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पाकिस्तान नहीं माना तो हक्कानी नेटवर्क को खुद ठिकाने लगा देगा अमेरिका

ऐसा लग रहा है कि हक्कानी नेटवर्क को लेकर पाकिस्तान जबरदस्त दबाव में है। अमेरिका ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को अब पुख्ता कदम उठाने ही होंगे।

By Lalit RaiEdited By: Published: Wed, 11 Oct 2017 01:49 PM (IST)Updated: Wed, 11 Oct 2017 05:19 PM (IST)
पाकिस्तान नहीं माना तो हक्कानी नेटवर्क को खुद ठिकाने लगा देगा अमेरिका
पाकिस्तान नहीं माना तो हक्कानी नेटवर्क को खुद ठिकाने लगा देगा अमेरिका

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। इसमें संदेह नहीं कि दुनिया के लिए आतंकवादी संगठन खतरा बन चुके हैं। वैश्विक मंच पर विकसित और विकासशील देश आतंकवाद के मुद्दे पर एकजुट होकर लड़ाई का ऐलान करते हैं। सच ये है कि आतंकी दुनिया के किसी भी कोने में अपने मंसूबों को अंजाम देने में कामयाब हो जाते हैं। भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान खुद को आतंकवाद का शिकार बताता है, लेकिन जब आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की बात होती है तो उसे हमेशा और ज्यादा सबूतों की जरूरत होती। अगर भारत के संदर्भ में देखें तो मुंबई हमलों के बाद तमाम आतंकी हमलों के पक्के सबूत पाकिस्तान को मुहैया कराए गए हैं, लेकिन पाकिस्तान के हुक्मरान हमेशा एक सुर में बोलते हैं कि या तो साक्ष्य झूठे हैं या साक्ष्य पर्याप्त नहीं हैं। कुछ ऐसा ही मामला हक्कानी नेटवर्क के जुड़ा हुआ है। लेकिन अमेरिका ने साफ लफ्जों में चेतावनी दी है कि हक्कानी नेटवर्क को खत्म करने के लिए अब पाक को आगे आना ही होगा। गौरतलब है कि सितंबर में चीन के शियामेन शहर में ब्रिक्स सम्मेलन के घोषणापत्र में हक्कानी नेटवर्क का जिक्र किया गया था। 

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अमेरिकी दबाव से पाक के बदले सुर

पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ का जिक्र होते ही उनकी तस्वीर एक ऐसे शख्स की उभरती है जो विवादों को जानबूझकर जन्म देते हों। हक्कानी नेटवर्क के मुद्दे पर अमेरिकी चेतावनी के बाद उन्होंने कहा कि अगर वो सबूत पेश करते हैं तो पाकिस्तान मिलकर आतंकी संगठनों का खात्मा करेगा। लेकिन यदि ट्रंप सरकार ने पाकिस्तान पर ज्यादा दबाव बनाया तो चीन, रूस, ईरान और तुर्की जैसे मित्र देश उसके पक्ष में सामने आएंगे।ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि देश में हक्कानी नेटवर्क के सुरक्षित ठिकानों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने पर वह अमेरिका के साथ संयुक्त सैन्य अभियान चलाने को तैयार है, ताकि आतंकियों को पूरी तरह से खत्म किया जा सके। आसिफ का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन और रक्षा मंत्री जिम मैटिस पाकिस्तान के दौरे पर आने वाले हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अगस्त में पाकिस्तान को आतंकी संगठनों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बताने के बाद दोनों देशों के संबंधों में तल्खी आ गई है। रिश्तों को पटरी पर लाने के उद्देश्य से आसिफ कुछ दिनों पहले ही वाशिंगटन की यात्रा पर गए थे। आसिफ के मुताबिक यदि अमेरिकी विदेश और रक्षा मंत्री हुक्म देने की नीयत से आ रहे हैं तो उनकी बात नहीं मानी जाएगी।

ख्वाजा आसिफ ने कहा कि अमेरिकी अधिकारियों को हक्कानी नेटवर्क के सुरक्षित ठिकानों के बारे में पुख्ता सुबूत के साथ पाकिस्तान आने का प्रस्ताव दिया गया है। यदि उन्हें संबंधित क्षेत्र में आतंकी गतिविधि दिखती है तो पाकिस्तानी सेना अमेरिका के साथ मिलकर उसे पूरी तरह तबाह कर देगी। यदि ऐसा होता है तो पाकिस्तान की ओर से अमेरिका को दी जाने वाली यह बड़ी छूट होगी, क्योंकि इस्लामाबाद हमेशा से अमेरिकी फौज की मौजूदगी को नकारता रहा है। हक्कानी नेटवर्क पर अफगानिस्तान में अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। आतंकी संगठन भारत को भी निशाना बना चुका है।  

