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नहीं बनी बात, जाट आंदोलन जारी

जाट आरक्षण की मांग को लेकर लगातार तीसरे दिन ट्रैक पर धरना जमाए बैठे जाटों के आंदोलन की आंच अब दबे पांव ही सही लेकिन प्रदेश की लाइफ लाइन बन चुके थर्मल प्लांट तक पहुंचने लगी है। हिसार-भिवानी ट्रैक से आंदोलनकारियों के हटने के आसार कम होते देख खेदड़ थर्मल प्लांट की सांसें अटकने लगी हैं।

By Edited By: Published: Wed, 22 Feb 2012 08:57 AM (IST)Updated: Wed, 22 Feb 2012 04:22 PM (IST)
नहीं बनी बात, जाट आंदोलन जारी

हिसार। जाट आरक्षण की मांग को लेकर लगातार तीसरे दिन ट्रैक पर धरना जमाए बैठे जाटों के आंदोलन की आंच अब दबे पांव ही सही लेकिन प्रदेश की लाइफ लाइन बन चुके थर्मल प्लांट तक पहुंचने लगी है। हिसार-भिवानी ट्रैक से आंदोलनकारियों के हटने के आसार कम होते देख खेदड़ थर्मल प्लांट की सांसें अटकने लगी हैं। बरवाला के पास स्थित राजीव गांधी खेदड़ थर्मल प्लांट में कोयले की आपूर्ति के लिए अधिकारियों ने अब हिसार-भिवानी मार्ग की बजाय सादलपुर-हिसार रेल मार्ग को चुना है परंतु आंदोलन और फैला और यदि यह रूट भी बंद हो गया तो थर्मल को ठप पड़ने से कोई रोक नहीं पाएगा।

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खेदड़ थर्मल प्लांट की दोनों यूनिटों को चलाने के लिए रोजाना छह रैक लगते है। फिलहाल प्लांट के लिए छह रैक रवाना होने को तैयार है जिनमें से तीन बीकानेर जोन व तीन जयपुर जोन में खड़े है जो बुधवार शाम तक सादलपुर-सूरतपुर-हिसार के रास्ते बरवाला पहुंच जाएंगे।

अधिकारियों के अनुसार थर्मल प्लांट में रोजाना कोयले के रैक आते है। बारिश के मौसम को ध्यान में रखते हुए भारी मात्रा में कोयले का स्टाक करना जरूरी हो जाता है क्योंकि बारिश के मौसम आने वाला कोयला गीला हो जाता है और चूरा-चूरा होने लगता है। यह प्लांट के कोई काम नहीं आता। खेदड़ थर्मल प्लांट के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर फ्यूल सुरेंद्र छोक्कर ने बताया कि फिलहाल उनके पास पौने दो लाख मीट्रिक टन कोयला पड़ा है। यदि दोनों यूनिट पूरे लोड पर चलती है तो यह स्टाक नौ-दस दिनों के लिए काफी है। परंतु मांगें न माने जाने की सूरत में आंदोलनकारियों द्वारा की गई घोषणा के अनुसार यदि सभी ट्रैक जाम किए जाने की स्थिति आती है तो स्थिति चिंताजनक हो सकती है।

वहीं आंदोलन के सदस्यों द्वारा टै्रक पर डेरा डालने के तीसरे दिन भी स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है। स्टेशन अधीक्षक राधेश्याम मीणा ने बताया मय्यड़ के पास जाट आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्यों द्वारा रेलवे टै्रक पर जाम लगाने के तीसरे दिन भी स्थिति पहले दिन जैसी है।

उन्होंने कहा कि जाम के कारण रेलवे को रोजाना दस लाख के हिसाब से पिछले तीन दिनों में कई लाख का घाटा हुआ है। यदि रेलवे लाइन रोके जाने का सिलसिला आगामी दिनों में भी चलता रहा तो राजस्व का घाटा और अधिक बढ़ सकता है।

जिन यात्रियों ने हिसार से अन्य स्थानों के लिए आरक्षण करवा रखा है, ऐसे यात्री तीसरे दिन भी सुबह से ही खिड़की पर रिफंड लेने के लिए कतार में लगे रहे। सूत्रों के अनुसार इसी कड़ी में मंगलवार को सोमवार की तुलना में केवल 70 हजार की आरक्षित टिकटों का रिफंड हुआ। सोमवार को यह आंकड़ा सवा लाख को पार कर गया था। रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती इस मार्ग पर रेल यातायात बंद रहेगा।

