भारत दौरे से पहले अमेरिकी विदेश मंत्री टिलरसन ने पाक की दी कड़ी चेतावनी
अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन का भारत दौरा महत्वपूर्ण है। इस दौरे में पाकिस्तान के खिलाफ दोनों देश कुछ अहम बयान जारी कर सकते हैं।
नई दिल्ली [ स्पेशल डेस्क ] । भारत, पाकिस्तान और अमेरिकी संबंधों के लिए अक्टूबर महीने का शुरुआती हफ्ता बहुत ही महत्वपूर्ण था। पाकिस्तान के इतिहास में ये पहला मौका था कि जब अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने इस्लामाबाद की यात्रा नहीं की। इसके ठीक बाद अमेरिका ने कनाडाई-अमेरिकी जोड़ी कैटलेन और जोशुआ बोएल के मामले में साफ कर दिया था कि पाकिस्तान को हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी। अमेरिकी चेतावनी का असर भी दिखा और पांच साल बंधक रहे कैटलेन और जोशुआ बोएल को हक्कानी नेटवर्क ने रिहा कर दिया। इन सबके बीच मंगलवार को अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन के भारत दौरे से ठीक पांच दिन पहले अमेरिका ने साफ कर दिया कि आतंकवाद सिर्फ आतंकवाद होता है। अमेरिका का हमेशा से ये मानना है कि दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिए पाकिस्तान को आगे आना ही होगा। इस मुद्दे पर विस्तार से जानने से पहले ये जानना जरूरी है कि CSIS की बैठक में रेक्स टिलरसन ने क्या कहा था।
पसंद-नापसंद का मुद्दा नहीं है आतंकवाद
अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने 19 अक्टूबर को अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक CSIS में अपने संबोधन में कहा था कि ट्रंप प्रशासन को उम्मीद है कि पाकिस्तान अपने देश में मौजूद उन आतंकवादी संगठनों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करेगा, जो उसके अपने लोगों और सीमावर्ती क्षेत्र के लिए खतरा बन गए हैं। आतंकवाद की मुसीबत से निपटना हर सभ्य देश की जिम्मेदारी है और यह पसंद का मामला नहीं है। अमेरिका और भारत इस क्षेत्रीय कोशिश की मिलकर अगुआई कर रहे हैं। टिलरसन का भारत के साथ संबंधों में दिए गए बयान को अमेरिकी रुख में एक बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। टिलरसन ने चीन और पाकिस्तान को आड़े हाथ लेते हुए कहा था कि बीजिंग की उकसावे वाली कार्रवाई उन अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ है जिनके भारत और अमेरिका पक्षधर हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि अमेरिका आशा करता है कि पाकिस्तान अपनी सीमा के अंदर सक्रिय आतंकवादी समूहों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करेगा। अमेरिकी विदेश विभाग ने टिलरसन के इस भाषण को भारत तथा अमेरिका के बीच अगले 100 साल के रिश्तों की दशा और दिशा तय करने वाला बताया था।
अफगान राष्ट्रपति गनी भी आ रहे हैं भारत
टिलरसन के 24 अक्टूबर को भारत पहुंचने के दिन ही अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी भी भारत आ रहे हैं। ट्रंप सरकार ने अफगानिस्तान के बारे में अपनी रणनीति में भारत को महत्वपूर्ण सहयोगी माना है। अमेरिका के रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने कहा था कि अफगानिस्तान में भारत की भूमिका अहम है। लेकिन भारत ने यह स्पष्ट किया है कि वह अफगानिस्तान में अपने सैनिक नहीं भेजेगा। भारत का कहना है कि वह अफगानिस्तान में सुरक्षा मजबूत करने के लिए जानकारी साझा करने और सुरक्षाकर्मियों को प्रशिक्षण देने के जरिए अमेरिका के साथ काम करेगा।अफगानिस्तान के लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति मजबूत करने, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स तैयार करने और अफगानिस्तान सरकार की क्षमता बढ़ाने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
टिलरसन और भारतीय पक्ष
टिलरसन के बयान पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि विदेश मंत्री टिलरसन ने भारत-अमेरिका संबंधों और इसके भविष्य को लेकर एक महत्वपूर्ण नीतिगत बयान दिया है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कुमार ने कहा था कि भारत संबंधों को लेकर अमेरिका के सकारात्मक मूल्यांकन और भविष्य की दिशा के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण की सराहना करता है। टिलरसन के बयान पर चीन ने सधी प्रतिक्रिया दी थी। चीन ने कहा था कि उसे उम्मीद है कि अमेरिका चीन के विकास को सकारात्मक तौर पर देखेगा और दुनिया में इसके पॉजिटिव भूमिका को रेखांकित करेगा। चीन ने साथ ही कहा कि वॉशिंगटन चीन के प्रति अपने पक्षपातपूर्ण रवैये को भी खत्म करेगा।
भारत यात्रा के दौरान टिलरसन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ मुलाकात करेंगे। वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी मिलेंगे। अधिकारियों ने बताया कि इन मीटिंग के दौरान अफगानिस्तान में दोनों देशों की भागीदारी बढ़ाने, दक्षिण एशिया को लेकर रणनीति पर चर्चा होगी। टिलरसन पांच देशों की यात्रा पर हैं और भारत से पहले वह पाकिस्तान जाएंगे। वह पाकिस्तान को आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर सख्त संदेश दे सकते हैं। उन्होंने हाल में पाकिस्तान को लेकर इसी तरह का बयान दिया था। 20-27 अक्टूबर तक होने वाले दक्षिण एशिया के इस दौरे में टिलरसन सऊदी अरब, कतर, पाकिस्तान, भारत और स्विट्जरलैंड की यात्रा कर रहे हैं।
जानकार की राय
Jagran.Com से खास बातचीत में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के जानकार हर्ष वी पंत ने कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन का रुख कड़ा है। हाल ही में कनाडाई-अमेरिकन जोड़ी की रिहाई में देखा भी जा सकता है। अमेरिका के लिए अफगानिस्तान एक बड़ी चुनौती है और वहां के रणनीतिकारों को लगता है कि भारत की सक्रिय मदद से वो अफगानिस्तान में अपनी भूमिका को और बढ़ा सकते हैं। अमेरिका को लगता है कि एक तरफ पाकिस्तान खुद को आतंकवाद से पीड़ित बताता है। लेकिन आतंकी संगठनों के मुद्दे पर उसकी परिभाषा अलग होती है। पाक के दोहरे व्यवहार पर अंकुश लगाने के लिए अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस पहले ही ट्रंप से अपील कर चुके हैं।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए हर्ष वी पंत ने कहा कि भारत के लिए अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता बहुत ही जरूरी है। अमेरिका इस बात के लिए दबाव बना रहा है कि काबुल में भारत अपनी फौज भेजे। लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वो ऐसा नहीं करेगा। दरअसल भारत की मंशा साफ है कि बिना अफगानिस्तान सरकार की मांग पर सेना भेजकर वो अपने मित्र राष्ट्र से नाराजगी मोल नहीं लेगा।