Move to Jagran APP

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने किया सह शिक्षा का विरोध, मदनी ने लड़कियों के लिए अलग स्कूल और कालेज खोलने की वकालत की

दिल्ली में संपन्न हुई जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्यसमिति की बैठक के दौरान बालक-बालिकाओं के लिए स्कूल-कालेजों की स्थापना विशेष रूप से लड़कियों के लिए धार्मिक वातावरण में अलग-अलग शिक्षण संस्थान और समाज में सुधार के तरीकों पर विस्तार से चर्चा की गई।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 31 Aug 2021 01:32 AM (IST)Updated: Tue, 31 Aug 2021 01:32 AM (IST)
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने किया सह शिक्षा का विरोध, मदनी ने लड़कियों के लिए अलग स्कूल और कालेज खोलने की वकालत की
गैर मुसलमान भी बेटियों को सह-शिक्षा स्कूलों में न भेजें : मदनी

नई दिल्ली, प्रेट्र। जमीयत उलेमा-ए-हिंद (जेयूएच) सह-शिक्षा का विरोध किया है। उसके अध्यक्ष अरशद मदनी ने लड़कियों के लिए अलग स्कूल और कालेज खोलने की वकालत की। इतना ही नहीं, उन्होंने गैर मुसलमानों को सलाह दे दी कि उन्हें भी बेटियों को सह-शिक्षा देने से बचना चाहिए।

loksabha election banner

दिल्ली में संपन्न हुई जेयूएच की कार्यसमिति की बैठक के बाद सोमवार को जारी एक बयान में मदनी ने कहा कि दुनिया के हर धर्म में अनैतिकता और अश्लीलता की निंदा की गई है। कहा, अपने गैर-मुस्लिम भाइयों से भी कहेंगे कि वे अपनी बेटियों को अनैतिकता और दु‌र्व्यवहार से दूर रखने के लिए सह-शिक्षा देने से परहेज करें और उनके लिए अलग शिक्षण संस्थान स्थापित करें।

कार्यसमिति की बैठक के दौरान बालक-बालिकाओं के लिए स्कूल-कालेजों की स्थापना, विशेष रूप से लड़कियों के लिए धार्मिक वातावरण में अलग-अलग शिक्षण संस्थान और समाज में सुधार के तरीकों पर विस्तार से चर्चा की गई। मदनी ने कहा कि मुसलमानों को अपने बच्चों को किसी भी कीमत पर उच्च शिक्षा दिलानी चाहिए। आज ऐसे स्कूलों और कालेजों की सख्त जरूरत है, जहां हमारे बच्चे, खासकर लड़कियां बिना किसी बाधा या भेदभाव के उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें।

विहिप ने कहा, उजागर हुआ सोच

जमीयत उलेमा-ए-हिंद (जेयूएच) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के उस बयान की विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने निंदा की है, जिसमें उन्होंने गैर मुसलमानों से अपनी बेटियों को सह-शिक्षा वाले स्कूलों में न भेजने की अपील की थी। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि मदनी के इस तरह के बयान गैर मुसलमानों, महिलाओं व बच्चियों के प्रति अमानवीय सोच को दर्शाता है। पहले से ही इनका नारी व हिंदू विरोधी व्यवहार पूरी दुनिया देख रही है, ऐसे में ये कहीं गैर मुसलमानों को चेतावनी तो नहीं है? मुस्लिम समाज को अब तय करना होगा कि वह ऐसे सोच के लोगों को अपना आदर्श व नेता कब तक मानेंगे। बंसल ने कहा कि भारत में जहां बच्चियों को सैनिक स्कूलों में दाखिले देने के फैसले हो रहे हैं, वहां ऐसे सोच से तालिबानी मानसिकता प्रदर्शित हो रही है। दुनिया जो तालिबान का चेहरा देख रही है, वही चेहरा इनका उजागर हो गया है। ऐसे लोगों को आगे बढ़ाना नहीं चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.