Move to Jagran APP

आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे नौकरियों के मौके, रेडक्रास जैसे संगठन में कर सकते हैं काम

आपदा प्रबंधन एक चुनौतीपूर्ण फील्ड है जहां जरूरत पड़ने पर लोगों की जानमाल बचाते समय खतरों से भी खेलना पड़ता है। इसलिए आपदा प्रबंधन के प्रोफेशनल्स में साहसिक प्रवृत्ति के साथ-साथ उनमें समाजसेवी भावना होनी चाहिए तभी इस फील्ड का आनंद उठा पाएंगे।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 17 Feb 2021 03:21 PM (IST)Updated: Wed, 17 Feb 2021 03:21 PM (IST)
आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे नौकरियों के मौके, रेडक्रास जैसे संगठन में कर सकते हैं काम
आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षित युवाओं की काफी जरूरत।

नई दिल्ली, जेएनएन। पिछले दिनों उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से आयी भारी तबाही के बीच राहत अभियान में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, स्थानीय प्रशासन तथा पुलिस की बड़ी भूमिका देखी गयी। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पिछले 20 सालों में प्राकृतिक आपदाओं में तेजी से वृद्धि हुई है। इस मामले में  अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरे स्थान पर है। हर साल इन आपदाओं में हो रही क्षति को देखते हुए आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षित युवाओं की काफी जरूरत देखी जा रही है, जो मुश्किल परिस्थितियों से निपटने में कुशल होते हैं...

loksabha election banner
यूएन ऑफिस फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 19 सालों में (2000-2019 तक) दुनियाभर में लगभग 7,348 प्राकृतिक आपदाएं आयी हैं। इस दौरान अकेले भारत में करीब 321 प्राकृतिक आपदाएं आयीं। उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने का ताजा उदाहरण हमारे सामने है, जिसमें फंसे लोगों को निकालने का कार्य अभी भी जारी है। इसी तरह पिछले कुछ महीनों में दिल्ली एनसीआर समेत देश के तमाम हिस्सों में बार-बार भूकंप आने की घटनाएं भी देखी जा रही हैं।
 
बीते दिनों लोकसभा में सरकार ने भी माना कि 21वीं सदी में जलवायु और मौसम बदलने से देशभर में भारी बारिश, बाढ़, सूखा, तूफान, भूकंप, हीटवेव और कोल्डवेव जैसी जैसी घटनाएं बढ़ी हैं, जिससे कुशलतापूर्वक निपटने के लिए इन दिनों आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षित लोगों की काफी आवश्यकता देखी जा रहा है, जो तत्काल राहत कार्य पहुंचाने से लेकर आपदाओं से बचने के लिए लोगों को जागरूक कर सकें। पिछले कुछ सालों से इंडस्ट्रियल सेफ्टी पर जोर दिये जाने से मैन्युफैक्चरिंग समेत तमाम इंडस्ट्रीज में भी ऐसे प्रोफेशनल्स के लिए संभावनाएं काफी बढ़ गयी हैं।
 
जॉब्स के बढ़ते मौके

आपदा प्रबंधन की पढ़ाई के बाद सरकारी और गैर-सरकारी दोनों तरह के संस्थानों में ऐसे प्रोफेशनल्स को नौकरियों में काफी प्राथमिकता दी जा रही है। सरकारी क्षेत्रों में केंद्र सरकार की नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथारिटी के अलावा राज्य सरकारों के आपदा प्रबंधन विभाग, अग्निशमन विभाग के अलावा केमिकल, खनन व पेट्रोलियम जैसे रिस्क वाले जगहों पर अभी इनकी सबसे अधिक जरूरत देखी जा रही है, जहां कंसल्टेंट, सिक्युरिटी एडमिनिस्ट्रेटर, सिक्युरिटी एनालिस्ट, सिक्युरिटी सुपरवाइजर जैसे पदों पर नौकरी पायी जा सकती है। इसके अलावा, यूनिसेफ, रेडक्रास जैसी तमाम अंतरराष्ट्रीय संगठनों से लेकर तमाम एनजीओज में इस पृष्ठभूमि के लोगों के लिए काफी मौके हैं। यहां आपदा प्रबंधन इंस्टीट्यूट में अध्यापन और सामाजिक कार्यकर्ता बनने का भी विकल्प है।

