सियासी उठापटक में थाईलैंड, क्या देश में उदारता लाएगी सरकार
सैनिक शासन का रवैया आम चुनाव को लेकर टालमटोल वाला है, लेकिन सवाल है कि क्या जनता सैन्य सत्ता के खिलाफ खड़ा होकर लोकतंत्र बहाली और आम चुनाव की मांग करेगी।
डॉ. गौरीशंकर राजहंस
गत 26 अक्टूबर को थाईलैंड के अत्यंत लोकप्रिय राजा भूमिबोल का अंतिम संस्कार नए सम्राट बने उनके पुत्र महावजीरालोंगकोर्न ने बौद्ध और हिंदू रीति रिवाजों से किया। लाखों भावुक लोगों ने दिवंगत सम्राट को श्रद्धांजलि दी। अब सवाल है कि क्या सैनिक सरकार देश में उदारता का वातावरण लाएगी या जो लोग अप्रत्यक्ष रूप से भी सैनिक शासन का विरोध करेंगे उन्हें जेल में डालकर कठोर कारावास की सजा दी जाएगी। तीन वर्ष पहले सैनिक क्रांति में सेना के प्रधान ‘प्रयुत चानओचा’ ने सत्ता पर कब्जा कर लिया था। पहले उन्होंने खुद को मात्र जनता का सेवक बताकर एक साधारण सैनिक के रूप में सत्ता संभाल ली और बाद में जब उनकी पकड़ मजबूत हो गई, तब उन्होंने अपने को प्रधानमंत्री घोषित कर दिया। जब सेना ने सत्ता पर कब्जा किया, उस समय देश की प्रधानमंत्री ‘यिंगलक शिनवात्र’ थीं। उन पर सत्ता के दुरुपयोग के कई आरोप लगे।
तीन वर्षो तक वह विभिन्न न्यायालयों में जाकर अपने खिलाफ लगे आरोपों को लेकर सफाई पेश करती रहीं। मगर न्यायाधीशों ने सैनिक सरकार के इशारे पर उनके साथ न्याय नहीं किया। इस पूरी अवधि में उन्हें घर में नजरबंद कर दिया गया। कुछ महीने पहले जब उन्हें सैनिक अदालत में हाजिर होना था तब उनके वकील ने कहा कि उनके कान में असहनीय दर्द है। इसके कारण वह कोर्ट में हाजिर नहीं हो सकती हैं, लेकिन इस बीच चुपके से सैनिक शासकों की आंखों में धूल झोंककर वह बैंकाक से गायब हो गईं। कुछ लोगों का कहना है कि वह सड़क के रास्ते बैंकाक से बाहर निकलीं। कुछ का कहना है कि वह हवाई जहाज से चुपके से भागकर दुबई चली गईं, जहां उनके भाई पूर्व प्रधानमंत्री थैक्सिन शिनवात्र निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
सैनिक शासकों को घोर आश्चर्य हुआ कि जबर्दस्त पहरे के बावजूद यिंगलक शिनवात्र देश से कैसे भाग निकलीं। सैनिक शासकों ने उन पर भ्रष्टाचार के अनेक आरोप लगाए और कहा कि उनके भ्रष्ट तौर-तरीकों से थाईलैंड की सरकार को 16 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। यिंगलक के वकीलों ने भ्रष्टाचार के सारे आरोपों को बेबुनियाद कहा और यह भी दलील दी कि यिंगलक पूरी तरह निदरेष हैं। यिंगलक के भाई थैक्सिन शिनवात्र 2001 से 2006 तक थाईलैंड के प्रधानमंत्री रहे। उन्हें भी सैनिक क्रांति से पदच्युत कर दिया गया था। उन पर यह इलजाम लगा था कि उन्होंने चोरी छिपे देश का अरबों डॉलर सिंगापुर में अपने परिवार के सदस्यों के नाम बैंकों में जमा कर दिया और विभिन्न उद्योगों में निवेश कर दिया था।
सैनिक शासकों ने उन पर मुकदमा चलाया, लेकिन शासकों की आंखों में धूल झोंककर वे भागकर दुबई चले गए। बाद में उनकी बहन यिंगलक शिनवात्र देश की प्रधानमंत्री बनीं। कहा जाता है कि वह दुबई में बैठे अपने भाई की सलाह पर चलती थीं। थैक्सिन पर तो सैनिक अदालत में मुकादमा चल ही रहा था और अब यिंगलक पर भी भ्रष्टाचार के आरोप में मुकदमा शुरू हो गया। यिंगलक के वकीलों ने सारे आरोपों को झूठा कहा और उन्हें निर्दोष साबित करने का प्रयास किया। मगर जजों ने यिंगलक के वकीलों की दलील नहीं मानी।
