Pulwama Terror Attack: आतंक के आकाओं ने आदिल को ऐसे दिया था हमले का आदेश
खुफिया एजेंसियों को पुलवामा हमले से संबंधित कुछ मैसेज मिले हैं। आशंका है कि ये मैसेज हमले के ठीक बाद जैश-ए-मुहम्मद के ग्रुप में भेजा गया है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। सीमा पार बैठे आतंक के आका जम्मू-कश्मीर समेत भारत के अन्य राज्यों में छिपे अपने प्यादों से संपर्क करने के लिए ऐसे तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे वह खुफिया एजेंसियों के सर्विलांस में पकड़े न जाएं। पुलवामा आतंकी हमले (Pulwama Terror Attack) में भी आतंक के आकाओं ने जम्मू-कश्मीर में रहने वाले जैश-ए-मुहम्मद के आत्मघाती आदिल अहमद डार से संपर्क करने के लिए ऐसे ही एक तरीके का इस्तेमाल किया था।
जम्मू-कश्मीर में जांच कर रहीं सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों को संकेत मिले हैं कि जैश-ए-मुहम्मद के हैंडलरों ने पुलवामा हमले में आदिल से संपर्क करने के लिए पीयर-टू-पीयर सॉफ्टवेयर सेवा (peer-to-peer software service) या ऐसे ही किसी मोबाइल एप्लीकेशन का इस्तेमाल किया था। इस सॉफ्टवेयर के जरिए आतंक के आका दिसंबर 2018 तक आदिल अहमद डार के संपर्क में थे। इस दौरान सर्विलांस से बचने के लिए उन्होंने कभी मोबाइल फोन पर संपर्क नहीं किया।
खुफिया एजेंसियों के अनुसार उन्हें कुछ YSMS मैसेज की जानकारी मिली है। आशंका है कि ये मैसेज पुलावामा आतंकी हमले के ठीक बाद जैश-ए-मुहम्मद के ग्रुप में शेयर किया गया है। इस मैसेज में कहा गया है, ‘जैश मुहम्मद मुजाहिदीन का अंतिम संस्कार सफल’ (Successful funeral of Mujahidin Jaish Muhammad)। इसी तरह के एक दूसरे मैसेज में कहा गया है, ‘उन्मादी हमले में भारतीय सैनिक मारे गए और दर्जनों वाहन नष्ट हो गए हैं’ (Indian soldiers killed and dozens of vehicles destroyed in frenzy attack)।
क्या है YSMS मैसेज?
खुफिया एजेंसियों के अनुसार YSMS मैसेज, कूटरचित संदेश (encrypted text messages) भेजने के लिए एक अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रिक्वेंसी मॉडल पर काम करता है। इसके लिए बिना सिम वाले एक मोबाइल फोन को रेडियो सेट से अटैच किया जाता है। ये रेडियो सेट वाईफाई क्षमता वाले एक छोटे ट्रांसमिटर का काम करता है। संदेश प्राप्त करने वाला उचित संचार के लिए प्रेषक के फोन से सीधे संपर्क में होना चाहिए। YSMS एप्लिकेशन 2012 से प्रतिबंधित किया जा चुका है, लेकिन पाकिस्तानी आतंकी संगठनों ने दिसंबर में इस एप्लिकेशन का एक नया वर्जन तैयार कर लिया है। ये नया वर्जन एक रेडियो फ्रिक्वेंसी पर काम करता है, जिसे किसी भी सर्विलांस उपकरण से पकड़ पाना संभव नहीं है।
2015 में पता चला था YSMS मैसेज के बारे में
पाकिस्तान से संचालित होने वाले आतंकी संगठनों जैश और लश्कर ने इस एल्पीकेशन में एक नया एन्क्रिप्शन (Encryption) जोड़ दिया है, जिसके बाद इन संदेशों को सर्विलांस में पकड़ पाना संभव नहीं है। इसने भारत समेत अन्य देशों की सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। सुत्रों के अनुसार भारतीय सुरक्षा बलों को YSMS की जानकारी पहली बार वर्ष 2015 में मिली थी। सेना ने 2015 में एक पाकिस्तानी आतंकी सज्जाद अहमद को गिरफ्तार किया था। उसी से YSMS का पता चला था। इसके बाद से एजेंसियां इस मैसेज सेवा के कोड को समझने (Crack) में जुटी हुई हैं।
क्या होती है पीयर-टू-पीयर सेवा
Peer to Peer (पीयर-टू-पीयर) सेवा को संक्षेप में P2P भी कहते हैं। इसमें पीयर का मतलब कंप्यूटर सिस्टम से है। पीयर-टू-पीयर नेटवर्क में इंटरनेट की मदद से दो कंप्यूटरों के बीच सीधा संचार स्थापित किया जाता है। सीधे संचार का मतलब है कि दो कंप्यूटरों के बीच में इंटरनेट की मदद से कोई फाइल या मैसेज शेयर की जाती है और इसके लिए उन्हें किसी केंद्रीय सर्वर की जरूरत नहीं पड़ती है। मतलब P2P नेटवर्क में यूजर का कंप्यूटर सर्वर के साथ क्लाइंट की भूमिका भी अदा करता है। इसके लिए कंप्यूटर में इंटरनेट के साथ Peer to Peer सॉफ्टवेयर होना भी जरूरी है। सेंट्रल सर्वर की भूमिका न होने के कारण इस नेटवर्क के जरिए भेजे जाने वाले मैसेज को पकड़ पाना संभव नहीं होता है।