख मंडाविया ने 100 करोड़ वैक्सीनेशन का आंकड़ा पूरा होने के बाद ट्वीट किया कि बधाई हो भारत। दूरदर्शी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थ नेतृत्व का ये प्रतिफल है। हालांकि भारत की कोरोना के खिलाफ जंग में कई तरह की परेशानियां आई है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 12:26 PM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 12:26 PM (IST)
कैसी रही कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई, जानें वैक्सीन के विकास से लेकर टीकाकरण अभियान तक सबकुछ
जानिए कैसी रही भारत की कोरोना टीकाकरण की यात्रा।(फोटो: रायटर्स)

नई दिल्ली, एएनआइ। भारत में कोरोना टीकाकरण अभियान ने गुरुवार को एक और मील का पत्थर हासिल किया जब टीकाकरण का आंकड़ा 100 करोड़ के पार चला गया। कोविन पोर्टल के अनुसार, सुबह 9 बजकर 47 मिनट पर देश में 100 करोड़ वैक्सीन डोज का लक्ष्य हासिल किया गया। इसी साल की शुरुआत में 16 जनवरी, 2021 को भारत के COVID-19 टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई और 10 महीनों में भारत ने यह उपलब्धि हासिल की है। उस समय, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक निर्णायक मोड़ कहा था।

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हालांकि, भारत में कोरोना वैक्सीन की यात्रा दिसंबर, 2019 में चीन के वुहान में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आने के तुरंत बाद शुरू हो गया था। मार्च 2020 तक, दुनियाभर में कई उद्योगों के पतन, अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय सीमाओं के बंद होने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने के बाद दुनिया की कुछ सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को लाकडाउन के लिए मजबूर होना पड़ा था। इसके बाद दुनियाभर में लाखों लोगों की जिंदगी लेने वाले घातक कोरोना वायरस के खिलाफ कारगर हथियार के रूप में वैक्सीन विकसित करने के लिए दुनियाभर के शोधकर्ता जुट गए।

इंडियन ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2020 तक दुनिया भर में 200 से अधिक कोरोना वैक्सीन उम्मीदवार विकसित की जा रही थी के चरण में थे, जिनमें से 52 वैक्सीन का इंसानों पर परीक्षण चल रहा था।

भारत का टीकाकरण अभियान

भारत की विशाल आबादी को वैक्सीन लगाने के लिए देश की औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने आक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन-कोविशील्ड (सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा लाइसेंस के तहत निर्मित) और कोवैक्सीन (भारत की स्वदेशी वैक्सीन, स्थानीय रूप से भारत बायोटेक द्वारा विकसित) को 3 जनवरी, 2021 को हरी झंडी दी। 16 जनवरी, 2021 को शुरू किए गए टीकाकरण अभियान के पहले चरण में सभी स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन की डोज दी गई।

1 मार्च, 2021 को टीकाकरण कार्यक्रम का अगला यानि दूसरा चरण शुरू हुआ जिसमें 60 वर्ष से अधिक की आबादी और 45 वर्ष से अधिक आयु वाले लोग टीकाकरण के लिए पात्र पाए गए। इसी चरण को 1 अप्रैल को 45 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों के लिए बढ़ा दिया गया था।

13 अप्रैल, 2021 को देश की औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने रूस की स्पुतनिक वी वैक्सीन (डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज द्वारा लाइसेंस के तहत निर्मित) के इस्तेमाल को मंजूरी दी। इसके बाद कोरोना के खिलाफ राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम का विस्तार पूरी वयस्क आबादी के लिए कर दिया गया।

1 मई, 2021 से 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन लेने की मंजूरी दे दी गई। इसके साथ, भारत दुनिया का वह पहला देश बन गया जिसने सभी वयस्कों को वैक्सीन लेने की अनुमति दी। तब से लेकर अब तक के बीच भारत ने तीन और कोरोना वैक्सीन माडर्ना, जानसन एंड जानसन और ज़ायडस कैडिला को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी है।

बच्चों की वैक्सीन को भी मंजूरी

12 अक्टूबर को, ड्रग रेगुलेटर की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन( Covaxin) को 2-18 साल की उम्र के बच्चों के लिए भी इमरजेंसी इस्तेमाल की सिफारिश की थी। Zydus Cadila की वैक्सीन का नाम ZyCoV-D है। अहमदाबाद स्थित फार्मा कंपनी ने देश की दूसरी स्वदेशी वैक्सीन के लिए DCGI से इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी प्राप्त की है। यह दुनिया की पहली प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन है।


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