आरक्षण व अन्य मांगों को लेकर जाट आरक्षण संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहे आंदोलन के तीसरे दिन समझौते के प्रयास विफल हो गए। संघर्ष समिति के सदस्यों व सरकारी दूत बनकर आए बिजली मंत्री रणदीप सुरजेवाला के बीच बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई। जाट तीसरे दिन भी रेलवे लाइन के किनारे जमे रहे। हालांकि बिजली मंत्री ने अगले 24 घंटों में समाधान के रास्ते निकल जाने के संकेत दिए।

जाट आरक्षण आंदोलन को समझौते के साथ किसी निष्कर्ष पर पहुंचाने के मकसद से मंगलवार शाम को बिजली मंत्री रणदीप सुरजेवाला व कृषि एवं खेल राज्यमंत्री सुखबीर कटारिया हिसार हवाई अड्डे पर पहुंचे। सरकार की ओर से वार्ता का न्यौता मिलने पर वहां पहुंचे आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्यों के साथ बातचीत करीब दो घंटे तक चली। गहमागहमी के बीच हुई वार्ता किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई। इसके बाद समिति की ओर से आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया।

इस बैठक में समिति की ओर से आरक्षण, सुनील को शहीद का दर्जा देने, स्मारक स्थल के लिए भूमि देने और जाट आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने की मांग रखीं। इस पर सरकारी प्रतिनिधि के रूप में सुरजेवाला व कटारिया समिति को आश्वस्त नहीं कर पाए। समिति के प्रांतीय अध्यक्ष धर्मपाल सिंह धारीवाल ने वार्ता विफल होने की जानकारी दी।

जाट आरक्षण सहित अन्य मांगों को लेकर गांव रामायण के निकट रेलवे पटरी के दोनों ओर डेरा डाले आंदोलनकारी तीसरे दिन भी मोर्चे पर डटे रहे। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष धर्मपाल छोत की अगुवाई में आंदोलनकारियों ने मांगें पूरी न होने तक आंदोलन जारी रखने की हुंकार भरी।

रविवार को गांव मय्यड़ में रैली का आयोजन कर जाट आंदोलनकारियों ने रेल पटरी के किनारे पड़ाव डाल दिया था।

जाट आरक्षण संघर्ष समिति के प्रांतीय अध्यक्ष धर्मपाल सिंह धारीवाल ने बताया कि समिति की ओर से पहले राज्य में जाटों को आरक्षण दिए जाने की मांग रखी थी। उन्होंने बताया कि सरकार के प्रतिनिधि बनकर आए बिजली मंत्री ने पहले केंद्र में आरक्षण लागू होने तक संयम बनाए रखने की बात कही। उन्होंने कहा कि समिति ने आरक्षण के लिए समय सीमा निर्धारित करने की मांग रखी थी, सरकारी प्रतिनिधियों ने इसे भी नहीं माना।

धारीवाल ने कहा कि अन्य मांगों पर भी बात नहीं बन पाई। इस वजह से शांतिपूर्वक व अहिंसक माहौल में आंदोलन जारी रहेगा।

जाट आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्यों के साथ बातचीत के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए बिजली मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि समझौते के प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में समिति से बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि समिति की ओर से जो पक्ष रखा गया है, जिसे हमने गंभीरता से सुना। उन्होंने कहा कि सरकार तक उनकी बात पहुंचाई जाएगी और उनकी मांगों पर गौर किया जाएगा। सुरजेवाला ने कहा कि आरक्षण का मामला पिछड़ा वर्ग आयोग के पास है।

उन्होंने कहा कि समिति के साथ हुई वार्ता न तो कामयाब हुई और न ही फेल। उन्होंने कहा कि कानून व संविधान के दायरे में ही हर समस्या का समाधान होता है। जाट समुदाय के लोगों से संयम रखने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि रेल या सड़क यातायात बाधित न करें।

आरक्षण की मांग को लेकर रेलवे ट्रैक पर उतरा जाट समुदाय का आंदोलन अपनी मंजिल से अभी काफी दूर खड़ा है। जाट व कई अन्य जातियों को आरक्षण देने या न देने पर पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट ही पहली पायदान अर्थात हियरिंग तक सिमटी हुई है। आयोग द्वारा रिपोर्ट के जरिये केंद्र सरकार को की जाने वाली अनुशंसा में काफी वक्त लग जाएगा।

वहीं यूपी चुनाव की आचार संहिता के चलते केंद्र इस पर कोई फैसला लेने की स्थिति में भी नहीं है। पिछड़ा वर्ग आयोग ने आरक्षण की मांग से संबंधित पुरानी सुनवाई को ही अंजाम दिया है। आयोग के चेयरमेन जस्टिस केसी गुप्ता ने भी इस आशय की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि रेवाड़ी में आरक्षण के लिए प्रतिनिधित्व की अतिरिक्त व अगली सुनवाई होगी।

