जश्न मनाते-मनाते कैसे हिंसक हुआ जलीकट्टू आंदोलन
जलीकट्टू प्रदर्शन सोमवार को हिंसक हो गया। आखिर इसकी वजह क्या रही।
नई दिल्ली। जलीकट्टू पर चल रहा प्रदर्शन बेहद शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था। लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ जो प्रदर्शनकारियों का गुस्सा इतना भड़क गया कि जो वो हिंसक हो गए। सोमवार को विधानसभा में अध्यादेश पास होने के बाद बिल जैसे ही विवेकानंद हाउस के सामने प्रदर्शनकारियों तक पहुंचा, पुलिस ने 10 मिनट का उन्हें समय दिया और फिर भीड़ तो तीतर-बितर होने लगी।
अभिनेता राघव लॉरेंस ने संवददाता सम्मेलन में बताया, सोमवार की सुबह मैं विवेकानंद हाउस के सामने पहुंचा, जहां लोग प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस वहां बल का प्रयोग कर लोगों को हटाने लगी। आधे प्रदर्शनकारी शहर में फैल गए जिसमें से ज्यादातर छात्र थे। आधे समुद्र के किनारे चले गए। मैंने जब लोगों को इस अध्यादेश के बारे में बताया तो लोग इससे संतुष्ट नहीं दिखे। लोगों ने जलीकट्टू के लिए स्थायी कानून की मांग की है।'
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जलीकट्टू का समर्थन कर रहे 32 साल के जलील ने बताया, अध्यादेश लेने के बाद पुलिस ने हमे उसे पढ़ने के लिए केवल10 मिनट सा समय दिया और फिर उस जगह को छोड़ने की बात कही। तभी छात्रों ने पुलिस से कहा कि उन्हें आधे घंटे का समय दिया जाए ताकि वो अपने कानूनी जानकारों से इस अध्यादेश पर पढा कर समझ सकें। इसके बाद हम लोग इसको लेकर जश्न भी मनाना चाहते थे। सोमवार की सुबह जैसे ही मैं पहुंचा पुलिस वहां से प्रदर्शन कर रहे लोगों को हटाने लगी।
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