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नोटबंदी के बाद तेजी से कैशलेस की तरफ बढ़ा झारखंड

डिजिटल ट्रांजेक्शन में खासा सुधार के बावजूद सरकार की कैशलेस प्रखंड की घोषणा एक साल बाद भी पूरी तरह से मूर्त रूप नहीं ले सकी है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 08 Nov 2017 09:30 PM (IST)Updated: Wed, 08 Nov 2017 09:30 PM (IST)
नोटबंदी के बाद तेजी से कैशलेस की तरफ बढ़ा झारखंड
नोटबंदी के बाद तेजी से कैशलेस की तरफ बढ़ा झारखंड

रांची, आनंद मिश्र । नोटबंदी की पहली सालगिरह पर सरकार और विपक्ष में चल रही जुबानी जंग से इतर झारखंड में इसके सकारात्मक परिणाम भी दिखे हैं। राज्य कैशलेस ट्रांजेक्शन की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। साल भर पूर्व जहां डिजिटल लेनदेन की बातें झारखंड में सिर्फ हवा में समझी जाती थीं वह अब मूर्त रूप लेने लगी हैं। सरकारी कामकाज के साथ-साथ आम लोगों ने भी कैशलेस ट्रांजेक्शन को अपनाया है। आंकड़े भी इसकी पुष्टि कर रहे हैं।

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नोटबंदी का एक उद्देश्य बाजार में नकदी के फ्लो को कम करना था, जिसमें झारखंड जैसे पिछड़े राज्य ने काफी हद तक नजीर पेश की है। राज्य सरकार ने कैशलेस झारखंड के सपने को साकार करने की शुरुआत स्वयं से की है। राज्य सरकार में पांच हजार रुपये से ऊपर के सभी ट्रांजेक्शन अब कैशलेस हो रहे हैं। आम जनता के बीच भी कैशलेस ट्रांजेक्शन 25 फीसद तक बढ़ा है।

राज्यस्तरीय बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 1.36 करोड़ डेबिट कार्ड और 10 लाख क्रेडिट कार्ड जारी किए गए हैं। नोटबंदी से पूर्व इसका स्पष्ट आंकड़ा कितना था, यह तो बैंक अधिकारी बता नहीं पा रहे हैं लेकिन यह दावा अवश्य कर रहे हैं कि डेबिट और क्रेडिट कार्ड से खरीद में 25 फीसद की वृद्धि पिछले महज एक साल में दर्ज की गई है। हर परिवार डेबिट कार्ड का उपयोग कर रहा है। 18 लाख लोग नेट बैंकिंग से जुड़े हैं। व्यापार में डिजिटल ट्रांजेक्शन में खासी वृद्धि हुई है। राज्य के वित्त सचिव सत्येंद्र सिंह कहते हैं कि नोटबंदी से पूर्व 6300 ई-पॉश मशीन चलन में थी। इनकी संख्या अब बढ़कर 23 हजार हो गई है। सीधे शब्दों में समझें तो खरीदारी में कैशलेस ट्रांजेक्शन साढ़े तीन गुना से अधिक बढ़ा है।

कैशलेस प्रखंड से अभी भी हैं दूर

डिजिटल ट्रांजेक्शन में खासा सुधार के बावजूद सरकार की कैशलेस प्रखंड की घोषणा एक साल बाद भी पूरी तरह से मूर्त रूप नहीं ले सकी है। गत दिसंबर में पहले कैशलेस ब्लॉक नगड़ी को बनाने की घोषणा की गई थी, इसके अलावा हर जिले से दो से तीन गांवों को कैशलेस करना था लेकिन व्यावहारिक दिक्कतों के कारण दावे हकीकत में तब्दील नहीं हो सके। वित्त सचिव सत्येंद्र सिंह कहते हैं कि इस दिशा में सरकारी अमला प्रयासरत है। हर जिले में ई-मर्चेट मैनेजर और हर ब्लॉक में ई-ब्लॉक मैनेजर बनाए गए हैं। इनका काम आमलोगों और व्यापारियों को कैशलेस ट्रांजेक्शन के लिए प्रेरित करना है। आमलोगों को डेबिट और क्रेडिट कार्ड के साथ-साथ नेट बैंकिंग की जानकारी देना और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को ई-पॉश मशीन के साथ-साथ डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए प्रेरित करने की दिशा में इन्हें लगाया गया है। शीघ्र ही इसका परिणाम सामने आएगा।

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