आवश्यक योग्यता

आपदा प्रबंधन एक चुनौतीपूर्ण फील्ड है, जहां जरूरत पड़ने पर लोगों की जानमाल बचाते समय खतरों से भी खेलना पड़ता है। इसलिए आपदा प्रबंधन के प्रोफेशनल्स में साहसिक प्रवृत्ति के साथ-साथ उनमें समाजसेवी भावना होनी चाहिए, तभी इस फील्ड का आनंद उठा पाएंगे। अभी विश्वविद्यालयों व शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थानों में आपदा प्रबंधन में स्नातक, परास्नातक तथा पीजी डिप्लोमा जैसे कोर्स ऑफर किये जा रहे हैं, जिसके लिए न्यूनतम योग्यता के रूप में स्नातक होना चाहिए।

सैलेरी

आपदा प्रबंधन में कुशल लोगों को शुरुआत में ही 20 से 25 हजार रुपये तक की सैलरी आसानी से मिल जाती है। प्रबंधन जैसे पदों पर यह सैलरी 50 हजार से एक लाख रुपये या इससे भी अधिक हो सकती है।

 
 प्रमुख संस्थान
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेसिंग, देहरादून (www.iins-nrsc.gov.in)
  • सेंटर फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट स्टडीज, नेपाल (www.cdms.org.np)
  • ज्फायर, सेफ्टी ऐंड डिजास्टर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, गुजरात (www.fsdmi.ac.in)
  • डेल्ही कॉलेज ऑफ फायर सेफ्टी इंजीनियरिंग, दिल्ली (www.dcfse.com)
  • डेल्ही इंस्टीट्यूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग, दिल्ली (www.dife.in)
 
 
एनडीआरएफ-एसडीआरएफ में एंट्री
कहीं भी किसी तरह की आपदा में लाल जैकेट पहने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवान हमें जरूर दिख जाते हैं। देश के विभिन्न लोकेशंस पर तैनात एनडीआरएफ की टीमें तुरंत ही घटनास्थल पर पहुंच जाती हैं। ऐसी आपदाओं से निपटने में ये काफी कुशल होते हैं, जो स्थानीय पुलिस और प्रशासन के साथ मिलकर आपदा में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में अपना सहयोग देते हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ में डायरेक्ट भर्ती नहीं होती। इसमें सेना समेत देश के सभी अर्धसैनिक बलों से जवान और अफसर सात वर्ष के लिए डेप्युटेशन पर लिए जाते हैं। देश भर में अभी एनडीआरएफ (नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) के कुल 12 बटालियंस हैं। वहीं, राज्यों में भी इसके लिए रात्य स्तर अलग से एसडीआरएफ की टीमें होती हैं। अगर आप भी राहत-बचाव कार्य में जुटे इन जवानों की तरह एनडीआरएफ और एसडीआरएफ का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो सेना या अद्र्धसैनिक बलों में भर्ती होकर अपना यह सपना पूरा कर सकते हैं।
 
आपदा प्रबंधन के जानकारों के लिए काफी संभावनाएं
यूनिसेफ की कंसल्टेंट मोनिषा दुबे ने कहा,' हाल के वर्षों में आपदा मैनेजमेंट के जानकारों की आवश्यकता तेजी से बढ़ रही है। विकट परिस्थितियों में राहत कार्य के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें जी-जान से जुटती हैं। इस तरह की टीम में शामिल जवानों को विपरीत और जोखिमपूर्ण परिस्थितियों में काम करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षण दिया जाता है। शासन-प्रशासन के निर्देश पर इन्हें यथाशीघ्र राहत स्थल पर पहुंचना होता है। इस तरह के प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स की जरूरत इंडस्ट्रियल सेफ्टी फील्ड में भी होती है। ये कारखानों में दुर्घटना की स्थिति में राहत कार्यों में सबसे आगे होते हैं। उद्योग-धंधों की संख्या बढ़ने पर वहां कार्यरत लोगों और संसाधनों की सुरक्षा की चिंता भी रहती है, ऐसे में साहसी और सेवाभाव रखने वाले युवाओं के लिए इस क्षेत्र में नौकरियों के मौके लगातार बढ़ रहे हैं।'
 

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.