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रूठे जसवंत निर्दलीय लड़ने पर उतारू

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। दूसरे दलों को छोड़कर भाजपा में आने वालों की होड़ के साथ पार्टी के अंदर नाराजगी भी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी तो मान गए लेकिन अब वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह रूठ गए हैं। संभव है कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ें। तो झांसी से पार्टी की उम्मीदवार उमा भारती को लेकर भी अटकलें तेज रहीं। यह कयास लगाए जाते रहे कि वह झांसी की बजाय भोपाल से लड़ना चाहती हैं।

By Edited By: Published: Fri, 21 Mar 2014 05:05 PM (IST)Updated: Fri, 21 Mar 2014 10:26 PM (IST)
रूठे जसवंत निर्दलीय लड़ने पर उतारू

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। दूसरे दलों को छोड़कर भाजपा में आने वालों की होड़ के साथ पार्टी के अंदर नाराजगी भी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी तो मान गए लेकिन अब वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह रूठ गए हैं। संभव है कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ें। तो झांसी से पार्टी की उम्मीदवार उमा भारती को लेकर भी अटकलें तेज रहीं। यह कयास लगाए जाते रहे कि वह झांसी की बजाय भोपाल से लड़ना चाहती हैं।

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आडवाणी को मना लिया गया है। लेकिन जसवंत को शायद यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए। भाजपा ने उनकी पसंदीदा सीट बाड़मेर से कांग्रेस छोड़कर आए कर्नल सोनाराम को टिकट दे दिया है। ध्यान रहे कि कर्नल सोनाराम उस क्षेत्र के प्रभावी नेता हैं और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चाहती थीं कि बाड़मेर से वही चुनाव लड़ें। वर्तमान में जसवंत दार्जिलिंग से सांसद है। इस बार उन्होंने इच्छा जताई थी कि वह अपने गृह क्षेत्र बाड़मेर से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन राजस्थान में बदले राजनीतिक हालात ने सभी समीकरण भी बदल दिए।

संभावना जताई जा रही है कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। गौरतलब है कि कुछ वर्षो पहले मुहम्मद जिन्ना की प्रशंसा करने के कारण उन्हें पार्टी की नाराजगी झेलनी पड़ी थी। गडकरी के कार्यकाल में उनकी भाजपा में वापसी हुई थी। भाजपा ने शुक्रवार को बाड़मेर के साथ राजस्थान की तीन अन्य सीटों पर अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी। इनमें पाली, अजमेर और करौली-धोलपुर (एससी) शामिल हैं।

पढ़ें : भाजपा में है मतभेद! आडवाणी के बाद अब जसवंत भी नाराज?

दूसरी तरफ उमा भारती को लेकर अटकलें तेज रहीं। हालांकि उन्होंने बयान जारी कर इसका खंडन किया कि उन्होंने पत्र लिखकर भोपाल से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। लेकिन माना जा रहा है कि अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने भाजपा नेतृत्व से अपनी इच्छा का इजहार किया है। यह और बात है कि उनकी यह इच्छा भी पूरी नहीं हो सकती है। दरअसल, मध्य प्रदेश में बदले हालात के बाद स्थानीय नेतृत्व भी नहीं चाहेगा कि उमा इसी बहाने मध्य प्रदेश में वापसी करें।


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