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जानिए, क्यों अपनी ही लगाई आग में आज झुलस रहे हैं इस्लामिक देश

आज जो इस्लामिक देश आतंकियों की आग मे बुरी तरह से झुलस रहा है और उन पर ही आतंकियों को संरक्षण देने का आरोप है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Thu, 08 Jun 2017 04:21 PM (IST)Updated: Fri, 09 Jun 2017 12:47 PM (IST)
जानिए, क्यों अपनी ही लगाई आग में आज झुलस रहे हैं इस्लामिक देश
जानिए, क्यों अपनी ही लगाई आग में आज झुलस रहे हैं इस्लामिक देश

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। ईरान की संसद पर 7 जून यानि बुधवार को खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस की तरफ से किए गए आतंकी हमले के बाद यह सवाल उठ रहा है कि आखिर वह क्या वजह है जिसके चलते आज इस्लामिक देश खुद इन आतंकियों की चपेट में है। 2016 के ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स के मुताबिक, आतंकवाद से होने वाली 74 फीसदी मौतों के पीछे आईएसआईएस, बोको हरम, तालिबान और अल-कायदा का हाथ था। ये सारे संगठन धार्मिक चरमपंथी विचारों के पोषक हैं। ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि कभी इन्हीं इस्लामिक देशों पर आतंकवादियों का संरक्षण और उन्हें बढ़ावा देने का आरोप लगा था। तो क्या आज इस्लामिक देश अपनी ही लगाई आग में झुलस रहे हैं?

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सात साल में पहला हमला

ईरान में आखिरी बार 2010 में आत्मघाती हमला हुआ था। इसमें 39 लोगों की जानें गईं। यह हमला सिस्तान बलूचिस्तान में हुआ था, जिसकी सीमा पाकिस्तान से लगती है।’ आइएस ने अपनी समाचार एजेंसी ‘अमक’ पर संसद के अंदर का 24 सेकंड का वीडियो जारी कर इन हमलों की जिम्मेदारी ली है। ’आइएस ने इसी साल मार्च में वीडियो जारी कर आगाह किया था कि वह ईरान पर कब्जा करेगा और उसे सुन्नी देश में बदल देगा। ’सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामनेई ने रविवार को कहा था कि यूरोप और अन्य देशों में आइएस का हमला अरब में पश्चिमी देशों की विफलता है।

ईरान और आइएस में पुरानी है तनातनी

दरअसल, ईरान और आइएस का बैर पुराना है। सुन्नी जिहादी संगठन आइएस शिया बहुल ईरान को धर्मभ्रष्टा मानता है। वहीं, तेहरान सीरिया व इराक में आइएस के खिलाफ लड़ाई में शामिल है। दोनों देशों में वह जिहादियों के खिलाफ कई बार बम बरसा चुका है। उधर, आइएस इराक में शिया धर्मस्थलों को नष्ट करता रहता है जो ईरान को मंजूर नहीं है।

कई आतंकी संगठन हैं सक्रिय

इस्लामिक स्टेट के अलावा, अरब प्रायद्वीप और पश्चिमी इस्लामिक देशों में अल कायदा, बोको हराम, अल शबाब, जबहत अल-नुसरा और दूसरे कई आतंकी समूह शामिल हैं। कभी जिन इस्लामिक देशों पर आतंकवादियों के संरक्षण का आरोप लगता था आज वो देश खुद इन आतंकियों की आग में बुरी तरह से झुल रहे है। वो चाहे बात सऊदी अरब, पाकिस्तान, ईरान, इराक या फिर लीबिया की क्यों ना करे। आज इन देशों में आए दिन आतंकियों की तरफ से बम धमाके किए जा रहें हैं और सैकड़ों लोगों की जिंदगी ली जा रही है।

इस्लामिक देशों पर आतंकियों के संरक्षण के आरोप क्यों

दरअसल, आज जो इस्लामिक देश आतंकियों की आग मे बुरी तरह से झुलस रहा है और उन पर ही आतंकियों को संरक्षण देने का आरोप है। वह देश अपनी निजी हितों की खातिर जमकर इन आतंकी संगठनों का इस्तेमाल किया। लेकिन, आज वही आतंकी संगठन इनके लिए भस्मासुर साबित हो रहे है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण अपने पड़ोसी पाकिस्तान है जिन्होंने अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों का भरण पोषण किया।

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ये खूंखार आतंकी संगठन

इस्लामिक वर्ल्ड में वैसे तो कई आतंकी संगठन सक्रिय है लेकिन मुख्य तौर पर अगर हम उनकी यह चर्चा करें तो आईये बताते है उनके बारे में जिसने भारत समेत कई दुनिया में हलचल मचाई है-

अलकायदा

कभी अलकायदा को दुनिया का ख़तरनाक आतंकी संगठन माना जाता था। इस आतंकवादी संगठन की स्थापना 1988 में ओसामा बिन लादेन ने की थी। लेकिन, अमेरिका में 9/11 का ऐतिहासिक हमला अलकायदा ने ओसामा बिन लादेन के नेतृत्व में किया था।

इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस)

आज आतंक की दुनिया में इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) को सबसे ज्यादा ख़तरनाक आतंकी संगठन माना जा रहा है जिसने इराक और सीरिया में अपने जड़े मजबूत करने के साथ ही दुनिया के कई बड़े देशों में सक्रिय होकर लगातार वहां पर धमाके कर रहे हैं। 1999 में अबू बकर अल बगदादी की ओर से इसे बनाया गया था।

बोको हराम

साल 2002 में मुस्लिम धर्म गुरू मोहम्मद यूसुफ की तरफ से स्थापित बोको हराम नाइजीरिया का एक खतरनाक आतंकी संगठन है, जो अपनी बर्बरता के लिए जाना जाता है। इसका एक मात्र उद्देश्य है नाइजीरिया में इस्लामीकरण को बढ़ावा देना। साल 2009 में सैन्य कार्यवाई में बोको हराम का मुखिया यूसुफ मारा गया था।

अल नुसरा फ्रन्ट

अल-नुसरा फ्रंट को सीरिया में अल कायदा के नाम से जाना जाता है। पूरे विश्व के इस्लामीकरण के पक्ष में सक्रिय यह संगठन काफी खतरनाक है। इस संगठन का प्रमुख अबु मोहम्मद अल जुलानी था, जो सीरियाई विद्रोहियों का मजबूत समर्थक होने के नाते बशर अल-असद शासन के खिलाफ सीरियाई नागरिक युद्ध में शामिल हुआ था। पश्चिमी देशों के साथ इस संगठन का विरोध अकसर देखा जाता है और इसे इज़राइल के कट्टर शत्रुओं में गिना जाता है।

लश्कर-ए-तैयबा

पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को साल 2009 में हुए मुंबई हमले के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसे दक्षिण एशिया के सबसे बड़े आतंकी संगठनों में से एक माना जाता है। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान की शह पर भारत के अंदर आतंकी गतिविधियां को फैला लोगों में दहशत पैदा करना है। इसके आतंकियों को पाकिस्तानी सेना और आईएसआई का संरक्षण हासिल है। इसकी स्थापना 1990 में हाफिज़ मुहम्मद सईद ने की थी।

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