विशेष: नाज हैं इन पर, महिला शक्ति की मिसाल बनीं पंखुड़ी और तनु
महिलाओं की भूमिका हर क्षेत्र में बदल रही है। समाज को सुरक्षित रखने व महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में खुद महिलाएं आगे आ रही हैं।
प्रियंका दुबे मेहता/ विनीत त्रिपाठी । इतिहास गवाह है कि जितनी भी बड़ी जंगें जीती गई हैं वे दिमाग की ताकत से जीती गई हैं। ऐसे में शारीरिक ताकत किसी जीत हार का हिस्सा नहीं माना जाना चाहिए। इसलिए नारी को शक्ति का रूप माना जाता है क्योंकि जितनी सहनशीलता, जितना आत्मबल व जितनी मानसिक शक्ति नारी में होती है वह पुरुष में नहीं हो सकती। इसी सोच के साथ दुनिया को अपनी ताकत, अपने जज्बे और अपने हौसलों से लोहा मनवा रही हैं शहर की एसीपी ट्रैफिक पंखुड़ी। उनका मानना है कि नारी अगर अपने अंदर निहित गुणों को पहचान जाए तो मजाल है बड़ी से बड़ी ताकत उसके सामने टिक जाए।
सौम्य व्यक्तित्व में छिपा दमदार सामर्थ्य
पंखुड़ी नाम के अनुरूप ही देखने में सौम्य और सुलझी हुई हैं लेकिन जब बात आती है लॉ एंड आर्डर की, महिलाओं के सुरक्षा की, उन्हें जागरूक करने व उनमें आत्मविश्वास भरने की तो पंखुड़ी के हौसलें देखने लायक होते हैं। मन में जज्बा व कुछ कर गुजरने की उमंग इस महिला अधिकारी को नारी के उस रूप का परिचय देती है जिसमें पुरुष उसे नुकसान पहुंचाने तो क्या, उसके आसपास से भी गुजरने में कांपते हैं। पंखुड़ी चाहती हैं कि हर नारी अपने अंदर के छिपे सामर्थ्य व शक्ति को पहचाने।
बचपन से ही रहीं दबंग
पंखुड़ी ने अपनी स्कूलिंग अंबाला से की व फिर महिला महाविद्यालय से पढ़ाई की। ऐसे में उन्हें अपनी ताकत का अंदाजा शुरुआत से ही हो गया था। उन्हें पता था कि नारी अगर चाहे तो दुनिया बदल सकती है। उन्होंने महिला कॉलेज से पढ़ाई की और वहीं से उन्हें लगा कि अगर महिलाएं एकजुट होकर कहीं जाएं तो कोई उनके साथ गलत करने की सोच ही नहीं सकता। पंखुड़ी के मुताबिक ताकत का अंदाजा तो शुरुआत से था लेकिन कानून के बारे में सर्विस में आने के बाद पता चला तो हौसले और बुलंद हो गए।
पिता ने करवाया ताकत का अहसास
पंखुड़ी के पिता डॉक्टर आर कुमार व मां शशि कुमार ने पंखुड़ी को हमेशा यही अहसास दिलवाया कि लड़कियां किसी भी कम नहीं हैं। इसी माहौल के बीच पंखुड़ी ने पढ़ाई में अपने आप को प्रूव किया। हमेशा टॉप करने वाली पंखुड़ी के पिता ने उन्हें सिविल सर्विसेज में जाने के लिए प्रोत्साहित किया। ऐसे में पंखुड़ी ने परीक्षा की तैयारी शुरु कर दी और पहले ही अटेंप्ट में परीक्षा पास कर ली।
महिलाओं को कर रही हैं जागरूक
पंखुड़ी की सातवीं पोस्टिंग गुरुग्राम में मिली है। ऐसे में उन्होंने शहर को चुनौती के रूप में लिया और यहां पर महिलाओं के साथ हो रहे क्राइम को कम करने के लिए अगल तरीके से काम किया। उनके मुताबिक महिलाओं को अपने अधिकारों को लेकर जागरूकता नहीं है। हमारे संविधान ने महिला सुरक्षा के लिए कई तरह के कानून हैं लेकिन हर किसी को इनकी जानकारी नहीं है। उन्होंने आसपास के गांवों सहित अन्य स्थानों पर महिलाओं व बच्चों में कानननी जागरूकता के लिए विभाग के साथ मिलकर काम किया। उन्होंने गुरुग्राम में आकर नया अनुभव पाया। उनके मुताबिक यहां पर हर स्टेटा के लोग है और उनकी समस्याओं व उनके प्रति हो रहे अपराधों के प्रकार भी अलग अलग हैं। तो यहां आकर उन्हें हर वर्ग के बीच काम करने के लिए बैलेंस बनाना पड़ा।
