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Analysis: अमेरिका में नया टैक्स कानून लागू किए जाने के बाद बढ़ गई है चीन की चिंता

अमेरिका द्वारा अपने यहां नया टैक्स कानून लागू किए जाने के बाद से यूरोप सहित अन्य देशों में चिंताएं बहुत बढ़ गई हैं।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Thu, 11 Jan 2018 09:30 AM (IST)Updated: Thu, 11 Jan 2018 01:57 PM (IST)
Analysis: अमेरिका में नया टैक्स कानून लागू किए जाने के बाद बढ़ गई है चीन की चिंता
Analysis: अमेरिका में नया टैक्स कानून लागू किए जाने के बाद बढ़ गई है चीन की चिंता

नई दिल्ली, [डॉ. अश्विनी महाजन]। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका की आर्थिक, सामाजिक और विदेश नीति में भारी बदलाव देखने को मिल रहे हैं। आर्थिक जानकार ट्रंप के बारे में अलग-अलग राय रखते हैं, लेकिन आमतौर पर उनकी नीतियों को लेकर उनके समर्थकों के अलावा शेष सभी बहुत अच्छी राय नहीं रखते हैं। ट्रंप की अक्सर बदलती वीजा नीति, अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीतियां आदि आलोचना के केंद्र में बनी रहती हैं। इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था और समाज व्यवस्था पर क्या प्रभाव होंगे, अभी कहना मुश्किल है, लेकिन ट्रंप द्वारा अमेरिका के टैक्स कानूनों में बदलाव, जिसे वे कर सुधारों का नाम दे रहे हैं, के बारे में लोगों की मिश्रित प्रतिक्रिया है।

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ट्रंप की आलोचना

जब एक समारोह में ट्रंप अपने अमीर मित्रों को यह कहते सुने गए कि ‘मैंने आपको पहले से ज्यादा अमीर बना दिया है’, तो उनकी देश-विदेश में खासी आलोचना हुई है। पहले सीनेट में पारित होने और बाद में राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा 22 दिसंबर 2017 को उस पर हस्ताक्षर करने के बाद नया कानून लागू हो चुका है। ट्रंप का कहना है कि नए कानून के जरिये करों में राहत देकर उन्होंने व्यापार और उत्पादन को प्रोत्साहित किया है। नए टैक्स कानून के हिसाब से व्यवसाय और व्यक्तियों पर करों की दर कम की गई है, निजी कर को आसान बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की कटौती को हतोत्साहित करते हुए मानक कटौती बढ़ाई गई है। साथ ही उत्पाद शुल्क भी कम किया गया है। इसी प्रकार प्रांतीय और स्थानीय आयकर में भी कटौतियों को सीमित किया गया है। लोगों के लिए वैकल्पिक न्यूनतम कर कम किया गया है और कंपनियों पर तो यह समाप्त ही कर दिया गया है।

अमीरों को फायदा पहुंचाने की कोशिश

अनुमान है कि लोगों और साझेदार कंपनियों इत्यादि को अगले दस सालों में लगभग 1,100 अरब डॉलर से भी ज्यादा का लाभ मिलेगा और कंपनियों को अगले दस वर्षो में 320 अरब डॉलर का लाभ मिल सकता है। लगभग दस साल के बाद सरकार को करों में फायदा मिलना शुरू होगा। दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि इससे लगभग 1.5 खरब डॉलर का कर्ज अमेरिकी सरकार पर बढ़ जाएगा। यानी कुल मिलाकर ट्रंप की यह बात सत्य ही प्रतीत होती है कि उन्होंने अमीरों को खासा लाभ पहुंचाने की कोशिश की है, चाहे वह अमेरिकी खजाने के सहारे ही किया गया हो।

