Move to Jagran APP

Jammu Kashmir को इस शख्स की वजह से मिला पहला Eye Bank, नेत्रदान हुआ संभव

जम्मू कश्मीर में कार्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा न होने से लोग नेत्रदान नहीं कर पाते थे। इसके बाद युवा एडवोकेट सलीम कुरैशी आगे आए और कानूनी लड़ाई लड़कर इसे संभव बनाया।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 14 Aug 2019 09:35 AM (IST)Updated: Wed, 14 Aug 2019 09:56 AM (IST)
Jammu Kashmir को इस शख्स की वजह से मिला पहला Eye Bank, नेत्रदान हुआ संभव
Jammu Kashmir को इस शख्स की वजह से मिला पहला Eye Bank, नेत्रदान हुआ संभव

राज्य ब्यूरो, जम्मू। राज्य में कार्निया ट्रांसप्लंट (Cornea Transplant) की सुविधा न होने से बहुत से लोगों की जिंदगी के अंधेरे उजाले में नहीं बदल पाए। राज्य सरकारों ने जब ऐसे लोगों के लिए कुछ नहीं किया तो जम्मू का एक युवा एडवोकेट सलीम कुरैशी आगे आया। उसने कोर्ट के सहारे न सिर्फ जम्मू में आई बैंक की स्थापना के लिए पूरे चिकित्सा शिक्षा विभाग को विवश कर दिया, बल्कि उन लोगों की इच्छा भी पूरी की, जो पहले नेत्रदान नहीं कर पाते थे। 

loksabha election banner

कुरैशी ने उच्च न्यायालय में कुछ साल पहले जनहित याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को राजकीय मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) अस्पताल जम्मू में आई बैंक स्थापित करने के निर्देश देने के लिए कहा। उच्च न्यायालय ने कई महीनों तक चली जिरह के बाद विभाग को जम्मू और श्रीनगर के मेडिकल कॉलेजों में आई बैंक स्थापित करने के निर्देश दिए, लेकिन एडवोकेट कुरैशी का संघर्ष यही खत्म नहीं हुआ।

कोर्ट के निर्देशों के बावजूद जीएमसी जम्मू ने आई बैंक स्थापित नहीं किया। इसके बाद उन्होंने कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की। कुरैशी ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को आई बैंक स्थापित करने के लिए विवश कर दिया। उनके प्रयासों का ही फल है कि पिछले महीने जम्मू संभाग का पहला आई बैंक जीएमसी अस्पताल जम्मू में स्थापित हुआ। अब इससे नेत्रदान करने वालों की इच्छा पूरी हो सकेगी। जम्मू में कई ऐसे लोग थे जो नेत्रदान के लिए आगे आते थे, लेकिन जब उन्हें पता चलता था कि यहां तो इसकी व्यवस्था ही नहीं है तो वे निराश हो जाते थे। 

जीएमसी अस्पताल में छह मरीजों के कार्निया ट्रांसप्लांट हुए 
आई बैंक के अभाव में कार्निया ट्रांसप्लांट भी न के बराबर होता था। आई बैंक की स्थापना से जीएमसी अस्पताल में छह मरीजों के कार्निया ट्रांसप्लांट हुए हैं। किसी की मौत होने के छह घंटों के भीतर उसका कार्निया लिया जा सकता है। सलीम कुरैशी का कहना है कि यहां पर कई ऐसे नेत्रहीन हैं, जो कार्निया मिलने पर फिर से देख सकते हैं। उनका प्रयास है कि ऐसे लोग फिर से ङ्क्षजदगी के रंग देख सकें। ग्रामीण स्तर पर लोगों को नेत्रदान के प्रति जागरूक किया जा सके। लोगों में नेत्रदान को लेकर कई भ्रांतियां हैं, जिस कारण वे आगे नहीं आते हैं। वे इन भ्रांतियों को दूर करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। 

कई युवाओं को अपने साथ जोड़ा 
एडवोकेट कुरैशी एक गैर सरकारी संस्था स्माइल यूथ क्लब का भी गठन किया है। इसमें वह लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाते हैं। उनका कहना है कि दूरदराज क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत कम हैं। ऐसे लोगों को सुविधाएं दिलाने के लिए अगर उन्हें कोर्ट का सहारा लेना पड़ता है तो इससे भी वह पीछे नहीं हटते। उन्होंने अपने साथ कई युवाओं को जोड़ा है, जो उन्हीं की राह पर चल रहे हैं।

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.