ये जेलवाणी है.. अब आप सुन रहे हैं अपने फरमाइशी गीत.!
केंद्रीय जेल में कैदियों ने बनाया अपना एफएम रेडियो। जेलवाणी रेडियो से कैदियों को पढ़ाया जाता है अनुशासन का पाठ।
विजय सिंह राठौर, भोपाल। भोपाल सेंट्रल जेल में दोपहर के दो बजते ही एक मधुर सी आवाज गूंजती है..ये जेलवाणी है, अब आप सुनिए फरमाइशी गीतों का कार्यक्रम...। दरअसल जेलवाणी सेंट्रल जेल का एफएम रेडियो है जिसके आरजे और प्रोड्यूसर भी कैदी हैं और गीतों की फरमाइश करने वाले भी कैदी।
दोपहर दो बजे से लेकर चार बजे तक प्रतिदिन इस एफएम रेडियो में फरमाइशी गीत बजते हैं जो कैदियों का पसंदीदा कार्यक्रम है और कैदी चिट्ठी लिख कर गीतों के लिए फरमाइश करते हैं। इन कैदियों को रेडियो स्टेशन ऑपरेट करने की पूरी ट्रेनिंग भी बाकायदा पेशेवरों से दिलाई गई है। पेशेवर आरजे (रेडियो जॉकी) ने इन्हें प्रस्तुतीकरण की विधा सिखाई। खास बात यह है कि जेलवाणी न केवल कैदियों के मनोरंजन का साधन है, बल्कि उन्हें जेल के नियमों के साथ ही अनुशासन का पाठ भी इसी के जरिए पढ़ाया जाता है।
तीन हजार कैदियों से संवाद स्थापित करने का जरिया
जेल के अधिकारियों का कहना है कि जेलवाणी रेडियो कैदियों के मनोरंजन के साथ ही उनसे बेहतर संवाद का बेहतर माध्यम है। समय-समय पर जेल के तमाम नियम-कानून व निर्देशों का पालन भी रेडियो के माध्यम से ही करवाया जाता है। केंद्रीय जेल में इन दिनों करीब 3 हजार कैदी हैं, जिन्हें एक साथ संदेश देना काफी मुश्किल होता है, ऐसे में जेलवाणी ही एक साथ सभी कैदियों से संवाद स्थापित करने का जरिया बनता है। अगस्त 2016 में जेलवाणी शुरू किया गया था, जिसमें समय-समय पर कैदियों की राय व अन्य जरूरतों के मुताबिक बदलाव होता रहता है।
लोक अदालत का सीधा प्रसारण
महीने के हर अंतिम शनिवार को जेल में लोक अदालत लगती है। जिसमें रेडियो के माध्यम से ही कैदियों को तमाम विधिक व कानून सबंधी जानकारी दी जाती है। न केवल वकील बल्कि खुद जज भी इस लोक अदालत में शामिल होते हैं। इसके साथ ही स्वास्थ संबंधी संदेश भी जेलवाणी के माध्यम से दिए जाते हैं। जेल में स्वच्छता अभियान भी रेडियो के माध्यम से ही चलाया जाता है।
12 से 4 बजे तक फरमाइश, सुबह भजन-प्रवचन
जेल की सभी बैरकों व अन्य स्थानों पर जेलवाणी के स्पीकर लगे हुए हैं, जो समय पर चालू और बंद होते हैं। दोपहर 2 से 4 बजे तक फरमाइशी गाने बजते हैं, वहीं सुबह भजन-कीर्तन के साथ ही प्रवचन भी होते हैं। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस व गांधी जयंती जैसे मौकों पर रेडियो पर देशभक्ति के तराने छेड़े जाते हैं। राष्ट्रीय पर्व के मौकों पर जेल में ही संचालित होने वाले ‘बंदी ऑर्केस्ट्रा’ की प्रस्तुति भी जेलवाणी में होती है।
केंद्रीय जेल भोपाल के जेलर पीडी श्रीवास्तव ने बताया कि जेलवाणी एफएम रेडियो न केवल कैदियों के मनोरंजन का साधन है बल्कि इससे कैदियों व हमारे बीच अच्छा संवाद स्थापित हो पाता है, कम्युनिकेशन गैप नहीं होता। जेल के नियमों के साथ ही कैदियों को पैरोल, जमानत और मुलाकात समेत अन्य जानकारियां दी जाती हैं। उन्होंने बताया कि कैदी बिस्तर, टूथपेस्ट साबुन व अन्य जरूरत संबंधी सूचनाएं भी कैदियों को रेडियो से ही देते हैं।