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गिलानी ने निशान-ए-पाकिस्तान लेने से किया इनकार, पाक की साजिश फिर नाकाम

कट्टरपंथी नेता ने गुलाम कश्मीर में हुर्रियत कांफ्रेंस की इकाई के संयोजक अब्दुल्ला गिलानी को पाकिस्तान के इशारे पर हटाए जाने पर गत जुलाई में हुर्रियत कांफ्रेंस से इस्तीफा दे दिया था

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2020 10:20 PM (IST)Updated: Sat, 22 Aug 2020 09:58 AM (IST)
गिलानी ने निशान-ए-पाकिस्तान लेने से किया इनकार, पाक की साजिश फिर नाकाम
गिलानी ने निशान-ए-पाकिस्तान लेने से किया इनकार, पाक की साजिश फिर नाकाम

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कट्टरपंथी अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी को अपना सर्वोच्‍च नागरिक सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान देकर कश्मीरियों को साधने व उनका हमदर्द होने का ढोंग रचने की पाक की साजिश फिर नाकाम हो गई है। गिलानी ने यह सम्मान लेने से इन्कार कर दिया है। इस संबंध में गिलानी का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। हालांकि, गिलानी पत्र की पुष्टि करने में असमर्थ हैं, क्योंकि वह एक हफ्ते से गंभीर रूप से बीमार हैं। उनके बेटे ने भी इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है। उनके करीबियों का भी कहना है कि उन्हें भी इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक पत्र से मिली है।

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कट्टरपंथी नेता ने गुलाम कश्मीर में हुर्रियत कांफ्रेंस की इकाई के संयोजक अब्दुल्ला गिलानी को पाकिस्तान के इशारे पर हटाए जाने पर गत जुलाई में हुर्रियत कांफ्रेंस से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने पाकिस्तान सरकार और हुर्रियत नेताओं पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद अलगाववादी खेमे में शुरू हुई हलचल पर विराम लगाने और गिलानी को मनाने के लिए पाक सरकार ने उन्हें निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित करने का फैसला किया था।

14 अगस्त को पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने गुलाम कश्मीर में सक्रिय हुर्रियत नेताओं को यह सम्मान प्रदान किया। समारोह में कट्टरपंथी नेता के करीबी अब्दुल्ला गिलानी को भी नहीं बुलाया गया था। सिर्फ उन्हीं हुर्रियत नेताओं को बुलाया गया, जो गिलानी के विरोधी समझे जाते हैं। हालांकि, गिलानी या उनके किसी करीबी ने इस पर कोई एतराज नहीं जताया था। कुछ पत्रकारों ने गिलानी से संपर्क करने का प्रयास किया था, लेकिन स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण उन्होंने किसी से बात नहीं की। वहीं, दो दिनों से सोशल मीडिया पर गिलानी द्वारा तथाकथित तौर पर लिखा गया एक पत्र लगातार वायरल हो रहा है। इस पत्र में गिलानी निशान-ए-पाकिस्तान को स्वीकार करने से इन्कार कर रहे हैं। इसके अलावा पत्र में कुछ सवाल भी उठाए गए हैं।

परिजन बोले-कुछ भी लिखने में असमर्थ

गिलानी के बेटे नसीम गिलानी ने इस पत्र और सम्मान को नकारे जाने पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इन्कार किया है। उन्होंने कहा, 'मैं इस विषय में कुछ नहीं जानता हूं। कट्टरपंथी नेता की नाती रुवा शाह ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि उनके नाना गंभीर रूप से बीमार हैं। वह कुछ भी लिखने में असमर्थ हैं। बोलकर भी नहीं लिखवा सकते। कुछ स्वार्थी तत्व अपने मकसद के लिए उनकी बीमारी का फायदा लेने की कोशिश कर रहे हैं।

पत्र की सच्चाई पर शक

हुर्रियत कांफ्रेंस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गिलानी बहुत बीमार हैं। वह बिस्तर पर हैं और लिख नहीं सकते। उनका जो पत्र सोशल मीडिया पर चल रहा है, उसकी सच्चाई पर शक होता है। उसमें उर्दू सही नहीं है। उनके परिजनों में से भी किसी ने इसकी पुष्टि नहीं की है, लेकिन एक बात सही है कि वह पाकिस्तान से नाराज जरूर हैं।


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