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जमात-ए-इस्लामी को लेकर बड़ा खुलासा, ISI और पाक उच्चायुक्त के संपर्क में थे इस संगठन से जुड़े नेता

जम्मू-कश्मीर में अभी हाल में ही केंद्र सरकार द्वारा बैन होने वाले संगठन जमात-ए-इस्लामी को लेकर खुलासा हुआ है। इसका संपर्क पाक की खुफिया एजेंसी आइएसआइ से था।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sat, 09 Mar 2019 01:17 PM (IST)Updated: Sat, 09 Mar 2019 01:17 PM (IST)
जमात-ए-इस्लामी को लेकर बड़ा खुलासा, ISI और पाक उच्चायुक्त के संपर्क में थे इस संगठन से जुड़े नेता
जमात-ए-इस्लामी को लेकर बड़ा खुलासा, ISI और पाक उच्चायुक्त के संपर्क में थे इस संगठन से जुड़े नेता

नई दिल्ली, प्रेट्र। Jamaat-e-lslami(J&K) जम्मू-कश्मीर में अभी हाल में ही केंद्र सरकार द्वारा बैन होने वाले संगठन जमात-ए-इस्लामी(J&K) को लेकर खुलासा हुआ है। अधिकारियों के मुताबिक, जमात-ए-इस्लामी का संपर्क पाकिस्तानी की खुफिया एजेंसी आइएसआइ से है। इस संगठन से जुड़े लोगों का सीधा संपर्क नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान के उच्चायुक्त से भी है। अधिकारियो ने बताया कि इससे जुड़े नेताओं की अक्सर पाकिस्तानी उच्चायुक्त से बात होती थी।

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एक अधिकारी के मुताबिक, जमात-ए-इस्लामी (J&K) से जुड़े नेता कश्मीरी युवआओं को हथियारों की आपूर्ति, प्रशिक्षण और खाद्य आपूर्ति की व्यवस्था करते थे। ये काम पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के इशारे पर किया जाता था। इस संगठन का मुख्य सदस्य हुर्रियत कांफ्रेंस का नेता सैयद अली शाह गिलानी है जो जिहाद के नाम पर जम्मू-कश्मीर के लोगों को भड़काता है।

खुफिया जानकारी के अनुसार, जमात-ए-इस्लामी का नेटवर्क कश्मीर घाटी में काफी सक्रिय है और यह स्कूलों में छात्रों को भारत विरोधी कार्यों के लिए प्रेरित भी करता है। इस संगठन के यूथ विंग में शामिल कश्मीरियों को जिहाद के नाम पर आतंकी गुटों में शामिल किया जाता है। अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तानी उच्चायुक्त और आइएसआइ का जमात-ए-इस्लामी (J&K) से संबंध कोई चौकाने वाली बात नहीं है।

बताया जा रहा है कि जमात ए-इस्लामी को पाकिस्तानी आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन समेत अन्य आतंकी गुटों से आर्थिक मदद मिलती रही है। 1990 के दशक में जब कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था। उस समय अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी को आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का दाहिना हाथ माना जाता था। उस वक्त जमात-ए-इस्लामी, हिजबुल की राजनीतिक शाखा के तौर पर काम करता था। इसके विपरीत जमात-ए-इस्लामी खुद को हमेशा सामाजिक और धार्मिक संगठन बताता रहा है। आज भी जमात का एक एक बड़ा कैडर, हिजबुल से जुड़ा हुआ है।

बता दें कि केंद्र सरकार ने गैरकानूनी और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के कारण कश्मीर के कट्टरपंथी अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया था। 7 मार्च को जमात-ए-इस्लामी कश्मीर के मुख्यालय को पुलिस ने सील कर दिया। जमात मुख्यालय से कई दस्तावेज और कंप्यूटर भी जब्त किए हैं। पुलिस ने जमात से जुड़े करीब 600 लोगों को हिरासत में लेने के अलावा 80 के करीब उसके संस्थान, कार्यालय व 75 बैंक खाते सील किए हैं।

पुलिस ने जमात के आमीर ए आला डा आमीर हमीद,प्रवक्ता जाहिद अली समेत सभी प्रमुख नेताओं को पहले ही गिरफतार कर चुकी है। जाहिद अली को गत राेज पीएसए के तहत बंदी बनाकर जम्मू संभाग की जेल में भेजा गया है।


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