कैदी नंबर 130 आसाराम हंसा, रोया और जेल का ही खाना खाकर सोया
आसाराम का जोधपुर सेंट्रल जेल में कैदी के रूप में पहला दिन काफी बदला-बदला सा रहा।
जयपुर (जागरण संवाददाता)। नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद आसाराम का जोधपुर सेंट्रल जेल में कैदी के रूप में पहला दिन काफी बदला-बदला सा रहा। वह हंसा, रोया और एक समय ऐसा भी आया जब जेल का ही नाश्ता कर सो गया।
वार्ड नंबर दो में है आसाराम
जेल में रहते हुए पिछले 56 माह से अपनी दिनचर्या खुद तय करने वाले आसाराम को गुरुवार से जेल नियमों का पालन करना पड़ा। आसाराम को जेल के वार्ड नंबर दो की बैरक नंबर एक में रखा गया है। जेल रिकॉर्ड में आसाराम अब कैदी नंबर-130 हो गया। गुरुवार सुबह कैदियों की हाजिरी हुई तो जेलकर्मी ने जैसे ही कैदी नंबर 130 पुकारा, वैसे ही आसाराम ने हाथ खड़ा किया और फिर बोला-हरे राम। जेल में लगी घंटी बजते ही अन्य कैदियों की तरह सूर्योदय से पहले ही आसाराम को भी उठा दिया गया। नित्य क्रिया से निवृत होने के बाद आसाराम ने करीब 15 मिनट तक योगा किया। अन्य कैदियों की तरह सुबह नाश्ते में भीगी मूंग व मूंगफली के साथ गुड़ खाया। उसको स्टील के ग्लास में चाय दी गई।
जेल में एक दरी, दो कंबल और एक कुर्सी
जेल प्रशासन ने आसाराम को अन्य कैदियों की तरह बुधवार शाम को ही एक थाली, दो कटोरी और स्टील का एक ग्लास दे दिया था। उसकी बैरक में एक दरी और दो कंबल पहले से ही हैं। कमर दर्द के कारण बैठने के लिए लोहे की एक कुर्सी भी दी गई है। जेल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार आसाराम ने गुरुवार सुबह उठने के बाद नित्य क्रियाकर्म किया और नाश्ता करने के बाद जप शुरू कर दिया। करीब एक घंटे तक वह हाथ में माला लेकर बैठा रहा और बीच-बीच में जय श्री राम, 'होई है वही जो राम रचि राखा' बोलता रहा। इसके बाद थोड़ी देर अपनी बैरक में ही टहला फिर दरी के ऊपर कंबल बिछाकर सो गया। दोपहर को भोजन में जेल नियमों के अनुसार दाल और रोटी दी गई, लेकिन उसने पहले तो खाने से मना किया, मगर थोड़ा खाना खाया। गौरतलब है कि अब तक उसको आश्रम से आने वाले टिफिन का खाना खाने की अनुमति थी।
पल-पल बदला आसाराम अंदाज
जेल कर्मियों के अनुसार आसाराम कभी असहज नजर आता है तो कभी अपने हाथों को फैलाकर हंसने लगता। गुरुवार शाम को आसाराम सिर पर हाथ रखकर जोर-जोर से रोने लगा और फिर थोड़ी ही देर बाद शांत हो गया।
राम-नाम का जप करती रही शिल्पी
महिला जेल में बंद शिल्पी ने गुरुवार को सुबह अन्य महिला कैदियों की तरह दिनचर्या शुरू की और दिनभर साथी कैदियों से बातचीत करती रही। बीच-बीच में वह राम-नाम का जप करती रही। शिल्पी कुछ देर के लिए असहज भी हुई थी, लेकिन फिर सामान्य हो गई । जेल प्रशासन ने शिल्पी को कैदी नंबर-76 नाम दिया है। गौरतलब है कि शिल्पी को 20 साल की सजा हुई है।
शरद ने पढ़ा हनुमान चालीसा
आसाराम के सेवक रहे शरद की 20 साल की सजा का पहला दिन गुरुवार से शुरू हुआ तो वह सुबह से ही परेशान नजर आया। उसने अन्य कैदियों की तरह दिनचर्या शुरू की और जेल प्रशासन की ओर से दिया गया नाश्ता एवं खाना भी खाया । शरद ने कुछ देर हनुमान चालीसा का पाठ किया। जेल में उसकी पहचान अब कैदी नंबर 129 है।
डीआइजी जेल विक्रम सिंह बोले-आसाराम पूरी तरह स्वस्थ
जोधपुर के डीआइजी जेल विक्रम सिंह ने बताया कि जो व्यवहार सजायाफ्ता कैदियों के साथ होता है,वही आसाराम के साथ किया जा रहा है। आसाराम पूरी तरह से स्वस्थ है । उन्होंने बताया कि आसाराम को अब तक उसके जोधपुर स्थित आश्रम से आने वाला भोजन करने की अनुमति थी, लेकिन अब उसे जेल का खाना ही खाना होगा। आमतौर पर वह शाम को खाना नहीं खाता है, वह केवल दूध ही पीता है। इसलिए वह जेल की कैंटीन से दूध ले सकेगा। इसके लिए उसकी तरफ से कैंटीन में रुपये जमा कराने होंगे। आसाराम को पौधों को पानी देने का काम दिया जा सकता है।