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शीर्ष अधिकारी का खुलासा, अस्पताल पहुंचने पर नहीं चल रही थी जयललिता की सांस

अपोलो अस्पताल की एक शीर्ष अधिकारी ने खुलासा किया है कि जब जयललिता को अपोलो अस्पताल लाया गया था तब उनकी सांस नहीं चल रही थी।

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Sat, 16 Dec 2017 10:03 AM (IST)Updated: Sat, 16 Dec 2017 10:20 AM (IST)
शीर्ष अधिकारी का खुलासा, अस्पताल पहुंचने पर नहीं चल रही थी जयललिता की सांस
शीर्ष अधिकारी का खुलासा, अस्पताल पहुंचने पर नहीं चल रही थी जयललिता की सांस

नई दिल्ली, जेएनएन। अपोलो अस्पताल के शीर्ष अधिकारी ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। अधिकारी का कहना है कि जयललिता को पिछले साल 22 सितंबर को जब अस्पताल लाया गया था, तब उनकी सांसें नहीं चल रही थीं। उन्होंने यह भी बताया कि उपचार के दौरान वहां केवल वही लोग मौजूद थे जिनके नामों की लिस्ट जारी की गई थी।

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अन्नाद्रमुक सुप्रीमो 75 दिन अस्पताल में रही थीं। इसके बाद 5 दिसंबर को उनका निधन हो गया था। अपोलो अस्पताल की उपाध्यक्ष प्रीता रेड्डी ने नई दिल्ली में एक निजी टीवी चैनल को बताया कि जब जयललिता को अस्पताल लाया गया था तो उनकी सांस नहीं चल रही थी, उनका उचित इलाज किया गया और उनकी स्थिति में सुधार हुआ। रेड्डी ने कहा की अस्पताल ने नई दिल्ली और विदेश के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सकों से उनका उपचार करवाया।

उन्होंने आगे कहा कि जांच हो रही है, जो सबसे अच्छी चीज है। उनको आंकड़े देखने दीजिए, मेरे ख्याल से उसके बाद सारे रहस्य सुलझ जाएंगे। रेड्डी से जब पूछा गया कि जयललिता के उपचार के समय उनके साथ कौन-कौन था तो उन्होंने कहा कि जरूरत के अनुरूप और दिवंगत मुख्यमंत्री ने जिन लोगों की स्वीकृति दी थी, वे ही इलाज के दौरान उनके साथ थे।

जब रेड्डी से पूछा गया कि फिंगर प्रिंट लेने के समय क्या जयललिता को यह बताया गया था कि उनकी उंगली के निशान लिए जा रहे हैं तो उन्होंने कहा कि मैं इस सवाल का जवाब नहीं दे सकती, क्योंकि मैं तब उनके बेड के पास नहीं थी। गौरतलब है कि यह आरोप लगाया जा रहा है कि तब उपचुनावों में अन्नाद्रमुक के उम्मीदवार तय किये जाने वाले दस्तावेजों पर जयललिता की उंगलियों के निशान लिए गए थे। 

यह भी पढ़ें: जयललिता मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई रोक


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