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नए किट से जापानी बुखार की पहचान होगी आसान

सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि इसी किट में थोड़ा बदलाव कर डेंगू और चिकिनगुनिया का शुरू में पता लगाया जा सकेगा।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 29 Nov 2017 09:38 PM (IST)Updated: Wed, 29 Nov 2017 09:38 PM (IST)
नए किट से जापानी बुखार की पहचान होगी आसान
नए किट से जापानी बुखार की पहचान होगी आसान

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जानलेवा बीमारियों का तत्काल पता लगाने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने नया किट जारी किया है। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशीप के तहत बनाए इस किट से जापानी इंसेफेलाइटिस और क्रिमिया कांगो बुखार समेत कई संचारी रोगों का आसानी से पता लगाकर उचित उपचार शुरू किया जा सकेगा। बाद में इसी किट से चिकुनगुनिया और डेंगू की जांच भी जा सकेगी।

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इस किट का विकास पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट आफ विरोलॉजी ने किया है और इसका निर्माण और मार्केटिंग की जिम्मेदारी कैडिला ग्रुप की कंपनी जायडस डायगनॉस्टिक्स कर रही है। आइसीएमआर की महानिदेशक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि जापानी इंसेफेलाइटिस एक जानलेवा बीमारी है और सही समय पर उचित इलाज नहीं मिलने के कारण इससे पीडि़त बच्चों एक चौथाई बच्चों की मौत हो जाती है।

समस्या यह है कि यह बीमारी अधिकांशत ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में होता है। जहां जांच की अत्याधुनिक सुविधाएं नहीं होने के कारण पीडि़त का सही उपचार शुरू नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि नए किट छोटा और सस्ता है। इसे आसानी से चार घंटे के भीतर रोग का पता लगाया जा सकता है। जिससे मरीज को सही इलाज मिल जाएगा। इस साल जापानी बुखार से पीडि़त 1916 लोगों में 226 की मौत की हो गई थी।

सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि इसी किट में थोड़ा बदलाव कर डेंगू और चिकिनगुनिया का शुरू में पता लगाया जा सकेगा। इन दोनों बीमारियों के लक्षण दिखने में समय लग जाता है और जब तक इलाज शुरू होता है, देर हो जाती है। इससे कई मरीजों की मौत हो जाती है। उन्होंने कहा कि आइसीएमआर विभिन्न प्रयोगशालाओं और निजी कंपनियों के साथ मिलकर नई-नई दवाइयों और उपकरणों को विकसित करने की कोशिश कर रहा है, ताकि लोगों को सहज-सुलभ उपचार मिल सके।

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