कॉरपोरेट टैक्स की दरों को 35 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत करने के पक्ष में यह तर्क दिया जा रहा है कि इसके द्वारा निवेश बढ़ेगा और भविष्य में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 3 से 5 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। इसके पीछे दो तर्क हैं। पहला, निवेश के लिए ज्यादा धन उपलब्ध होगा और दूसरे, टैक्स में कटौती करने से अधिक आय अर्जित करने को प्रोत्साहन मिलेगा। उधर ट्रंप का यह भी कहना है कि उनके नए टैक्स कानून से अमीरों को खासतौर पर सबसे ज्यादा अमीरों पर टैक्स कम नहीं होगा। ट्रंप प्रशासन का यह भी कहना है कि इससे सरकारी घाटा भी नहीं बढ़ेगा। मगर इस कानून के आलोचकों का मानना है कि सरकार का घाटा जरूर बढ़ेगा। आलोचकों का यह भी कहना है कि 90 प्रतिशत लोगों को अब कर कम लगेगा और इसका ज्यादा लाभ सबसे अमीर लोगों को होगा। आलोचकों का यह भी कहना है कि दान, गृह ऋण, सेवानिवृत्ति बचत और शिक्षा, जिन पर टैक्स की छूट बढ़ाई गई है, यह सब अमीरों को ही फायदा पहुंचाने वाली है। आधे से ज्यादा फायदा ऊपर के एक प्रतिशत लोगों को होगा, जिनकी आय 7.3 लाख डॉलर वार्षिक है।

नए टैक्स कानून से बढ़ गई चिंता

जब कोई देश कर की दर बढ़ाता या घटाता है तो सामान्य तौर पर अन्य देश उनकी चिंता नहीं करते हैं, लेकिन अमेरिका द्वारा नया टैक्स कानून लाने के बाद यूरोप और अन्य देशों में चिंता बढ़ गई है। यूरोपीय देशों में आयकर की दर सामान्य तौर पर अमेरिका में टैक्स की दर से कहीं ज्यादा है। इसका स्वाभाविक कारण यह है कि वहां की सरकारें सामाजिक सुरक्षा के लिए खासा खर्च करती हैं, इसलिए यूरोप में ज्यादा कर लगाने का रिवाज है। यूरोप और अन्य देशों में यह चिंता कायम है कि इसके कारण अमेरिका के पक्ष में निवेश एवं वित्तीय प्रवाह बढ़ जाएंगे क्योंकि पूंजीगत आमदनियों पर अमेरिका में टैक्स कम लगेगा। उधर अमेरिका द्वारा उत्पाद शुल्क घटाने के कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रभावित होगा और चूंकि यह एकतरफा कदम है और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के विरूद्ध है।

अमेरिका का नया टैक्स कानून व्यापार और निवेश को बुरी तरह से प्रभावित करेगा और करों में कटौती वास्तव में सब्सिडी ही कही जाएगी, जो डब्ल्यूटीओ के खिलाफ है। यूरोपीय आयोग ने अमेरिकी राजस्व सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि अमेरिका के इस कदम से टैक्स कानूनों का स्थानीय फर्मो को लाभ पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि वे अपने निर्यात बढ़ा सकें और आउटसोर्स को हतोत्साहित कर सकें। इससे अमेरिका में काम करने वाली बाहरी कंपनियों को नुकसान पहुंचेगा। ओईसीडी में भी किए गए अनुबंधों का यह कानून उल्लंघन करता है। यूरोपीय संघ ने यह भी धमकी दी है कि इसकी वजह से दोहरे कर पर अंतरराष्ट्रीय अनुबंध टूट सकते हैं।

ट्रंप ने बढ़ा दी चीन की चिंता

जहां अमेरिका में नई कर व्यवस्था के संबंध में यह माना जा रहा है कि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कोई लाभ नहीं होने वाला, उधर यूरोप ही नहीं चीन भी चिंतित है कि इससे उनके आर्थिक हितों पर चोट पहुंचेगी। चीन को विशेष खतरा इसलिए भी है कि भारी मात्र में डॉलर चीन से निकलकर अमेरिका पहुंच जाएंगे क्योंकि अब उन्हें वहां ज्यादा लाभ मिलेगा। यूरोप में जहां मंदी व्याप्त है, वहां से अब पैसा अमेरिका में स्थानांतरित हो सकता है और उनकी मंदी की परिस्थिति को और ज्यादा प्रभावित कर सकता है, लेकिन अमेरिकी प्रशासन इन बातों से बिल्कुल भी प्रभावित न होते हुए नई कर व्यवस्था को लागू करने के लिए आगे बढ़ रहा है और उनका कहना है कि पूर्व राष्ट्रपति बाराक ओबामा के शासनकाल में जिस प्रकार से अत्यधिक विनियमन के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था 2 प्रतिशत विकास दर पर अटक गई थी, नई कर प्रणाली में जीडीपी वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा, अमेरिकी कंपनियों और लोगों को ज्यादा कमाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा और ट्रंप की ‘अमेरिका पहले’ की नीति को सफल करने में कामयाबी मिलेगी।

(लेखक डीयू में एसोसिएट प्रोफेसर हैं)

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