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...जब राजेश खन्ना और डिंपल के बीच बन गया था खामोशी का रिश्ता

बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार का बर्थडे है। राजेश खन्ना के जन्मदिन पर उनके और उनकी पत्नी के बीच किस तरह का रिश्ता था ये जानने की कोशिश करते हैं।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Fri, 29 Dec 2017 03:25 PM (IST)Updated: Fri, 29 Dec 2017 06:28 PM (IST)
...जब राजेश खन्ना और डिंपल के बीच बन गया था खामोशी का रिश्ता
...जब राजेश खन्ना और डिंपल के बीच बन गया था खामोशी का रिश्ता

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। राजेश खन्ना यानि फिल्म इंडस्ट्री का वो सितारा, जिसके बारे में बोलना या लिखना शुरू किया जाए तो उनके अफसाने खत्म नहीं होंगे। 29 दिसंबर को फिल्म इंडस्ट्री के पहले सुपरस्टार का जन्मदिन होता है। हालांकि अब काका तो हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी कुछ खट्टी-मिठी यादें जरूर हैं। उनकी मीठी बातों को अब तक सभी ने मसाले के साथ परोसा, लेकिन उनकी खट्टी बातों को कम ही लोगों ने सामने रखा है। तो आज हम उनकी खट्टी बातों के बारे में बात करेंगे।

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राजेश खन्ना के बारे में जब भी बात होती है तो कहा जाता है कि उनके जैसा स्टारडम अभी तक किसी बॉलीवुड एक्टर को नहीं मिल सका है। या यूं कह लें कि आज के दौर के किसी भी सुपरस्टार को ले लीजिए और उसमें ऐसा ही पांच गुना स्टारडम और मिला दीजिए तो भी काका की बराबरी नहीं की जा सकती है...वो स्टारडम राजेश खन्ना ने जिया है। लेकिन कहा ये भी जाता है कि उनके पतन का कारण भी उनकी ये करिश्माई कामयाबी ही रही है, वो इसे संभाल नहीं पाए। उनके कुछ अनछुए पहलुओं के बारे में जानने से पहले उनके सुपर स्टार बनने तक की कहानी जान लेते हैं।

जतिन खन्ना से लेकर राजेश खन्ना बनने का सफर
पंजाब के अमृतसर में 29 दिसंबर 1942 को जन्मे जतिन खन्ना के नाम से पहचाने जाने वाला लड़का राजेश खन्ना के नाम से मशहूर हुआ। उन्होंने अपने अंकल के कहने पर अपना नाम जतिन से राजेश रखा था। राजेश खन्ना का बचपन के दिनों से ही रुझान फिल्मों की ओर था। वह अभिनेता बनना चाहते थे, लेकिन उनके पिता इस बात के सख्त खिलाफ थे। राजेश खन्ना अपने करियर के शुरुआती दौर में रंगमंच से जुड़े और बाद में यूनाइटेड प्रोड्यूसर ऐसोसिएशन द्वारा आयोजित ऑल इंडिया टैलेंट कॉन्टेस्ट में उन्होंने भाग लिया, जिसमें वह फर्स्ट आए। राजेश खन्ना को पहली फिल्म साल 1966 में मिली थी, जिसका नाम था 'आखिरी खत'। इस फिल्म के बाद उनका फिल्मी करियर चल पड़ा, लेकिन उनको असली पहचान फिल्म 'अराधना' से मिली। इस फिल्म के बाद काका ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक 15 सुपरहिट फिल्में दीं।

काका के किस्से
मशहूर पत्रकार और लेखक यासिर उस्मान की किताब 'राजेश खन्ना: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडियाज फर्स्ट सुपरस्टार' के हिंदी अनुवाद 'कुछ तो लोग कहेंगे' में राजेश खन्ना के जीवन से जुड़े हर अहम पहलु पर सिलसिलेवार ढंग से प्रकाश डाला गया है।

इस किताब के मुताबिक राजेश खन्ना अपने ईगो को ठेस पहुंचाने वाले को कभी नहीं बख्शते थे। कुछ भी करने का बट राजेश खन्ना का ईगो नहीं हर्ट करने का। वो अपने आत्मसम्मान से बहुत प्यार करते थे। इसके आगे वो किसी को नहीं आने देते थे। यहां तक कि उन्होंने इस पर चोट करने वाली अपनी प्रेमिका अंजू महेंद्रू और सात साल के रिलेशनशिप को भी नहीं बख्शा। जिस दिन डिपंल के साथ वह सात फेरे लेने वाले थे, उस दिन भी कहीं न कहीं उन्होंने खुद को प्यार में धोखा खाए इंसान की तरह बेहद कमजोर पाया।
उन्होंने भी ठान लिया था कि वह अपनी प्रेमिका के घर के सामने से ही बारात लेकर जाएंगे और उन्होंने ऐसा ही किया। हालांकि ऐसा करने के पीछे उन्होंने कोई खास तर्क नहीं दिया, केवल यही कहा कि ऐसा करने से मेरे घायल दिल पर मरहम लग गया बस।

डिंपल और काका के बीच खामोशी का रिश्ता
1969 से लेकर 1975 तक राजेश खन्ना के स्टारडम को देखने वाले लोग कहते हैं कि इस दौर में काका ने जिन ऊंचाईयों को छुआ वो आज के जमाने का कोई सितारा नहीं छू सकता, उनकी कामयाबी एक मिसाल है। इसके पीछे एक कारण ये भी है कि उस दौर में न तो सोशल मीडिया था, न आज के जमाने जैसे घर-घर में टीवी, न 24 घंटे चलने वाले एफएम रेडियो और न बड़ी-बड़ी पीआर एजेंसियां। खैर, एक दौर के बाद उनके करियर में ढलान आना शुरू हो गया। जैसे उनकी कामयाबी की कोई वजह नहीं थी वैसे ही उनके करियर के ढलने की वजह तलाशना बेईमानी है।

वो दौर सुनहरा था और बेहद करीब नजर आता था, लेकिन राजेश इसके जितने पीछे भागते वो उतना ही दूर होता जाता। ये हाताशा काका को परेशान किए जा रही थी और उन्होंने अपने आस-पास एक दीवार खड़ी कर ली थी। इस दीवार के पास वो किसी को नहीं भटकने देते, यहां तक कि अपनी पत्नी डिंपल को भी। इस समय डिंपल की आंखों में इंतजार की उदासी छा गई। डिंपल चाहती थीं कि ऐसी परेशानी में राजेश उनके साथ वक्त बिताएं और हाल-ए-दिल बयां करें, लेकिन काका कुछ नहीं कहते।

परीकथाओं जैसी शादी के बाद डिंपल राजेश की पत्नी तो बन गईं थी, लेकिन बराबर की भागीदार वाली जीवनसाथी न बन सकीं। डिंपल बस इस इंतजार में रहतीं कि शायद अब काका कुछ कह दें, लेकिन काका कुछ नहीं कहते बस सिगरेट पर सिगरेट फूंकते रहते। इस दौरान इन दोनों में बहुत कम बातचीत होती। अब इन दोनों के बीच एक अलग रिश्ता बन चुका था...खामोशी का रिश्ता। 

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