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दुनिया भर में 2.2 अरब लोगों को नहीं मिलता साफ पानी, कोरोना वायरस से जंग में बन सकता है वरदान

कोरोना वायरस को हराने के लिए जरूरी है सफाई और ये केवल पानी से ही संभव है। लेकिन आज भी अरबों की संख्‍या में लोग इससे महरूम हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 22 Mar 2020 07:53 AM (IST)Updated: Mon, 23 Mar 2020 08:33 AM (IST)
दुनिया भर में 2.2 अरब लोगों को नहीं मिलता साफ पानी, कोरोना वायरस से जंग में बन सकता है वरदान
दुनिया भर में 2.2 अरब लोगों को नहीं मिलता साफ पानी, कोरोना वायरस से जंग में बन सकता है वरदान

नई दिल्‍ली। कोरोना से लड़ाई में इंसानों के लिए वरदान बनी सफाई जिस तरल चीज के बूते संभव हो रही है, वह पानी है। पानी है तो पर्यावरण है, पर्यावरण है शुद्ध जलवायु है। शुद्ध जलवायु है तो इंसान का तन-मन स्वस्थ है। इंसान स्वस्थ है तो उसकी प्रतिरक्षा मजबूत है। शरीर का ये तंत्र मजबूत है तो कोरोना कमजोर रहेगा। पानी की महिमा अपार है। यह हमारा साझा संसाधन है। अमीर-गरीब, जाति, धर्म, नस्ल से परे जब हलक सूखता है तो सबको एक सी और एक ही तलब लगती है। वह है पानी। कल्पना कीजिए, अगर जरूरत पड़ने पर ये तरल आपको न नसीब हो।

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यह सच्चाई है दुनिया के उन एक तिहाई लोगों की, जिन्हें शुद्ध पेयजल नसीब नहीं होता है। आज भी दुनिया भर में 2.2 अरब लोग ऐसे हैं जिनको शुद्ध पेयजल मयस्सर नहीं है। आज विश्व जल दिवस है। पानी की एक-एक बूंद बचाने और इस अनमोल संसाधन के प्रति लोगों को जागरूक करने को लेकर 1993 से दुनिया में यह दिवस मनाया जा रहा है। इस बार की थीम है: जल और जलवायु परिवर्तन। ये दोनों मसले एक दूसरे से जटिलता के साथ गुंथे हुए हैं। जल बचाओगे तो जलवायु परिवर्तन पर रोक लगेगी और जलवायु परिवर्तन रुकेगी तो पानी संरक्षित रहेगा। हमारा पानी का इस्तेमाल ही बाढ़, सूखा, कमी और प्रदूषण की विभीषिका को तय करता है।

जलवायु परिवर्तन पर पानी के असर को संतुलित करके हम स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं। इससे ही हम इंसानों के अनमोल जीवन को बचा सकते हैं। पानी के कुशल इस्तेमाल से हम ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन भी कम कर सकते हैं जो अंतत: जलवायु परिवर्तन की प्रमुख वजह है। ऐसे में विश्व जल दिवस (22 मार्च) के मौके पर आइए, हम सब संकल्पित हों कि पानी के कुशल इस्तेमाल से दुनिया की सबसे बड़ी समस्या जलवायु परिवर्तन को थामने के वाहक बनेंगे।

क्या किया जाए...

अब इंतजार करने की कीमत हम नहीं चुका सकते। जलवायु को लेकर नीति बनाने वालों को अपनी

कार्ययोजना में पानी की प्रभावी भूमिका रखनी होगी।

जलवायु परिवर्तन से लड़ने में पानी मददगार हो सकता है। अब इसके टिकाऊ, सस्ते, लंबे समय तक चलने वाले जल और स्वच्छता से जुड़े समाधान मौजूद हैं।

इस मुहिम में हम किसी की भूमिका अहम है। अपनी दिनचर्या में कोई भी आसान कदमों से जलवायु परिवर्तन रोकने में मदद कर सकता है।

