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जजों के चयन में नही होनी चाहिए राजनैतिक दखलंदाजी : राम जेठमलानी

देश के जाने माने वकील राम जेठमलानी ने बुधवार को सुप्रीमकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति की नयी व्यवस्था देने वाले एनजेएसी कानून पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति में राजनैतिक हस्तक्षेप ठीक नहीं है। जजों के चयन में कार्यपालिका को अधिकार देने वाला एनजेएसी कानून असंवैधानिक

By Murari sharanEdited By: Published: Wed, 29 Apr 2015 04:51 PM (IST)Updated: Wed, 29 Apr 2015 09:48 PM (IST)
जजों के चयन में नही होनी चाहिए राजनैतिक दखलंदाजी : राम जेठमलानी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के जाने माने वकील राम जेठमलानी ने बुधवार को सुप्रीमकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति की नयी व्यवस्था देने वाले एनजेएसी कानून पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति में राजनैतिक हस्तक्षेप ठीक नहीं है। जजों के चयन में कार्यपालिका को अधिकार देने वाला एनजेएसी कानून असंवैधानिक है। इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में पड़ेगी।

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सुप्रीमकोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधानपीठ आजकल एनजेएसी कानून की वैधानिकता पर विचार कर रही है। बुधवार को वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने हस्तक्षेप अर्जी दाखिल करने वाले आशीष दीक्षित की ओर से बहस करते हुए कहा कि एनजेएसी कानून न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करेगा। सुप्रीमकोर्ट की नौ न्यायाधीशों की पीठ पूर्व में दिए गए फैसले में न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर चर्चा कर चुकी है उस फैसले का ध्यान नहीं रखा गया है।

छह सदस्यीय आयोग में दो सदस्य प्रतिष्ठित व्यक्ति होंगे लेकिन उनकी योग्यता अयोग्यता जानबूझ कर तय नहीं की गई है। जेठमलानी ने कहा कि न्यायाधीशों के चयन में राजनैतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। नेताओं को जजों के चयन में नहीं शामिल होना चाहिए। लेकिन इस आयोग में न सिर्फ कानून मंत्री को स्थाई सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है बल्कि उन्हें चयन में मत देने का महत्वपूर्ण अधिकार भी दिया गया है। कानून मंत्री तो कैबिनेट विचार ही आगे बढ़ाएंगे।

कानून मंत्री अगर एक और मत हासिल करने में सफल हो जाते हैं तो वो पूरी चयन प्रक्रिया को बाधित कर सकते है। इस कानून में तो भारत के मुख्य न्यायाधीश को भी एक एक मत हासिल करने के लिए मसक्कत करनी होगी। ये कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। जेठमलानी ने जजों की नियुक्ति में कार्यपालिका के हस्तक्षेप का विरोध करते हुए कहा कि भ्रष्ट सरकार भ्रष्ट न्यायपालिका को बढ़ावा देती है और वो भ्रष्ट जजों की नियुक्ति करेगी। राजनेताओं को जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। राजनेताओं के साथ हमेशा हितों का टकराव रहता है।

उनके लिए उनका चुनाव क्षेत्र महत्वपूर्ण होता है और उनके लिए वोट भी महत्वपूर्ण होते हैं। जेठमलानी ने एनजेएसी में कानून मंत्री और मुख्य न्यायाधीश दोनों के शामिल होने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि न्यायाधीशों से सरकार की निकटता ठीक नहीं होती इससे व्यवस्था को नुकसान हो सकता है। क्योंकि रोज रोज की बैठकों में दोनों के बीच मेलजोल बढ़ता है और उससे व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।

प्रतिष्ठित व्यक्तियों के लिए योग्यता अयोग्यता बताते हुए जेठमलानी ने कहा कि ऐसे व्यक्ति में दो योग्यताएं होनी चाहिए पहली, उसे भारतीय सामाजिक और कानूनी स्थिति की अच्छी समझ हो और दसरी उसे एक न्यायाधीश के लिए जरूरी योग्यता का ज्ञान होना चाहिए। वह व्यक्ति आयोग में सदस्य के तौर पर नियुक्ति के अयोग्य माना जाए जिसके हितों में टकराव होता हो। बहस कल भी जारी रहेगी।

पढ़ें: फैसला होने तक एनजेएसी नहीं करेगा जजों की नियुक्ति


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