भारत की बढ़ती ताकत से बौखला गया है पाकिस्तान
अमरनाथ तीर्थ यात्रियों पर आतंकी हमले से पूरा देश स्तब्ध है। आतंकियों ने धार्मिक आस्था पर चौथी बार बड़ा हमला किया है।
प्रभुनाथ शुक्ल
अमरनाथ तीर्थ यात्रियों पर आतंकी हमले से पूरा देश स्तब्ध है। आतंकियों ने धार्मिक आस्था पर चौथी बार बड़ा हमला किया है। पाकिस्तान की पनाह में सुरक्षित बैठे आतंकी आंकाओं ने अपने मंसूबे को अंजाम देने में सफल हुए हैं। हमारी सुरक्षा एजेंसियों से पूरी सतर्कता के बाद चूक हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा ने इस हमले की जहां कड़ी निंदा की है वहीं विपक्ष दलों के साथ फिल्मी हस्तियां और कश्मीरी अलगाववादी संगठनों ने इसे कश्मीरियत के खिलाफ बताया है। आतंकवादियों का आखिर मकसद क्या है।
इस हमले से चरमपंथियों ने यह साबित कर दिया है कि उनका कोई धर्म नहीं होता है। उनका मकसद सिर्फ आतंक और दहशत फैलाना है। इसके पूर्व अगस्त 2000 में पहलगाम के बेस कैंप पर हुए आतंकी हमले में 32 तीर्थयात्रियों की मौत हुई थी। दूसरा हमला जुलाई 2001 में शेषनाग गुफा पर हुआ था जिसमें 12 से अधिक लोगों की जान गई थी। इसमें तीन महिलाएं और दो पुलिस अफसर मारे गए थे। हमले को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी , बावजूद 2002 में पहलगाम में हुए चरमपंथी हमले में जहां नौ श्रद्धालुओं की मौत हुई जबकि 30 भक्त घायल हुए।
इस हमले को हिंदू और इस्लाम की आस्था में विभाजित कर नहीं देखा जाना चाहिए बल्किइसके पीछे का मकसद भारत को अस्थिर करने की साजिश है। आतंकी हमला हमारी सुरक्षा चूक की तरफ इशारा करता है। खुफिया एजेंसियों की लाख चेतावनी के बाद इस पर गौर नहीं किया गया। कहा यह जा रहा है कि जिस बस पर आतंकी हमला हुआ है वह श्रइनबोर्ड में पंजीकृत नहीं थी। इसलिए यात्रियों के जत्थे को जिस तरह सुरक्षा प्रदान की जाती है वह नहीं मिल पाई, लेकिन इतनी कड़ी सुरक्षा के बावजूद बस को क्यों नहीं पंजीकृत कराया गया। सुरक्षा में लगे अधिकारी और जवानों में उस पर ध्यान क्यों नहीं दिए। सात बजे के बाद यात्र के रास्ते किसी वाहन को गुजरने की अनुमति नहीं रहती है उस स्थिति में बस कैसे आगे बढ़ रही थी।
बस यात्रियों के जत्थे में शामिल थी लेकिन का टायर पंचर हो जाने की वजह से वह वक्त से नहीं निकल पाई थी। अगर ऐसी बात थी उसे वहीं रोक क्यों नहीं दिया गया। सबसे पहले आतंकी हमला पुलिस टीम पर हुआ है इसके बाद बस को निशाना बनाया गया है। फिर सुरक्षा में लगे जवानों ने यह जानने की कोशिश क्यों नहीं किया कि, वक्त गुजरने के बाद भी बस आगे कैसे निकल रही है। क्या सिर्फ पंजीकृत वाहनों को ही सुरक्षा उपलब्ध कराई जाती है बाकि को भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है। उस स्थिति में जब पूरा इलाका आतंकी जोन की जद में हो। यह जांच का विषय है। सुरक्षा एजेंसियां अपनी जबाबदेही से बच नहीं सकती हैं। पाकिस्तान भारत की बढ़ती ताकत से बौखलाया है।
आतंकवाद पर वैश्विक स्तर पर भारत को मिलते समर्थन से उसकी हवा गुल हो गई है। दूसरी वजह मालाबार तट पर अमेरिका, जापान और भारत के संयुक्त सैन्य अभ्यास से भी पाकिस्तान और चीन की जमींन हिल गई है। जिसकी वजह भारत को आतंकी हमले से अस्थिर करने की नापाक कोशिश की जा रही है। भातर से सीधा मुकाबला करने में पाकिस्तान सक्षम नहीं है। घाटी में बुरहान वानी की बरसी में कोहराम मचाने की साजिश को सुरक्षा बलों की तरफ से नाकाम करने के बाद उसने अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाया है। बुरहान वानी की बरसी और आतंकी चेतावनियों के बाद अमरनाथ यात्र को 07-08 जुलाई को रोक दिया गया था। 09 जुलाई को कड़े सुरक्षा बंदोबस्त में यात्र शुरू की गई।
इस यात्र में सबसे अधिक गुजरात और महाराष्ट्र के यात्री मारे गए हैं। बस में 50 से अधिक तीर्थयात्री सवार थे, लेकिन बस चालक की दिलेरी से काफी लोगों की जान बच गई। क्योंकि आतंकी हमले के वक्त चालक ने बस की गति बढ़ा दी थी, जिसकी वजह से दूसरे लोगों की जान बच गई। पाकिस्तान इस धार्मिक हमले के जरिए कश्मीर के लोगों की धार्मिक भावनाएं भड़का अलगाववाद को हवा देना चाहता है। हालांकि कश्मीर में अलगाववाद का समर्थन करने वाले संगठन भी इसे कायराना हमला बताया है। पाकिस्तान को अब यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों पर इस पर गहनता से विचार करना होगा। पाकिस्तान और आतंकी संगठनों को इसका हर हाल में जबाब मिलना चाहिए।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)