उन्होंने कहा कि यह सुनवाई पूरी होने पर केंद्र सरकार की एजेंसी सेंटर आफ रिसर्च इन रूरल एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट सर्वे करेगी। उन्होंने बताया कि आरक्षण के संदर्भ में आयोग की रिपोर्ट से पूर्व यह एजेंसी सोशियो-एजुकेशनल इकॉनोमिकल सर्वे करेगी। एजेंसी को काम दे दिया गया है। हाईकोर्ट के सेवानिवृत्ता जज जस्टिस गुप्ता ने बताया कि माह-डेढ़ माह में यह एजेंसी रिपोर्ट सौंप देगी और फिर पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट केंद्र सरकार को जाएगी।

केंद्र चाहे तो भी अपने तौर पर इस समय कोई फैसला संभव नहीं है। उत्तार प्रदेश चुनाव की आदर्श आचार संहिता के चलते सरकार अभी भी कुछ करने की स्थिति में नहीं है।

गौरतलब है कि आरक्षण के लिए कुल बारह जातियों के प्रतिनिधित्व को शामिल किया गया है। इन जातियों में बेशक जाट अग्रिम कतार में है। जाट के अतिरिक्त जट सिख, बिश्नोई, रोड़, त्यागी, ब्राह्माण, अग्रवाल, पंजाबी खत्री, राजपूत व अन्य जातियों के प्रतिनिधित्व शामिल है। पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट तैयार होने में निश्चित तौर पर अभी समय लगेगा। कहा जा सकता है कि आरक्षण की मंजिल अभी दूर.. .. .. है।

गांव रामायण में रेल पटरियों के किनारे शुरू हुए आंदोलन में शामिल होने के लिए भीड़ बढ़ती जा रही है बल्कि रसद और सहयोग भी लगातार बढ़ता जा रहा हैं। दिन-रात मोर्चा संभाले आंदोलनकारियों के हौसले भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं। आंदोलन के रणनीतिकार भी इस आदोलन को लंबा खींचने से इंकार नहीं कर रहे।

रविवार को मय्यड़ में रैली के बाद गांव रामायण के निकट रेलवे पटरियों पर डेरा डालने वाले आंदोलनकारियों ने तीसरे दिन तंबू गाड़ दिए। पहले केवल मौके पर रजाई-गद्दे और गलीचे ही बिछाए हुए थे। आंदोलन के शुरूआती दो दिनों में खानपान का अस्थायी बंदोबस्त किया गया था, लेकिन तीसरे दिन से मोर्च पर भोजन सामग्री पहुंचनी शुरू हो गई हैं, वहीं आंदोलन को जारी रखने के लिए सहयोग राशि भी पहुंचनी शुरू हो गई हैं। आंदोलन के दौरान दिन-भर चाय-दूध और भोजन के खर्च के अलावा लगभग 500 बिस्तरों का भाड़ा, टेंट का खर्चा, लाउडस्पीकर का खर्चा, प्रचार के लिए वाहनों का खर्चा शुरुआती दौर में संघर्ष समिति द्वारा वहन किया गया और अब जाट समाज से जुडे़ लोग इसमें सहयोग करने के लिए आगे आने लगे हैं।

बकौल सातवास खाप के प्रधान धारा सिंह किसी भी आंदोलन के लिए धन एक बड़ी समस्या रहती हैं, ऐसे में समाज की ओर से बड़ा सहयोग किया जा रहा है और अब धन की कोई कमी नहीं हैं।

कौन-कौन सी ट्रेन हुई रद्द

गाड़ी संख्या कहां से कहां तक

54787-88 रेवाड़ी-भिवानी पैसेंजर रद।

54781-82 रेवाड़ी-बठिंडा पैसेंजर रद।

54751-52 श्रीगंगानगर-रेवाड़ी, हिसार- रेवाड़ी के बीच रद।

14085-86 सिरसा-नई दिल्ली एक्सप्रेस भिवानी-सिरसा के बीच रद।

5970-04 हिसार-रेवाड़ी पैसेंजर हिसार-भिवानी के बीच रद।

59701-02 हिसार-भिवानी पैसेंजर रद।

19771-72 जयपुर-अमृतसर एक्स. रद।

19781-82 जयपुर-अमृतसर रद।

12555-56 गोरखपुर-हिसार भिवानी- हिसार के बीच रद।

14519-20 बठिंडा-दिल्ली किसान एक्स. के मार्ग में परिवर्तन, रोहतक, जाखल के रास्ते चली।

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