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जज्बे को सलाम, 'दंगल' पार्ट दो की तैयारी में जुटीं झारखंड की तीन बेटियां

उचित माहौल-प्रोत्साहन मिले तो लड़कियां बेहतर काम कर सकती है। झारखंड के धनबाद में तीन बेटियां फुटबाल में नाम रोशन करने के लिए अथक मेहनत कर रही हैं।

By Lalit RaiEdited By: Published: Mon, 11 Sep 2017 10:05 AM (IST)Updated: Mon, 11 Sep 2017 10:12 AM (IST)
जज्बे को सलाम, 'दंगल' पार्ट दो की तैयारी में जुटीं झारखंड की तीन बेटियां
जज्बे को सलाम, 'दंगल' पार्ट दो की तैयारी में जुटीं झारखंड की तीन बेटियां

राजीव शुक्ला, धनबाद

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आमिर खान की फिल्म दंगल में महावीर ने अपनी बेटियों को कुश्ती में विश्व स्तर पर पहचान दिलाने को कड़ी मेहनत की। महावीर की हह पर चल कुछ ऐसी ही साधना धनबाद के बलियापुर स्थित आमटाल गांव के रहनेवाले शिक्षक वासुदेव रवानी कर रहे हैं। अपनी तीन बेटियों को फुटबॉल में महारथ दिलाने को वे पूरी लगन से जुटे हैं। मकसद यही कि बेटियां देश का प्रतिनिधित्व करें और बलियापुर का नाम पूरे देश में हो। उनकी मेहनत रंग लाने लगी है। बड़ी बेटी ममता ने अपने प्रदर्शन के बल पर झारखंड सीनियर फुटबॉल टीम में स्थान बना लिया है। उनकी अन्य दोनों बेटियां भी झारखंड प्रदेश स्तर पर फुटबॉल खेल पिता की साधना को सार्थक कर रही हैं।

शिक्षक पिता को खेल से लगाव


निरसा के एमएस डुमरिया विद्यालय में शिक्षक वासुदेव रवानी को भी बचपन से फुटबॉल से लगाव रहा। नतीजा जिले की टीम में उन्होंने स्थान बनाया। पर, परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि बाद में छोड़ना पड़ा। फुटबॉल में कमाल करने का उनका सपना था। सपने को परवान चढ़ाने की लगन ऐसी लगी कि अपनी तीनों बेटियों को फुटबॉलर बनाने का जुनून छा गया।

बेटियों का खेल के प्रति रुझान


वासुदेव के तीन बेटियां ममता कुमारी (18), मनीषा (17) और पूनम (16 ), दो बेटे सुमित (12) और शिवम (6) हैं। वासुदेव बताते हैं कि ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी बेटियों की भी इस खेल में रुचि देख अहसास हो गया कि वे हमारे सपने को पूरा करेंगी। बेटियों को बचपन से ही फुटबॉल स्टार बाइचुंग भूटिया, पेले, डिएगो माराडोना, लियोनेल मेस्सी जैसे खिलाड़ियों के बारे में बताया। हमारे साथ सात वर्ष की अवस्था से ही बेटियां पास के फुटबॉल मैदान में जाने लगीं।


किसी की नहीं की चिंता

ग्रामीण परिवेश में बच्चियों को खेलने भेजने में भी लोग परहेज करते हैं। हमने दकियानूसी विचारधारा को दरकिनार कर किसी की चिंता नहीं की। बेटियों को खुद गांव के आमटाल खेल मैदान ले जाता और उनको ट्रेनिंग देता। बाद में गांववालों ने भी सहयोग किया। इसके बाद एक क्लब का गठन किया। गांव की कई बेटियां भी आमटाल मैदान आने लगीं। बस क्या था शानदार प्रशिक्षण चलने लगा।


स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में ट्रेनिंग


वर्ष 2017 में झारखंड सीनियर फुटबॉल टीम में स्थान बना चुकी बड़ी बेटी ममता रांची के स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में ट्रेनिंग ले रही है। उसने सुब्रतो कप इंटरनेशनल फुटबॉल प्रतियोगिता, वर्ष 2015 में गोवा में हुए फेडरेशन कप, वर्ष 2016 में फेडरेशन गेम्स कटक में झारखंड का प्रतिनिधित्व किया था। वह रोज छह घंटे से अधिक प्रैक्टिस करती है।

मनीषा-पूनम भी कर रहीं कमाल

वासुदेव की बेटी मनीषा और पूनम धनबाद जिले की फुटबॉल टीम का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। वर्ष 2016 में सुब्रतो कप फुटबॉल में दोनों ने प्रमंडलीय स्तर तक और इसी वर्ष स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की प्रतियोगिता में राज्य स्तर पर अपने खेल की धार दिखाई थी। दोनों चार घंटे से अधिक रोज अभ्यास करती हैं।
 


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