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सेवा क्षेत्र: होगा विस्तार, बढ़ेगा रोजगार

सेवा क्षेत्र की अहमियत इसलिए है क्योंकि देश के सकल घरेलू उत्पाद में करीब 53 प्रतिशत योगदान देता है।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 30 Jun 2017 08:42 PM (IST)Updated: Fri, 30 Jun 2017 08:42 PM (IST)
सेवा क्षेत्र: होगा विस्तार, बढ़ेगा रोजगार
सेवा क्षेत्र: होगा विस्तार, बढ़ेगा रोजगार

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दूरसंचार और बैंकिंग-जैसी सेवाओं पर जीएसटी की दर मौजूदा सेवा कर की दर से अधिक रखे जाने से पहली नजर में यह महंगाई बढ़ाने वाला भले ही लगे लेकिन हकीकत यह है कि सेवा क्षेत्र में इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा मिलने से सेवाओं पर टैक्स का बोझ ज्यादा नहीं बढ़ेगा। माना जा रहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद सेवा क्षेत्र का और विस्तार होगा जिससे इस क्षेत्र में रोजगार के और अवसर बढ़ेंगे।

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सेवा क्षेत्र की अहमियत इसलिए है क्योंकि देश के सकल घरेलू उत्पाद में करीब 53 प्रतिशत योगदान देता है। देश में आने वाले कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में से आधे से अधिक सेवा क्षेत्र में ही आता है। इसके अलावा 28 प्रतिशत रोजगार इसी क्षेत्र से आता है। इसके अलावा सेवा क्षेत्र देश के लिए विदेशी मुद्रा जुटाने में भी मदद करता है जिससे चालू खाते के घाटे को पाटने में मदद मिलती है।

आम लोगों के इस्तेमाल की कई सेवाएं जैसे शिक्षा और स्वास्थ्य को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है जबकि अधिकांश सेवाओं को 18 प्रतिशत दर की स्लैब में रखा गया है। सिर्फ चार श्रेणी की सेवाएं ही हैं जिन्हें जीएसटी की 28 प्रतिशत दर की स्लैब में रखा गया है। इस श्रेणी में सबसे अहम है साढ़े सात हजार रुपये प्रतिदिन टैरिफ वाले होटल के कमरे जिन पर 28 प्रतिशत टैक्स लगेगा। इसी तरह इंडियन प्रीमियर लीग जैसी प्रतिस्पर्धाओं, रेस क्लब और गैम्बलिंग पर भी जीएसटी की 28 प्रतिशत की दर लागू होगी।

केंद्रीय जीएसटी कानून में जिन सेवाओं का अलग से जिक्र नहीं किया गया है, उन पर जीएसटी की 18 प्रतिशत की दर ही प्रभावी होगी। करीब आधा दर्जन सेवाओं को 12 प्रतिशत के स्लैब में रखा गया है। इसके अलावा रीएल एस्टेट जैसी सेवाओं को जीएसटी की 18 प्रतिशत की दर में रखा गया है।

कुल मिलाकर जीएसटी की प्रस्तावित दरें ऐसी हैं जिससे इस क्षेत्र का तेजी से विस्तार होगा। देश के जीडीपी में सबसे बड़ा योगदान सेवा क्षेत्र का है, इसलिए यह लाजिमी है कि इस क्षेत्र से ही अधिकाधिक राजस्व जुटाया जाए। इसलिए अधिकांश सेवाएं 18 प्रतिशत की स्लैब में ही हैं। इससे सरकार को खजाना भरने में तो मदद मिलेगी ही लेकिन इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा मिलने से इस क्षेत्र के व्यवसाइयों को भी राहत मिलेगी।

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