जब यिंगलक को सैनिक शासकों की कोर्ट में हाजिर होना था, वह चुपचाप गायब हो गईं। तब जजों ने उनकी 9 लाख डॉलर की जमानत जब्त करने का आदेश दिया। उसके पहले सैनिक शासकों ने थाईलैंड के विभिन्न बैंकों में जमा उनकी राशि को जब्त कर लिया था। जब यिंगलक कोर्ट में हाजिर नहीं हुईं तब जजों ने गुस्सा कर उनके वाणिज्य मंत्री को 42 साल की सश्रम कारावास की सजा सुना दी। इसके बाद यिंगलक को भी उनकी अनुपस्थिति में पांच वर्षो की सश्रम कैद की सजा सुना दी जिसे देश के सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा।
इस बीच, सैनिक शासकों ने एक अंतरिम संविधान तैयार कर सभी अधिकार सैनिक शासकों के प्रतिनिधियों को दे दिए। संसद के ऊपरी सदन में इस संविधान के मुताबिक सैनिक शासकों के प्रतिनिधियों का ही वर्चस्व रहेगा और निचले सदन में भी चुने हुए प्रतिनिधि अपने मन से कोई सरकार का गठन नहीं कर पाएंगे। कहा जा रहा है कि नए सम्राट सैनिक शासकों की मुट्ठी में हैं। उन्होंने एक तरफ यिंगलक की पार्टी के सदस्यों को कुचल डालने का आदेश दिया है और दूसरी तरफ संविधान में कुछ जरूरी परिवर्तन करने का भी सुझाव दिया है जिससे सम्राट के अधिकारों का हनन नहीं हो सके।
नए संविधान में यह प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति देश के सम्राट के खिलाफ बात करते हुए पाया गया या उसने मीडिया में सम्राट के खिलाफ कोई बात कही तो उसे जेल की लंबी सजा भुगतनी पड़ सकती है और उसका पक्ष नहीं सुना जाएगा। जानकारों का कहना है कि आज की तारीख में सैकड़ों ऐसे लोगों को सैनिक सरकार ने विभिन्न जेलों में डाल दिया है। सैनिक शासक पिछले कई महीनों से जनता से यह वादा करते रहे हैं कि वे शीघ्र ही देश में आम चुनाव कराएंगे। मगर कोई न कोई बहाना करके वे इसे टालते रहे हैं। एक बहाना यह भी था कि जब तक सम्राट भूमिबोल की अंत्येष्टी नहीं हो जाती है, तब तक चुनाव नहीं होंगे।
जानकारों का कहना है कि अब फिर कोई बहाना बनाकर सैनिक शासक चुनाव को टालेंगे। क्योंकि उन्हें डर है कि चुनाव होने पर थैक्सिन परिवार के समर्थक निचले सदन में भारी बहुमत से जीतकर आ सकते हैं। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल के दौरान थाईलैंड में सैनिक शासन का विरोध किया था, लेकिन इसके उलट डोनाल्ड ट्रंप ने थाईलैंड के सैनिक शासकों को गले लगा लिया है। उनके विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन हाल में बैंकाक गए थे। जहां उन्होंने सैनिक शासकों का पूरा समर्थन किया। इस कारण सारी दुनिया के जो लोग यह उम्मीद कर रहे थे कि थाईलैंड में देर या सबेर लोकतंत्र लौटेगा, वे बुरी तरह निराश हो गए हैं। देखना यह है कि क्या आगामी कुछ महीनों में थाईलैंड की जनता सैनिक शासकों के विरूद्व खड़ी होकर लोकतंत्र की बहाली और आम चुनाव की मांग करेगी?
(लेखक पूर्व सांसद एवं राजदूत हैं)