जानकार की राय

विदेश मामलों के जानकार प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने Jagran.Com से खास बातचीत में बताया कि पाकिस्तान की आदत हमेशा से झूठ बोलने की रही है। भारत कितनी दफा आतंकियों के खिलाफ पुख्ता सबूत दे चुका है लेकिन पाकिस्तान उन्हें पर्याप्त साक्ष्य नहीं मानता है, लेकिन हक्कानी नेटवर्क के सिलसिले में पाकिस्तान बैकफुट है। अगर अमेरिका और पाकिस्तान के बीच खुफिया जानकारियों की साझेदारी को देखें तो ये पहले से होता आया है। लेकिन अब पाकिस्तान पर अमेरिका भरोसा नहीं करता है। सच ये है कि आइएसआइ की सरपरस्ती में हक्कानी नेटवर्क काम करता है, लिहाजा अमेरिका की कोशिश है कि इस गठजोड़ को खत्म किया जाए। जहां तक हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ अमेरिकी कार्रवाई की बात है तो वो अकेले किसी भी ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए सक्षम हैं। हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ पक्की जानकारी मिलने पर अमेरिका पाकिस्तान के ऐतराजों को दरकिनाक कर कार्रवाई कर देगा। 

 हक्कानी नेटवर्क और पाकिस्तान

हक्कानी नेटवर्क को एक समय अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का समर्थन हासिल था, जब वो पूर्व सोवियत संघ के खिलाफ लड़ रहा था। बाद में ये बड़ा पश्चिम विरोधी गुट बनकर उभरा। हक्कानी नेटवर्क पर आरोप है कि अफगानिस्तान में सरकारी, भारतीय और पश्चिमी देशों के ठिकानों पर उसने कई बड़े हमले किए हैं। पाकिस्तानी अधिकारी हक्कानी नेटवर्क को अफगान गुट बताते हैं। लेकिन इसकी जड़ें पाकिस्तान के अंदर तक फैली हैं। हमेशा से अटकलें लगती रही हैं कि पाकिस्तानी सुरक्षा तंत्र में कुछ लोगों में इसकी खास पैठ है। हक्कानी नेटवर्क पर पूर्वी अफगानिस्तान और राजधानी काबुल में कई बम धमाके करने का भी आरोप है। कुछ प्रेक्षकों का कहना है कि अमेरिका के इस कदम से अमेरिका के पाकिस्तान के साथ संवेदनशील लेकिन रणनीतिक तौर पर अहम रिश्ते खराब हो सकते हैं। अमेरिका काफी समय से इस संगठन को एक खतरे के तौर पर पेश करता रहा है और आरोप लगाता रहा है कि इसके अल-कायदा और तालिबान जैसे संगठनों से संबंध हैं। अमेरिका पाकिस्तान पर दबाव बनाता आया है ताकि इस संगठन की गतिविधियों पर काबू पाया जा सके।
 

पाकिस्तान का फिर वही कश्मीर राग

पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में बार-बार कश्मीर मुद्दा उठाने से बाज नहीं आ रहा है। एजेंडे में इस मुद्दे के न होने पर भी बैठक में इसे उठाने के पड़ोसी देश के रवैये की भारत ने कड़ी आलोचना की है। यूएन महासभा की एक समिति इन दिनों औपनिवेशिक बंधन में जकड़े क्षेत्रों को अधिकार देने के मसले पर विचार-विमर्श कर रही है। पाकिस्तानी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने इसी दौरान कश्मीर का राग छेड़ दिया। लोधी ने कहा, जम्मू-कश्मीर विवाद को सुलझाए बिना विशेष क्षेत्रों को औपनिवेशिक परिस्थितियों से मुक्त कराने का एजेंडा अधूरा रहेगा। यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि श्रीनिवास प्रसाद ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के प्रयासों को विफल करते हुए कहा, ‘पाकिस्तान ऐसे मुद्दे को लाने की कोशिश कर रहा जो इतिहास में कभी भी समिति के एजेंडे में शामिल ही नहीं रहा है। भारत इसे एजेंडे से भटकाने वाला प्रयास मानता है। बैठक में शामिल सदस्य देश गैरस्वशासित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जबकि एकमात्र सदस्य देश हमेशा की तरह इतिहास को दरकिनार करते हुए अपना राग अलापने में जुटा है।’


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