जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने पत्नीटॉप में अवैध होटल निर्माण की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंपा
पत्नीटॉप में कई गेस्ट हाउस व होटलों ने कृषि योग्य जमीन का गलत इस्तेमाल किया है। मरियम बेगम होटल ने हरे-भरे क्षेत्र में व्यवसायिक इमारत बनाई।
जम्मू, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने पर्यटन स्थल पत्नीटॉप में कथित रूप से हुए अवैध निर्माण की जांच सीबीआइ को सौंपी है। बेंच ने पत्नीटॉप के क्रिस्टल होटल एंड रेस्तरां के मालिक हरचरण ¨सह की ओर से दायर जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिए।
जनहित याचिका में पत्नीटॉप के हरेभरे क्षेत्र में हुए अवैध निर्माण को गिराने की मांग की गई है। बेंच ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद सीबीआइ को वन विभाग के अलावा सरकारी जमीन पर हुए कब्जों, जमीन के गलत उपयोग, अवैध निर्माण तथा अवैध निर्माण कराने की सूरत में जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच में चीफ जस्टिस गीता मित्तल व जस्टिस राजेश ने पाया कि 11 अक्टूबर 2019 के आदेशानुसार पत्नीटॉप डेवलपमेंट अथारिटी के सीईओ प्राण सिंह ने रिपोर्ट पेश की, जिसमें पत्नीटॉप में बने होटल-रेस्तरां की जानकारी, जमीन इस्तेमाल की अनुमति व वास्तविक निर्माण के साथ नियमों के उल्लंघन व अतिक्रमण की जानकारी दी।
28 गेस्ट हाउस और होटल बिना पंजीकरण के
बेंच ने पाया कि रिपोर्ट में साफ है कि कई गेस्ट हाउस व होटलों ने कृषि योग्य जमीन का गलत इस्तेमाल किया है। मरियम बेगम होटल ने हरे-भरे क्षेत्र में व्यवसायिक इमारत बनाई। होटल फारेस्ट व्यू के अवैध निर्माण को तत्कालीन आवास व शहरी विकास मंत्री ने मंजूरी दी। रिपोर्ट में यह भी साफ है कि 28 गेस्ट हाउस-होटल बिना पंजीकरण व मान्यता के चल रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि नियमों के उल्लंघन के 22 बड़े मामलों में अधिकारिक कार्रवाई की गई, लेकिन ये केस स्पेशल ट्रब्यूनल में हैं जिनमें से 13 केसों में जुर्माना करने का आदेश भी हुआ है।
घरेलू बिजली-पानी कनेक्शन का व्यवसायिक इस्तेमाल
बेंच ने पाया कि जिन मामलों में ट्रिब्यूनल ने जुर्माने का आदेश दिया था, उन मामलों में होटल व्यवसायियों ने फीस जमा नहीं कराई। इसके विपरीत अतिक्रमण किया और अवैध निर्माण किया। कई ऐसे मामले हैं, जिनमें बिना कोई अनुमति लिए ही निर्माण कर दिया गया। ऐसे मामलों में भी सिर्फ जुर्माना करपल्ला झाड़ लिया गया। कई ऐसे गेस्ट हाउस व होटल हैं, जिन्होंने घरेलू बिजली-पानी कनेक्शन लिए और उनका व्यवसायिक इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे राजस्व का भी घाटा हो रहा है। बेंच ने कहा कि चंद ऐसे मामले हैं जो अब तक सामने आए हैं। लिहाजा ऐसे सारे मामलों को सामने लाने व सरकारी तंत्र में बैठे दोषी अधिकारियों का पर्दाफाश करने के लिए यह जरूरी है कि पूरे मामले की सीबीआइ नए सिरे से जांच करे।