दुष्कर्मी को फांसी की सजा, महिला जज ने कहा- मेरा कलेजा फट गया तो मां कैसे सोई होगी
जज ने अपने फैसले में कहा कि इस तरह के काम कर सजा पाने वाले लोगों को समाज में सुधार का कोई हक नहीं मिलना चाहिए।
जयपुर(जेएनएन)। राजस्थान के झुंझुनूं में तीन साल की मासूम से दुष्कर्म के मामले में पॉक्सो कोर्ट ने आरोपित को फांसी की सजा सुनाई है। झुंझुनूं फास्ट ट्रैक कोर्ट की अतिरिक्त जिला न्यायाधीश नीरजा दाधीच ने दुष्कर्म के आरोपित विनोद को फांसी की सजा सुनाई है।
खास बात यह है कि यह फैसला घटना के 28 दिनों में ही सुना दिया गया है। दो अगस्त को मासूम से दुष्कर्म किया गया था। तीन साल की मासूम के साथ की गई दरिंदगी के दोषी को मौत की सजा सुनाते वक्त अतिरिक्त जिला न्यायाधीश नीरजा दाधीच बेहद भावुक हो उठीं और फैसले में कविता लिखकर सुनाई।
वह मासूम नाजुक आंगन की कली थी
मां-बाप की आंख का तारा थी अरमानों से बनी थी
जिसकी मासूम अदाओं से मां-बाप का दिल बन जाता था
कुछ छोटी सी बच्ची थी ढ़ंग से बोल नहीं पाती थी
दिखाकर जिसकी मासूमियत उदासी बन जाती थी
जिसने जीवन के केवल तीन बसंत ही देखे थे
उससे यह हुआ अन्याय कैसे विधि के लेखे थे
एक 3 साल की बेटी पर यह कैसा अत्याचार हुआ
एक बच्ची को दंगों से बचा नहीं सके
ऐसा मुल्क लाचार हुआ
उस बच्ची पर जुल्म हुआ वह कितना रोई होगी
मेरा कलेजा फट गया तो मां कैसे सोई होगी
इस मासूम को देख मन में प्यार भर जाता है
देख उसी को मन में कुछ हैवान उतर आता है
कपड़ों के कारण होते हैं रेप, कहे उन्हें कैसे बतलाऊं मैं
आज 3 साल की बच्ची को साड़ी कैसे पहनाऊं मैं
अगर अब भी न सुधर सके तो एक दिन ऐसा आएगा
इस देश को बेटी देने में भगवान भी घबराएगा
जज ने अपने फैसले में कहा कि इस तरह के काम कर सजा पाने वाले लोगों को समाज में सुधार का कोई हक नहीं मिलना चाहिए।
मलसीसर थाने में इस घटना का मामला दर्ज हुआ था। झुंझुनूं के पॉक्सो कोर्ट में मामले की लगातार सुनवाई की गई। तीन साल की यह मासूम बच्ची अपनी मां के साथ अपने ननिहाल आई हुई थी। बाइक पर फेरी लगाकर बर्तन बेचने वाले विनोद ने दो अगस्त की सुबह बच्ची को घर में अकेला पाकर उसके साथ दुष्कर्म किया था।
पुलिस ने घटना के दूसरे दिन तीन अगस्त को आरोपित विनोद को चिड़ावा से गिरफ्तार कर लिया था। उसके खिलाफ पॉक्सो एक्ट व दुष्कर्म के मामले में मलसीसर थाना पुलिस ने चालान पेश किया था। झुंझुनूं पुलिस ने यह मामला स्पेशल केस स्कीम में लिया था। इसके कारण 28 दिनों में ही कोर्ट ने फैसला सुना दिया।