पानी जलवायु परिवर्तन को करेगा परास्त

नम और दलदली जमीन हवा में मौजूद कार्बन डाईऑक्साइड को अवशोषित करती हैं।

ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे और घास-फूस बाढ़ और मिट्टी के कटाव को रोकते हैं।

सूखे दिनों के लिए बारिश के जल का भंडारण किया जा सकता है।

एक बार इस्तेमाल या वेस्टवाटर का पुन: इस्तेमाल करना होगा। 

खेती की ऐसी तरकीबें इस्तेमाल की जाएं जो जलवायु के लिए मददगार हों।

निजी स्तर पर उठें कदम

कम समय तक स्नान करें दस में से चार लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। 80 फीसद स्वच्छ जल का कभी भी शोधन नहीं किया जाता है। ऐसे में स्नान के समय को कम करके हम इस बहुमूल्य प्राकृतिक संपदा को बचा सकते हैं।

शाकाहारी भोजन को प्राथमिकता दें

अपनी दैनिक खुराक की पद्धति में बदलाव करके, पादपों से मिलने वाले आहार को प्राथमिकता देकर और जीव आधारित टिकाऊ भोजन के माध्यम से हम हर साल आठ गीगाटन कार्बन डाईऑक्साइड के समतुल्य ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन रोक सकते हैं।

स्लीपिंग मोड में छोड़े गए टेक गैजेट को ऑफ कर दें। 

वर्तमान में 90 फीसद बिजली का उत्पादन पानी से जुड़ा हुआ है। जब हम अपनी डिवाइसों का इस्तेमाल न कर रहे हों, उन्हें स्विच ऑफ करके कम बिजली खपत करेंगे और अप्रत्यक्ष रूप से पानी बचाएंगे।

खाद्य पदार्थों की बर्बादी न करें।

एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में पैदा किए जा रहे खाद्य पदार्थों का एक तिहाई हिस्सा नष्ट हो जाता है या कचरे में फेंक दिया जाता है। अगर अपनी इस कमी को हम दूर कर लें तो कृषि को बोझ कम होगा। खेती ही पानी की सबसे बड़ी उपभोक्ता है।

टिकाऊ उत्पादों को ही खरीदें।

एक जोड़ी जींस को बनाने में दस हजार लीटर पानी की जरूरत होती है। इतना पानी एक व्यक्ति दस साल तक पीता है। इसलिए हमें उन्हीं उत्पादों का इस्तेमाल करने पर जोर देना चाहिए जो पर्यावरण के लिहाज से टिकाऊ हों। साथ ही जरूरत पूरी करें उन्हें जमा न करें।

एक नजर इधर भी 

2.2 जल है तो कल है आबादी दुनिया के हर तीन में से एक व्यक्ति को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं है। यानी 2.2 आबादी इस श्रेणी में आती है। (डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ 2019)

5.7 अरब

2050 तक दुनिया की 5.7 अरब आबादी ऐसे हिस्सों में रहने को अभिशप्त होगी, जहां साल में एक महीने पानी का गंभीर संकट रहेगा। इससे पानी के लिए अप्रत्याशित प्रतिस्पर्धा खड़ी होगी। (यूनेस्को, 2018)

3.6 लाख

जलवायु से तादाम्य स्थापित करती जलापूर्ति और साफ-सफाई से हर साल हम 3.6 लाख नौनिहालों का जीवन बचा सकते हैं। (यूएन, 2018) 50% यदि हम पूर्व औद्योगिक स्तर से 2 की जगह 1.5 डिग्री सेल्सियस पर ग्लोबल वार्मिंग को सीमित कर दें तो जलवायु परिवर्तन से पानी पर पड़ने वाले दबाव को 50 फीसद कम कर सकते हैं। (यूएन-वाटर 2019)

50%

2040 तक वैश्विक ऊर्जा मांग में 25 फीसद वृद्धि का अनुमान है। जबकि पानी की मांग में 50 फीसद से अधिक की मांग का अनुमान है। इसकी मुख्य वजह मैन्युफैक्र्चंरग, बिजली उत्पादन और घरेलू कार्य हैं। (आइईए 2018 यूनेस्को 2018)

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