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Jai Hind: मौत के जबड़े से सीता बचा लाईं थीं 18 मासूमों की जिंदगी, पढ़ें यह साहस से भरी कहानी

गैस रिसाव से धधकती स्कूल वैन में फंसे हुए थे बच्चे जान की परवाह किए बिना लपटों के बीच वैन में घुसकर बच्चों को निकाल लाई थीं सीता। खुद झुलस गईं लेकिन अदम्य साहस दिखा बचाई बच्चों..

By Nitin AroraEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 07:31 PM (IST)Updated: Wed, 14 Aug 2019 09:04 AM (IST)
Jai Hind: मौत के जबड़े से सीता बचा लाईं थीं 18 मासूमों की जिंदगी, पढ़ें यह साहस से भरी कहानी
Jai Hind: मौत के जबड़े से सीता बचा लाईं थीं 18 मासूमों की जिंदगी, पढ़ें यह साहस से भरी कहानी

भदोही, मुहम्मद इब्राहिम। 12 जनवरी 2019 की ठिठुरती रात किसी तरह गुजरी तो सुबह लोग दैनिक क्रिया में जुट गए। इसी बीच ज्ञानपुर कोतवाली क्षेत्र के लखनों गांव में 18 मासूमों से भरे एक अमान्य स्कूल की वैन में गैस सिलेंडर के रिसाव से आग लग गई। पलक झपकते धू-धूकर जली वैन से लगा कि मौत उन मासूमों को मौत के आगोश में लेने को झपट्टा मार रही हो।

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बच्चों को उनके घर से लेकर स्कूल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी लेने वाला चालक वाहन छोड़कर फरार हो गया। बच्चे मदद को छटपटा रहे थे। रोंगटे खड़े कर देने वाले इस मंजर को निहारती तमाशबीन भीड़ अभी क्या करें कि सोच रही थी कि अदम्य साहस व हौसले की मिशाल पेश करती 60 वर्षीय सीता शुक्ला मासूमों की मौत व जिंदगी के बीच दीवार बनकर खड़ी हो गई।

आग का शोला बन चुकी वैन की जद में आने से सीता शुक्ला खुद झुलसती रहीं, लेकिन उन्होंने तब तक हार नहीं मानी जब तक सभी बच्चों को मौत के जबड़े से खींचकर बाहर नहीं निकाल लिया। उनकी इस बहादुरी का ही परिणाम रहा कि वैन में फंसे 15 बच्चे आज अपने परिवार में सलामत हैं। हालांकि, उनके प्रयास के बाद भी गंभीर रूप से जल चुके तीन मासूमों ने बाद में अस्पताल में दम तोड़ दिया था।

बहू ने निभाया भरपूर साथ

जब घटना घटी सीता अपने दरवाजे के सामने अलाव ताप रही थीं। सब कुछ ठीक लग रहा था तभी पहुंची स्कूल वैन में आग देख वह फंसे बच्चों को निकालने में जुट गई। इसी बीच घर से निकली उनकी बहू सुमन नजारा देश हतप्रभ रह गईं। उन्हें अकेले जूझते देख वह भी मासूमों को सुरक्षित निकालने में जुट गईं और भरपूर साथ निभाया।

सहन नहीं हुई बच्चों की तड़प

12 जवनरी को अचानक सामने आए उस मंजर को याद कर सीता शुक्ला यादों में खो जाती हैं। कुछ पल सोचने के बाद वह कहतीं हैं कि आग की लपटों के बीच घिरे वैन का गेट बंद हो चुका था। अपनी ओर बढ़ती मौत को देख तड़पते बच्चे मदद की गुहार लगा रहे थे। मासूमों की तड़प देखी नहीं गई और वह पल्लू बांधकर उन्हें बचाने में जुट गई। उन्हें अपने इस साहसिक प्रयास पर गर्व तो है लेकिन बाद में तीन बच्चों की मौत और मासूमों सहित अपने शरीर पर आ चुके दाग की टीस भी चेहरे पर साफ झलकती है। बताया जाता है कि उनके पुत्र बद्री शुक्ला के दो बेटे अनमोल व अभिषेक भी फंसे थे। दोनों की जिंदगी तो बच गई, लेकिन अनमोल अभी तक ठीक नहीं हो सका है।

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