अपनी ताकत को पहचानना है जरूरी
पंखुड़ी को लगता है कि अगर नारी बच्चे को जन्म दे सकती है तो वह कुछ भी कर सकती है। जितनी पीड़ा वह झेल जाती है वह किसी पुरुष के बस की बात नहीं, तो हम अपने आप को कमजोर क्यों मानें। हम सशक्त हैं और रहेंगे, अगर अपनी शक्ति व कानून का जान जाएं तो महिलाओं के प्रति अपराध अपने आप खत्म हो जाएंगे।
बदमाशों के छक्के छुड़ातीं दबंग एसीपी तनु
बाहरी दिल्ली के रोहिणी डिविजन में एसीपी के पद पर तैनात तनु सिंह ने विजय विहार में तैनाती के दौरान 6 साल की बच्ची केअपहरण के केस को सुलझाने में अहमभूमिका निभाई। इसके अलावा उत्तरी रोहिणीमें चल रहे सट्टेबाजी के रैकेट का भंडाफोड़कर अपनी छवि एक दबंग पुलिस अफसर कीबनाई। वर्ष 2013 बैच की दानिप्स अधिकारीतनु सिंह ने क्राइम अगेंस्ट वूमन (सीएडब्लू)सहित कई अहम जिम्मेदारी निभाई। पहले वह हरियाणा में न्यायिक सेवा में रहीं और महानगर दंडाधिकारी के तौर पर कई महत्वपूर्ण फैसलेदेने के कारण काफी चर्चा में रहीं। तनु रोहिणी में ही पली-बढ़ी हैं। यहां के अपराध से वाकिफ हैं। इसलिए उन्होंने रोहिणी इलाके में तैनाती को प्राथमिकता दी। बदमाशों के सामने चट्टानकी तरह खड़ी होने वाली तनु रात के अंधेरे में भी अपनी टीम के साथ सक्रिय रहती हैं, ताकि महिला अपराध से लेकर अन्य अपराध को रोका जा सके।
अपने अनुभव साझा करते हुए तनु बताती हैं कि विजय विहार में तैनाती केदौरान एक छह साल की बच्ची का अपहरणका मामला सामने आया था। गरीब परिवार से होने के कारण पुलिस के पास बच्ची की तस्वीर भी नहीं थी। मैंने बगैर देरी किए टीम बनाई और जांच शुरू की। नतीजा यह रहा कि टीम ने 24 घंटे के अंदर ही बच्ची को बरामद कर लिया।
इसके अलावा उत्तरी रोहिणी इलाके में चलने वाले सट्टेबाजी के धंधे की भी कमर तोड़ी। सट्टेबाजों के खिलाफ अभियान चलाया और कई सट्टेबाज आज सलाखों के पीछे हैं। चाहे अपराधियों को पकड़ने की बात हो या फिर छापा मारने की मैं देर रात भी हमेशा तैयार रहती हूं और टीम का नेतृत्व करने सेपीछे नहीं हटती।
बदमाशों में खौफ
मिरांडा हाउस से बीएससी ऑनर्स और दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून में परास्नातक करने वाली तनु सिंह बताती हैं कि दिल्ली पुलिस की क्राइम अगेंस्ट वूमन सेल में काम करते हुए मैंने महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को नजदीक से समझा। महिला अपराध से लेकरअन्य अपराध को रोकने के लिए सतर्कता बरतनी होगी। छात्राओं के स्कूल के बाहर, बसस्टाप या संवेदनशील इलाकों में पुलिसकर्मियों की सतर्कता को बढ़ाना होगा।
यह भी पढ़ें: निर्भया कांड के बाद भी नहीं सुधरा देश, लगातार बढ़ रहा है अपराध का आंकड़ा