ब्लैकमनी पर गोपनीयता की दीवार हटने के बाद स्विस बैंकों का लाभ हुआ आधा
पिछले साल स्विस बैंकों का लाभ घटकर सिर्फ घटकर 7.9 अरब स्विस फ्रैंक यानि करीब 53,000 करोड़ रुपये रह गया।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। कालेधन के खिलाफ जिस तरह से मोदी सरकार के आने के बाद एसआईटी बनाकर कदम उठाया गया उसका असर एक तरफ देश में मिल रहा है। तो दूसरी तरफ जिस देश के बैकों में दुनियाभर से लोग अपनी ब्लैक मनी को छिपाकर रखते थे, वहां भी उन बैंकों का लाभ पहले की तुलना में अब आधा हो चुका है। वहां के कई बैकों की हालत तो ये हो चुकी है कि अब वे घाटे में आ गए हैं। इसकी वजह है दुनियाभर के दबाव के चलते स्विस बैंकों की गोपनीयता का पर्दा खिसकना।
आधा हुआ स्विस बैंकों का मुनाफा
पिछले साल स्विस बैंकों का लाभ घटकर सिर्फ घटकर 7.9 अरब स्विस फ्रैंक यानि करीब 53,000 करोड़ रुपये रह गया। साल 2015 में इन बैकों का लाभ का आंकड़ा 15.8 अरब स्विस फ्रैंक यानि करीब 1.06 लाख करोड़ रुपये था।
स्विट्जरलैंड में 35 बैंक घाटे के शिकार
स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, 261 पंजीकृत बैंकों में 226 ही मुनाफे में रह गए हैं। अलबत्ता उनका लाभ गिरा है। इनमें 35 बैंक घाटे के शिकार हो गए हैं। गोपनीयता की दीवार में दरार से स्विस बैंकों की संख्या 266 से घटकर 261 रह गई है। बैंकों के कर्मचारियों की संख्या में कमी आई है। कुछ बैंकों की हालत खराब हो गई है। दो बैंकों का अधिग्रहण हो गया है। तीन ने बैंक होने का दर्जा गंवा दिया है। एक दिवालिया हो गया है। एक पूरी तरह बंद हो गया है। बड़े बैंकों की श्रेणी में अब केवल चार रह गए हैं। इनमें यूबीएस इंक, यूबीएस स्विट्जरलैंड एजी, क्रेडिट सुइस एजी और क्रेडिट सुइस (स्विट्जरलैंड) शामिल हैं।
भारतीयों की स्विस बैंकों में जमा राशि हुआ आधी
हालांकि, स्विस बैंकों में ग्राहकों की कुल जमा राशि (घरेलू और विदेशी मिलाकर) में इजाफा हुआ है। वर्ष 2016 में यह आंकड़ा लगभग ढाई फीसद बढ़कर 1,770.6 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। भारतीयों की जमा पूंजी आधी होकर करीब 4,500 करोड़ रुपये (67.6 स्विस फ्रैंक) रह गई है। स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक ने अब खुद भारतीयों की जमा राशि की जानकारी दी है। वैसे, स्विस बैंकों में विदेशियों का कुल 96 लाख करोड़ रुपये जमा है। 2016 में भारतीयों की जमा कराई गई रकम करीब 45 फीसद लुढ़क गई। स्विस बैंकों में 2007 तक भारतीयों की जमा राशि अरबों-खरबों में हुआ करती थी। मगर काले धन पर अंकुश की कोशिशों के चलते भारतीय धन्नासेठों को अब इन बैंकों में पैसा जमा करना सुरक्षित नहीं लग रहा है। यही वजह है कि स्विस बैंकों में उनकी जमा राशि में भारी गिरावट आती जा रही है।
मोदी सरकार ने ब्लैक मनी पर उठाया बड़ा कदम
गौरतलब है कि केन्द्र की सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने अपने चुनावी एजेंडे के अनुरूप एक तरफ जहां सबसे पहले एसआईटी का गठन किया, तो वहीं दूसरी तरफ पांच सौ और हजार रुपये के बड़े मूल्य के नोटों पर बैन लगाकार कड़ा प्रहार किया था। सरकार की तरफ से कहा गया कि यह कदम अर्थव्यवस्था को कालेधन से मुक्ति की दिशा में उठाया गया कदम है।
डिजिटल लेन देन को बढ़ावा
इतना नहीं नहीं, ब्लैक मनी को अर्थव्यवस्था से खत्म करने के लिए जहां सरकार ने निश्चित रकम से ज्यादा की लेनदेन पर रोक लगाई, वहीं दूसरी तरफ सरकार की कोशिश लगातार डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने की रही है। ऐसे में यह बात स्वाभाविक सी लगती है कि देश में ब्लैकमनी के खिलाफ छेड़े गए अभियान के बाद स्विस बैंकों में भारतीय लोगों के पैसों में जहां काफी कमी आई है तो वहीं आज कई बैंक घाटे में चले गए हैं।
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